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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 41

ब्लैक बेंगल्स चेप्टर 41

                    ज्योति का दर्द

अब तक आपने पढ़ा बुआ जी ज्योति केरेक्टर पर सवाल उठाती हैं तो अंकित ज्योति का साथ देते हुए कहता है की वो वहीं था...दीपक उससे पूछता है की उसने झूठ क्यों बोला तभी दीपक की नज़र ज्योति के रूम मे पड़ती है... 

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"अब आगे "

दीपक की नज़र ज्योति के रूम मे लगे व्हाइट बोर्ड पर पड़ती है तो दीपक हैरान होते हुए कहता है "ये सब क्या है क्या करने की कोशिश कर रहे थे तुम लोग"
ज्योति एक गहरी सांस लेती है फिर केहती है "हम... वो हम..कबीर ओब्रोइ के खिलाफ प्लैन बना रहे हैं ताकि उसे उसी के खेल मे हरा सके"

अंकित कंफ्यूज होते हुए कहता है "लेकिन उसने किया क्या है"
ज्योति एक तिरछी मुस्कान के साथ कहती है "देवांश के साथ मिलकर इंडिया मे वेपन्स की डील करने का प्लैन और सबसे बड़ी बात कबीर ओब्रोइ ही ए के है"

दीपक हैरान होते हुए कहता है "वही ए के जो सालों पहले मर चुका है.. लेकिन ये कैसे हो सकता है ए के और कबीर दो बहुत अलग लोग हैं..... दोनो का चेहरा पर्सनेलिटी बहुत अलग है"

ज्योति केहती है "बस यही साबित करना है.... अरमान को कुछ मालूम चला था कबीर के बारे मे वही डिस्कस कर रहे थे"

अंकित ज्योति को घूरते हुए कहता है "ये जो अमृतसर मे हुआ था अभी...तु ही थी उसमे" 
ज्योति अपनी नज़रें इधर उधर करते हुए केहती है "हाँ"
अंकित फिर पूछता है "उस टीम को लीड कौन कर रहा था... और सच बताना"
ज्योति दीपक के पीछे छिप जाती है और थोड़ी सी मुंडी निकालकर झांकते हुए केहती है "लीड मै ही कर रही थी... लेकिन प्लिज़ मारना मत"

अंकित उसके उपर लपकते हुए कहता है "रुक जा तुझे अभी बताता हूँ... ऐसे ऐसे कांड करके भोलि बन रही है.. रुक जा" 

ज्योति दीपक के आगे पीछे भागते हुए केहती है "मेरी गलती नही है आर्मी वालों ने ही बोला था... भइया समझाओ ना इसे वर्ना मुझे मार देगा तो देश का क्या होगा"

उन दोनो को आगे पीछे दौड़ते देख दीपक शांत करवाने की कोशिश कर रहा था लेकिन दोनो सुन ही नही रहे थे.... दीपक गुस्से मे चिल्लाता है "बस कर जाओ दोनो नही तो... दोनो की टांग मै खुद तोडूँग"

दीपक की आवाज़ सुन दोनो चुप चाप बैठ जाते है... दीपक कहता है "गुड.... अब छोटे तु ये बता तूने झुट क्यों बोला"

अंकित आराम से कहता है "मुझे मेरी बहन पर पुरा भरोसा है... और उसे सही साबित करने के लिए मै कितने भी झुट बोल सकता हूँ"

दीपक अंकित के सर पे मारते हुए कहता है "सुधर जा" फिर ज्योति की तरफ देखता है और उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहता है "डरने की ज़रूरत नही है... तेरे दोनो भाई तेरे साथ हैं..अब कपड़े बदल कर थोड़ी देर रेस्ट कर ले ठीक है" 

इतना केहकर दोनो भाई वहाँ से चले जाते हैं... ज्योति कुछ देर खामोश खड़ी रहती है फिर उठ कर छत पर लगे झूले पर बैठ जाती है...कुछ देर बैठे-बैठे ज्योति की आँखों मे रुके हुए आँसु बेहजाते हैं
ज्योति अपने दोनो हाथों से अपना चेहरा ढक लेती है... और रोने लगती है...ज्योति खुद से ही केहती है "क्यों कान्हा क्यों....आखीर मै क्यों कभी पापा की अच्छी बेटी नही बन पाई क्यों... आखीर क्यों
तुम्हे पता है कान्हा बहुत तकलीफ होती है.... पापा को सब पसंद आते हैं.... बस मै नही मेरे साथ ही ऐसा क्यों क्यों" बहुत देर तक ज्योति वहीं बैठे-बैठे रोती रहती है

फिर उठकर अपने कमरे मे चली जाती है..... और नहा कर कपड़े बदल कर सबके लिए चाय बनाने लगती है.... लेकिन वहाँ कोई और भी था जिसे ज्योति को ऐसे बच्चे की तरह रोते देख बहुत तकलीफ हो रही थी...ये और कोई नही यश था जिसे ज्योति को ऐसे देख बहुत बुरा लग रहा था.... यश भी अपने कमरे मे चला जाता है..... 


