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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 29

ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 29

        अविनाश की नफरत

अब तक आपने पढ़ा कबीर ज्योति से सवाल करता है कि उसने कबीर को धोखा क्यों दिया वहीं दूसरी तरफ देवांश कॉल पर बात करने के बाद से बहुत ज्यादा गुस्से में विराज ज्योति  आर्मी जॉइन करने के पीछे की वजह जानने की कोशिश कर रहा है

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"अब आगे"

कबीर को अपने इतने करीब देख ज्योति को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन किसी तरह वे अपने गुस्से को कंट्रोल कर कबीर से कहती है "देखो कबीर तुम मेरी बात सुनो...लेकिन प्लीज पहले थोड़ा दूर हो जाओ" कबीर ज्योति की कमर पकड़कर उसे अपने करीब करते हुए कहता है "क्या सुनु मै...हाँ क्या सुनु अब भी कुछ  सुनने और सुनाने के लिए  बाकी रह गया है......चलो ठीक है बोलो तुम्हें क्या बोलना है

 इतना कहकर कबीर ज्योति से थोड़ी दूर खड़ा हो जाता है.... 
ज्योति एक गहरी सांस लेती है और कहना शुरू करती है "हां कबीर यह बात सच है कि मैं सिर्फ टीचर नहीं हूं...मै इंडियन आर्मी में कैप्टन भी हूं...लेकिन जब मैं तुमसे मिली थी तुम सिर्फ मेरे लिए अजनबी थे बाद मे हम अच्छे दोस्त बन गए..लेकिन जब मुझे बाद में पता चला कि तुम्हें आर्मी वाले नहीं पसंद तो मैंने तुमसे यह बात छुपा ली और तो और.....तुम्हें इन्वेस्टिगेट करने से भी रोक दिया मैंने तुमसे कोई झूठ नहीं बोला मै बस... 
इसलिए चुप रही क्योंकि अगर मैं तुम्हें सच बता देती तो हमारी दोस्ती टूट जाती... और इससे क्या फर्क पड़ता है की मैं टीचर हूं की आर्मी ऑफिसर फर्क इस बात से पड़ता है कि हम दोस्त हैं और मेरे लिए हमारी दोस्ती ज़रूरी है ना की हमारी प्रोफेशनल लाइफ" 

कबीर ज्योति की आंखों में देखते हुए कहता है "और क्या क्या छुपाया है तुमने मुझसे"....ज्योति ताना मारते हुए कहती है "इन्वेस्टिगेशन तो तुमने करा ही लिया है......तुम्हें नहीं पता क्या-क्या क्या झूठ बोला है मैंने"

कबीर ज्योति को बहुत ध्यान से देख रहा था कुछ देर की खामोशी के बाद कबीर कहता है "तुम मुझे इंवेस्टिगेट क्यों करना चाहती हो..क्या जानना है मेरे बारे में मुझसे पूछ लो..मैं तुम्हारी तरह नहीं हूं जो झूठ बोलूँगा जो पूछोगि....सब सच बताऊंगा" ज्योति एक व्यंग भरी मुस्कान के साथ कहती है "क्या तुम्हें लगता है तुम सच बता पाओगे...हमारी दोस्ती इतनी भी गहरी नहीं जो तुम मेरे सामने अपना हर राज खोल दो"

कबीर को ज्योति की बात सुन बहुत गुस्सा आता है कबीर ज्योति को दीवार से लगाते हुए गुस्से में उसके कंधे दबाते हुए कहता है "तुम खुद को समझती क्या हो.... मैं तुम्हारी तरह नहीं हूं जो अपने दोस्त से झूठ बोले.....तुम पूछ कर देखो ना बताऊं तो कहना"
ज्योति कहती है "उम्मीद करती हूं तुम्हारी गलतफहमी दूर हो गई होगी और रही बात जानने की.....तो फिर कभी".... 

कबीर से कुछ देर बात करने के बाद ज्योति उसके ऑफिस से निकल जाती है... ज्योति के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान खेल रही थी... 
ज्योति होटल जाती है और चेंज करके.... 
हेडक्वार्टर के लिए निकल जाती है... 

