राजा की रानी

305 भाग

44 बार पढा गया

0 पसंद किया गया

अब समझ में आया कि ये ही यदुनाथ कुशारी हैं। अध्याैपक आदमी ठहरे, प्रियतमा के मिजाज का उल्लेख होते ही अपना मिजाज खो बैठे; 'हा: हा:' करके उच्च हास्य से घर ...

अध्याय

×