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गुलदस्ता

गुलदस्ता

राजीव कुमार झा

आज सुबह की सौगात
बीत गयी वह काली रात
गोरी सपनों में
तुम करती मीठी बात
यह खुशनुमा मन 
सदा रहे
अब तेरे साथ
मेंहदी रचे
तुम्हारे कोमल हाथ
वसंत में हर्ष से
पुलकित पात

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1 Comments

Renu

27-Jan-2023 03:18 PM

👍👍🌺

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