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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 34

ब्लेक बेंगल्स चेप्टर 34

                ज्योति की घबराहट

अब तक आपने पढ़ा विराज मिस्टर करियप्पा से जालंधर जाने के लिए कहता है... दूसरी तरफ आर्या को कबीर की तस्वीर कुछ ऐसा दिखता है जो उसके पास रखी एक तस्वीर से बहुत मिलता जुलता है आर्या की बात सुन निर्जला अरमान और ज्योति दंग रह जाते हैं.. 

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"अब आगे"

"केरला, विराज का घर"

विराज मिस्टर करिअप्पा से कहता है कि उसे जालंधर जाना है विराज की बात सुन मिस्टर करिअप्पा कंफ्यूज होते वे कहते हैं "तुम्हें जालंधर क्यों जाना है, वहाँ क्या काम है"
विराज कहता है डैड...यह कहानी वही शुरू हुई थी...हमारा कॉलेज वही स्टार्ट हुआ था वो शहर ही बता सकता है कि क्यों ज्योति ने  टीचर बनने की जगह आर्मी को चुना"
 मिस्टर करिअप्पा कुछ देर खामोश रहते हैं फिर कहते हैं "अगर तुम्हें कहानी शुरुआत से ही जाननी है तो यह कहानी जालंधर से नहीं पुणे से शुरू हुई थी" विराज कंफ्यूज होते हुए कहता है "लेकिन हमारा कॉलेज तो जालंधर में था ना"
 मिस्टर करिअप्पा हंसते कहते हैं  "तब तक उसका सपना भी तो टीचर बनने का ही था ना... हर बार जो हमे दिखता है.. वही नही होता है विराज मै इतना ही कहूंगा जल्दबाज़ी मत करो उसे और खुद को थोड़ा वक़्त दो..ठीक है"

विराज कुछ देर खामोश रहता है फिर कहता है.. "ठीक है डैड जैसा आप कहें" इतना केहकर विराज कॉल कट कर देता है

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"पटना ज्योति का घर"

आर्या की बात सुन ज्योति कुछ देर खामोश रहती है फिर आर्या  से कहती है ...."एक काम करो अरमान को इनफॉर्म कर दो की कुछ दिन तक जब तक देवांश बाहर नहीं आ जाता कोई कुछ नहीं करेगा और आज के बाद कोई भी किसी से कांटेक्ट भी नहीं करेगा......जब तक मैं ना कहूं ...और हो सके तो तुम और अरमान भी अपना ट्रांसफर पुणे करवाने की कोशिश करो ......मैं जनरल से बात करती हूं ....इस मैटर में तब तक के लिए कोई किसी से कांटेक्ट नहीं करेगा किसी से नहीं मतलब किसी से भी नहीं एक दम खामोश हो जाओ".

आर्या कहता है "ठीक है जैसा तुम कहो" इतना केहकर आर्या कॉल कट कर देता है.. 

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"अमृतसर"

निर्जला अरमान से पूछती है "क्या यह सच है ....अरमान कुछ देर खामोश रहता है फिर कहता है .....हां सबूत तो यही कहते हैं"
 निर्जला फिर कहती है "लेकिन यह कैसे हो सकता है....उसे मरे सालों हो गए"
 अरमान कहता है "कोई आईडिया नहीं है...और अगर यह वही है तो हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं"
निर्जला कहती है "हां उसे रोकना इतना आसान नहीं है... कितने ही ऑफिसर ने उसे रोकने की कोशिश की है....वह सब मारे गए हैं"
अरमान कुछ सोचते हुए कहता है "शायद इस बार ऐसा कुछ ना हो"

 अरमान अभी बात कर रहा था तभी उसके पास आर्या का कॉल आता है.... 
अरमान कॉल को पिक करते हुए उसे कांफ्रेंस पर कर देता है फिर कहता है "यस मिस्टर आर्या"

आर्या सीरियस होते हुए कहता है "ज्योति ने सबको कुछ दिन तक खामोश रहने के लिए कहा है.. तब तक जब तक देवांश बाहर नही आ जाता"
आर्या की बात सुन निर्जला केहती है "लेकिन क्यों"
आर्या कहता है "पता नही लेकिन ये उसका ऑर्डर है और हमे मानना होगा"

निर्जला कुछ देर खामोश रहती है फिर केहती है "क्यों ना हम सब चुप चाप अपनी इंवेस्टिगेशन जारी रखे लेकिन बिना किसी को इंफोर्म किये" 

अरमान कुछ सोचते हुए कहता है... "आईडिया बुरा नही है देवांश जैसे ही बाहर आता है.... हम कबीर और देवांश पर एक साथ अटैक  करेंगे"
 
निर्जला खुश होते हुए केहती है "ठीक है फिर डन" 
आर्या थोड़ा डरते हुए कहते है "लेकिन अगर उसे पता चल गया तो वो गोली मार देगी हमे" 
आर्या की बात पर निर्जला हस्ते हुए केहती है "तुम ज्योति से इतना डरते क्यों हो"

आर्या चिढ़ते हुए कहता है "उसके साथ कुछ दिन काम करके देखो खुद समझ जाओगी,,, वैसे मुझे इंफोर्म करने के लिए कहा था जो मैने कर दिया अब बाय बाय" इतना केहकर आर्या कॉल कट कर देता है... 

