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आंकलन

पिता ऑफिस का काम करने में व्यस्त था. उसका १० साल का बच्चा बार-बार कोई सा कोई सवाल लेकर उसके पास आता और पूछ-पूछकर तंग करता. बच्चे  की इस हरकत से पिता परेशान हो रहा था.

इसका हल निकालते हुए उसने सोचा क्यों ना बच्चे को कोई ऐसा काम दे दूं, जिसमें वह कुछ घंटे उलझा रहे. उतने समय में मैं अपना काम निपटा लूंगा.

अबकी बार जब बच्चा आया, तो पिता ने एक पुरानी किताब उठा ली. उसके एक पेज पर वर्ल्ड मैप (World Map) बना हुआ था. उसने किताब का वह पेज फाड़ किया और फिर उस पेज को कई छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया. वे टुकड़े बच्चे को देते हुए बोला, “यह पेज पर वर्ल्ड मैप बना हुआ था. मैंने इसे कुछ टुकड़ों में बांट दिया है. तुम्हें इन टुकड़ों को जोड़कर फिर से वर्ल्ड मैप तैयार करना है. जाओ इसे जाकर जोड़ो. जब वर्ल्ड मैप बन जाये, तब आकर मुझे दिखाना.”

बच्चा वो टुकड़े लेकर चला गया. इधर पिता ने चैन की सांस ली कि अब कई घंटों तक बच्चा उसके पास नहीं आयेगा और वह शांति से अपना काम कर पायेगा.
लेकिन ५ मिनट के भीतर ही बच्चा आ गया और बोला, “पापा, देखिये मैंने वर्ल्ड मैप बना लिया.”

पिता ने चेक किया, तो पाया कि मैप बिल्कुल सही जुड़ा था. उसने हैरत में पूछा, “ये तुमने इतनी जल्दी कैसे कर लिया?”

“ये तो बहुत ही आसान था पापा. आपने जिस पेज के टुकड़े मुझे दिए थे, उसके एक साइड पर वर्ल्ड मैप बना था, एक साइड पर कार्टून. मैंने कार्टून को जोड़ दिया, वर्ल्ड मैप अपने आप तैयार हो गया.”

पिता बस बच्चे को देखता रह गया.

सीख – अक्सर हम कोई बड़ी समस्या सामने आने पर उसे देख ये सोच लेते हैं कि समस्या बहुत बड़ी है और वो हल हो ही नहीं सकती. हम उसका एक पहलू देखते हैं और अपना दृष्टिकोण बना लेते हैं. जबकि उसका दूसरा पहलू भी हो सकता है, जहाँ से उसका हल बहुत आसानी से निकल आये. इसलिए जीवन में जब भी समस्या आये, तो हर पहलू देखकर उसका आंकलन करना चाहिए. कोई न कोई आसान हल ज़रूर मिल जायेगा.

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