305 भाग
56 बार पढा गया
0 पसंद किया गया
मैं खूब समझता हूँ कि जो लोग कठोर आलोचक हैं वे मेरी आत्मकथा में इस स्थान पर अधीर होकर बोल उठेंगे, “इतना फुलाकर- अतिरंजित करके आखिर, बाबू, तुम कहना क्या चाहते ...