अरमान कुछ देर खामोश रहता है फिर कहता है "मुझे उसके ओर्डर मानने होंगे.... तो... फिर मै कॉल रखता हूँ" 
निर्जला उसे रोकते हुए केहती है "अच्छा सुनो" 
अरमान मुस्कुराते हुए कहता है "हाँ बोलो"
निर्जला कुछ पल खामोश रहती है फिर केहती है "वो.. मै.. वो मै.. ये कह रही थी.. की अपना खयाल रखना" 
इतना केहकर निर्जला कॉल कट कर देती है..... निर्जला अपना चेहरा अपने हाथो मे छुपा कर मुस्कुरा देती है.... तभी उसका फोन वाईब्रेट होता है निर्जला जब अपना फोन चेक करती है तो उसमे अरमान का मेसेज था जिसमे लिखा था.... "अपना खयाल रखना और हाँ आई मिस यू" 

निर्जला कुछ देर उसे मेसेज को देखती है फिर मेसेज करती है "मिस यू टू" और फोन रखके अपना काम करने लगती है.... 

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पटना 

ज्योति अपना सारा काम खतम करके अपने रूम मे आजाती है और  दरवाज़े से टिक कर वही खड़ी हो जाती है.... ज्योति सामने खाली दीवार को घूर रही थी कुछ देर खड़े रहने के बाद ज्योति बेड पर बैठ जाती है... और खुद से ही केहती है "दुआ करूँगी कबीर तुम वो ना हो लेकिन अगर तुम वही हुए तो.... दुनिया पहली बार देखेगी जब एक दोस्त अपने ही दोस्त को ऐसी मौत देगी की तुम्हारी रूह तक कांप जायेगी"

ज्योति घबराहट मे उठ कर रूम मे ही इधर से उधर घूमते हुए कहने लगती है... "नही ज्योति ये वो नही हो सकता उसने तो कहा था वो मर चुका है कबीर वो कैसे हो सकता है"
ज्योति गुस्से मे बेड पर बैठ जाती है और तकिया उठा कर फेकते हुए कहती है
"क्या किया ज्योति..... इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकती है तू.... वो सामने था तेरे और तू उसे अपना दोस्त बना बैठी  तुझे तो उसे वही गोली मार देनी चाहिए... लेकिन कोई बात नही इस बार गलती नही होगी"

ज्योति कुछ खामोशी से बैठी रहती है और फिर उठकर नीचे अपनी मा के पास चली जाती है..
ज्योति जैसे ही नीचे आती है उसकी नज़र सामने बैठी दो औरतों पर जाती है दोनो दिखने मे ठीक थी आइये जानते हैं इन दोनो औरातों के बारे मे... 
एक औरात जिसने कॉटन की साडी पहनी है उमर करीब 55-60 के बीच होगी साँवला सा रंग और चेहरे पर हमेशा गुस्से वाले भाव ये हैं ज्योति की बुआ जी
और दूसरी औरात जिन्होंने सिल्क की साड़ी पहनी है वो हैं ज्योति की मौसी उम्र करीब 40-45 की गोरा रंग और हमेशा मुस्कुराता चेहरा... 

ज्योति दोनो के पैर छूती है और किचन मे चाय बनाने चली जाती है.. ज्योति चाय बना रही थी तभी वहाँ दीपक आ जाता है और उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहता है "और कैप्टन साहब.. बुआ जी आई हैं इस बार कौन सा डंडा टूटेगा" और हसने लगता है

ज्योति मुह बनाते हुए केहती है "हाँ हाँ ले लो मजे आप... आपको तो मौका मिल गया मुझे मार पड़वाने का.... आप जैसा भाई हो toe दुश्मनो की क्या ही ज़रूरत"

दीपक हस्ते हुए कहता है "तो तु उनसे उलझा ही मत किया कर... क्या ज़रूरत है बहस करने की.... ठीक है तू चाय बना मै आता हूँ"
इतना केहकर दीपक वहाँ से चला जाता है

ज्योति चाय बनाकर सबको देती बुआ जी चाय पीते हुए केहती हैं "क्या बात है ज्योति के चेहरे पर बहुत निखार है कही प्रेग्नेंट तो नही"

कोई कुछ कहता उससे पहले ही दीपक की आवाज़ आती है "ये क्या बकवास कर रही हैं आप बुआ जी"
बुआ जी हस्ते हुए केहती हैं "मै तो बस मज़ाक कर रही थी" 
दीपक गुस्से मे लेकिन धीरे आवाज़ मे कहता है "मेरी बहन के लिए ऐसी बातें मज़ाक मे भी मत कहियेगा बुआ जी नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा..याद रहे बेहन है मेरी"

दीपक को इतने गुस्से मे देख सब एक दम खामोश हो जाते हैं दीपक एक बार सबकी शकल देखता है और जबरदस्ती हस्ते हुए कहता है "मै तो मज़ाक कर रहा था... आपलोग चाय पीजिये क्यों बुआजी मज़ाक अच्छा लगा ना" इतना केहकर दीपक ज्योति का हाथ पकड़ता है और खीचते हुए वापस ले जाता है..... 


आज के लिए इतना की कोई सवाल नही क्योंकि आप लोग जवाब नही देते हैं मिलते हैं अगले चेप्टर मे कहानी कैसी लग रही है ज़रूर बताएं 

                  ........... बाय बाय..........

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3 Comments

madhura

11-Aug-2023 07:12 AM

Nice part

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 01:03 PM

Nice 👍🏼

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Gunjan Kamal

29-Jan-2023 11:31 AM

बेहतरीन

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