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मोती के लड़ियों जैसे हरी घास पर है,!जैसे जैसे धूप सुनहरी खिलतीं है,!उज्जवल हीरे के जैसे ओस की बुँदे चमकती है,!चिकेन चिकने पत्तों पर वो खेलती और फिसलती है,!रात की ठंडी ...