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"दिल्ली आर्मी हेडक्वार्टर"

ज्योति मीटिंग रूम में बैठे कुछ सोच रही थी तभी वहां "के एम करिअप्पा  आ जाते हैं और ज्योति को यू सोचते देख पूछते हैं "तुम आज यहाँ इतनी जल्दी"
ज्योति उन्हे एक नज़र देखती है फिर अपनी फाइल जो उसने खोल रखी थी बंद करते हुए केहती है... "मेरी इतनी मेहनत और इतनी पावर भी कम है... इस मिशन को हासिल करने के लिए बस वही सोच रही हूँ"
ज्योति को इतना मायूस देख मिस्टर करियप्पा कहते हैं... "आर्मी की फोर्मेलिटिज़ है ये सब तुम जानती हो"
ज्योति केहती है "हाँ जानती हु तभी खामोश हूँ"... ज्योति मिस्टर करियप्पा की आँखो मे देखते हुए पुरे विश्वास के साथ केहती है... 
"मुझे यह मिशन मिले या नहीं मिले उससे कोई फर्क नहीं पड़ता...फर्क बस इस बात से पड़ता है कि देवांश को मुझसे कोई नहीं बचा सकता"
 के एम करिअप्पा ज्योति को बिठाते हैं और खुद भी बैठ जाते हैं और कहते  हैं "किसी से इतनी नफरत भी मत करो कि वह नफरत तुम्हें ही बर्बाद कर दे"... ज्योति कुछ कहती है उससे पहले ही अरमान मीटिंग रूम में अंदर आता है 
अरमान के साथ ही आर्या और अविनाश भी थे....अविनाश के हाथ बंधे हुए थे और मुंह पर टेप लगा हुआ था अविनाश को ऐसे देख मिस्टर करिअप्पा कहते हैं "लगता है अभी तक अपने सीनियर से पेश आना सीखा नहीं है तुम दोनों ने"
आर्या और अरमान मिस्टर करिअप्पा को सैल्यूट करते हैं आर्या सीरियस होते हुए कहता है..."जब सीनियर अपनी ड्यूटी भूल जाए तो जूनियर को ही उन्हें उनकी ड्यूटी याद दिलानी  पड़ती है"
 
वह लोग बात कर रहे थे तभी मीटिंग रूम का दरवाजा फिर से खुलता है और विक्रम सिंह अंदर आते हैं
विक्रम सिंह को वहां देख सब उन्हें सेल्यूट करते हैं विक्रम सिंह एक नजर ज्योति को देखते हैं
फिर जाकर अपनी सीट पर बैठ जाते हैं उन्ही के पीछे मिताली राज और काव्या जैन भी आती हैं.... मिताली राज ज्योति को देखकर मुस्कुरा देती है... 
विक्रम सिंह सब को बैठने के लिए कहते हैं... 

सबने इस वक्त अपनी आर्मी यूनिफॉर्म पहनी थी सबके बैठने के बाद ज्योति अपने दोनों हाथ पीछे करके खड़ी हो जाती है...और सब को एक नज़र देखने के बाद अविनाश की तरफ इशारा करती है और कहना शुरु करती है ...."यह है अविनाश मेरे सीनियर ऑफिसर....मानती हूं इस बार लापरवाही मेरी थी लेकिन इतनी बड़ी भी नहीं थी कि मेरी टीम के जान पर बन आए... गलती मिस्टर अविनाश की थी लेकिन मै पूरी गलती इनकी भी नही केह सकती"

ज्योति अविनाश की तरफ मुड़ती है और उसकी आँखो मे देखते हुए केहती है... मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी..मै बस इतना जानना चाहती हूँ की आपने ये सब क्यों किया है"

अविनाश ज्योति को घूरते हुए कहता है.. "क्योंकि नफरत करता हूँ मै तुमसे.... इतनी नफरत जितनी तुम सोच भी नही सकती हो"
ज्योति सीधे से पूछती है और इस नफरत की वजह... 

क्या चल रहा है ज्योति के दिमाग मे ? क्यों नफरत करता है अविनाश ज्योति से? क्या ये मिशन ज्योति हासिल कर पायेगी
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लेक बेंगल्स मिलते हैं अगले चेप्टर मे 

..............बाय बाय........... 

@ थोड़ा सा सब्र कीजिये जल्दी ही आप सब को पता चल जायेगा की ब्लेक बेंगल्स है कौन सस्पेन्स के थोड़ा मजा लीजिये और कंम्मेंट् करते रहिये.....

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3 Comments

madhura

11-Aug-2023 07:09 AM

Nice part

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 01:05 PM

Nice

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Gunjan Kamal

29-Jan-2023 11:32 AM

शानदार

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