ओस की बूंदें-01-Feb-2023

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कविता -ओस की बूंदें ओस की बूंदें  मोती के कण सा बिखरे घासों पे  सुबह सवेरे  झिलमिल झिलमिल  चमक रहे थे।   बहते वायु के सांसों से , कितने खुश थे  तनिक ...

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