Priyanka06

लाइब्रेरी में जोड़ें

लेखनी प्रतियोगिता -24-Jan-2023 मैं हूं नदी

शीर्षक-मैं हूं नदी

बहती हूं मैं कल कल,
मिलकर बनाती तू संगम,
मेरा जल है निर्मल।

पीने को होता स्वच्छ,
बिना रुके चलती हरदम,
पानी की बहती बरकत।

सबसे रहती मिलजुल कर,
अपना रास्ता बनाती स्वयं,
रंगहीन होती लेकिन लगती उज्जवल।

हवाओं के वेग से आवाज उठती सनन सनन,
ऊंची ऊंची लहरों से करती सबको मगन,
धरातल पर है मेरा स्थल।

तारों के प्रकाश से दमकती,
चांद को धरती पर दिखलाती,
ऐसा लगता है जैसे अपने आगोश में समाती।

नदियों का पानी प्रकृति को देता हरियाली,
किसानों के मन को हर्षाती,
पर्यटकों का मन लुभाती।

नदियों की बहती धारा,
अंदाज बड़ा है निराला,
जो देखे करता वाह वाह।

रावी सतलुज गंगा यमुना,
भारत की है यह नदियां,
पावन है यह जलधारा।

जो भी करता स्नान,
बैकुंठ धाम का मिलता स्थान,
भवसागर हो जाता पार।

नदियों का प्रवाह,
दिखाता एक नयी राह,
जीवन में डालता प्रभाव।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

   13
7 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:49 PM

👍👍🌺

Reply

Ajay Tiwari

25-Jan-2023 03:30 PM

Very nice

Reply

Punam verma

25-Jan-2023 09:25 AM

Very nice

Reply