ज्योति जैसे ही आंगन मे आती है... आर्या और अरमान को तैयार देख पूछती है "तुम दोनो आज बड़ी जल्दी तैयार होगये"
आर्या मुस्कुराते हुए कहता है "हम दोनो वापस जा रहे हैं"
ज्योति मायूस होते हुए कहती है "आई एम सॉरी अरमान "

अरमान ज्योति के दोनों हाथ पकड़ते हुए कहता है "तुम्हें पता मैं तुम्हारी बहुत इज्जत करता हूं..... वो भी आज से नहीं हम पहली बार मिले थे तब से...मैं नहीं जानता क्यों तुम्हारी फैमिली तुम पर ट्रस्ट नहीं करती ....और मैं जानना भी नहीं चाहता....क्योंकि यह तुम्हारा आपसी मामला है ....लेकिन मैं इतना जानता हूं सब तुम पर गलत शक करते हैं....उसके लिए मैं कुछ नहीं कर सकता लेकिन मेरी वजह से तुम पर कोई उंगली उठाये.....उससे बेहतर है मैं तुमसे दूर रहूं...इसलिए तुम सॉरी मत बोलो....मेरे दिल में तुम्हारे लिए हमेशा वही इज्जत रहेगी जो थी....किसी के कुछ भी कहने से वो इज़्ज़त कम नहीं होगी ....और हम हमेशा साथ में ऐसे ही मिशन पूरे करेंगे....लेकिन अभी हम चलते हैं ...जल्दी मिलेंगे" इतना कहकर अरमान ज्योति को सैल्यूट करता है और वहां से चला जाता है

 आर्या ज्योति को एक नजर देखता है और अपना सर झुकाते हुए कहता है "यह बात सही है...पसंद करता हूं तुम्हें लेकिन तुम्हारी बदनामी कराने का मेरा कोई इरादा नहीं था कुछ गलती हुई हो तो माफ करना चलता हूँ"
इतना कहकर आर्या भी वहां से चला जाता

ज्योति उन दोनों को जाते हुए देखती है...फिर अपने काम में लग जाती है पूरा दिन ऐसे ही काम में घर की सजावट करने मे बीत जाता है

ज्योति बुआ जी से दूर ही रह रही थी.....शाम के वक्त  दीपक की हल्दी के रशम होनी थी....सबने पीले रंग के कपड़े पहने थे ज्योति ने भी...पीले रंग का लहंगा पहना था...ज्योति हल्दी लगने की तैयारी कर रही थी ....पूरे गार्डन को अच्छे से फूलों से सजाया गया था सब जगह पीले रंग के फूल लगे हुए थे ज्योति जैसे ही कमरे से बाहर निकलती है उसकी नजर यश पर पड़ती है.....यश ने भी पीले रंग का कुर्ता और सफेद रंग की पजामा पहना था

 ज्योति यश को देखते हुए कहती है "तुम यह अपने लंबे बाल और दाढ़ी कटा लेते ना तो कमसेकम पहचानना बहुत आसान हो जाता" 

यश एक ज्योति को एक नजर देखता है फिर धीरे से उसके कान में कहता है "कभी-कभी पहचान मुसीबत बढ़ा देती है ....तो अनजान रहना ही बेहतर है" ज्योति कुछ कहने वाली थी तभी उसका फोन बजता है उस नंबर को देख ज्योति वापस रूम में चली जाती है और यश नीचे सबके साथ बैठ जाता है..... 

"मेहबूब की हाँ को हाँ करवाना पड़ता है
उसे अपना बनाने के लिए उसी के  खिलाफ जाना पड़ता है
मेहबूब और मेहबूब का खुदा आपके हक मे हो जाए इसके लिए खुद को बहुत आजमाना पड़ता है"


क्या बुआजी की बातें  ले आएंगी अरमान आर्या और ज्योति के रिश्ते में दूरी ? क्या कहना चाहता है यश? किस का कॉल आया है ज्योति को? जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लैक बैंगल्स मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए 

     ..........बाय बाय........

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4 Comments

madhura

11-Aug-2023 07:19 AM

Nice part

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Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 07:03 PM

Nice 👍🏼

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 01:00 PM

Nice part 👌

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