Mahendra Bhatt

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नदियां

विषय:--" नदियां "

लंबी गहरी और बड़ी है नदियां!
सदैव मुसीबत से लड़ी है नदियां!

आएंगे यहां पर सब पाप धोने,
सतत इंतजार में खड़ी है नदियां!

आशा की मंजिल मिल ही जाएगी,
नित बढ़ने की सुखद घड़ी है नदियां!

मन चंगा हो जाता है पावन जल से,
जगमग रूप की फुलझड़ी है नदियां!

इसे बहता देख, जी रहे हैं सभी,
पवित्र नेह की हथकड़ी है नदियां!

जिसने तलाशा है, पाया उसी ने,
रत्न -जटित जादुई छड़ी है नदियां!

धर्म की चादर मैली न हो जाए,
पापियों के पीछे पड़ी है नदियां!

      **महेन्द्र भट्ट
(कवि -लेखक-व्यंग्यकार)
        ग्वालियर

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6 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:49 PM

👍👍🌺

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Ajay Tiwari

25-Jan-2023 03:29 PM

Very nice

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Punam verma

25-Jan-2023 09:26 AM

Very nice

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