अधूरे जज़्बात भाग :- २१ " सच्चाई जानने की कशमकश "
भाग :- २१ " सच्चाई जानने की कशमकश "
' गुस्से में पीछे मुड़कर न देखें या डर में आगे न देखें बल्कि जागरूकता में चारों और देखें और सब-कुछ ईश्वर पर छोड़ दें । हम गुस्से में पीछे मुड़कर देखते हैं और उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने हमें चोट पहुॅंचाई है या जिनसे हमें निराशाएं मिलीं और जिनके कारण हमने दुःख सहन किया । हम इस संभावना के डर से तत्पर रहते हैं कि हम ऐसा करेंगे तो अपने खास को खो देंगे , उसके दूर जाने से दुखी हो जातें हैं लेकिन ऐसे में हमें गुस्से और डर को दरकिनार कर जागरूक रहने की जरुरत है । यह तों वही हों रहा है जिसे नियति ने करने के लिए चुना है और यह हमारे कर्मों का ही तों हिसाब है ।' सुजाॅय अपने बेडरूम में छत को घूरते हुए सोच के समंदर में गोते लगा रहा था ।
' कल मैंने शिविका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया । मैं तो लड़कियों की इज्जत करता हूॅं , मुझसे यह गलती कैसे हों गई ? उसके प्रति गुस्से ने मेरे विवेक को ऐसा कर दिया था कि मैं उसे दुखी करने चला गया । पापा ने जैसे ही मुझे बताया कि अगले एक महीने के भीतर ही शिविका के साथ मेरी शादी है , मैं तों पागल हो गया था । बार - बार अरण्या का चेहरा मेरी ऑंखों के सामने घूमने लगा और उसके प्रति मेरे जज्बातों ने मेरे भीतर ऐसा तूफान मचाया कि मैं शिविका से बदला लेने उसके घर तक चला गया । मुझे कल वहाॅं नहीं जाना चाहिए था । मेरा दिल दोनों को गुनहगार नही मान रहा । शिविका ने तों मुझे नहीं कहा था कि मैं अरण्या से प्यार करूं और ना ही अरण्या ने ही ऐसा कुछ मुझे कहा जिससे कि मुझे उससे प्यार हों जाएं । वह तो मैं था जिसे पहली नजर में ही अरण्या से प्यार हो गया । मैंने ही उसके प्रति अपने जज्बातों को हवा दी , वों भी यह जानते हुए कि मेरे पापा ने जिस लड़की से मिलने मुझे डेट पर भेजा है वह अरण्या नहीं बल्कि कोई और है । दोनों लड़कियां मुझसे शादी नहीं करना चाहती । एक लड़की वह है जिससे मैं शादी करना चाहता हूॅं लेकिन उसे तों मुझसे नहीं बल्कि अपने सपने से प्यार है । दूसरी वह लड़की है जिससे मेरे डैडी मेरी शादी कराना चाहते है लेकिन ना तो मुझे ही उससे प्यार है और ना ही उसे मुझसे । अगर अरण्या को मुझसे प्यार हों भी जाता तों क्या मैं उससे शादी करने के लिए तैयार होता ?' अचानक ही दिमाग में आएं इस ख्याल ने सुजाॅय के मन की पीड़ा को और बढ़ा दिया ।
' अरू ! अगले एक महीने में मेरी और सुजाॅय की शादी है ।' शिविका ने अरण्या की तरफ ध्यान से देखते हुए कहा ।
शिविका की बातें सुनकर अरण्या का दिल दुखा लेकिन अपने दुख को उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया ।
' बहुत - बहुत बधाई बहन ।' अरण्या ने शिविका को गले लगाते हुए कहा ।
शिविका से गले लगते ही अरण्या के दिल का दर्द उभरता हुआ उसकी ऑंखो में ऑंसू के रूप में आ गया और उसके गालों को भिंगोने लगा। अरण्या , शिविका के गले लगी रही ।
' तू ठीक तो है अरू ?' शिविका ने अरण्या से पूछा ।
' मैं ठीक हूॅं बहन ! एक तों मैं यहाॅं से जाने वाली हूॅं और दूसरे तेरी शादी की बात सुनकर थोड़ा भावुक हो गई थी ।' अरण्या ने अपने ऑंसू पोंछे और मुस्कुराते हुए कहा ।
अरण्या के जाने की बात तों वह भूल ही चुकी थी । उसके जाने की बात ने शिविका की ऑंखो में भी ऑंसू ला दिए । दोनों कुछ देर तक यूं ही गले लगी रही ।
' मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी अरू ।' शिविका ने कहा ।
' मैं भी । तुम्हारे जैसी दोस्त मुझे अब तो मिलेगी नहीं इसलिए तुम से ही काम चलाना पड़ेगा । काम चला लूंगी तुम चिंता मत करना बहन ।' अरण्या ने शिविका को चिढ़ाते हुए कहा ।
' अच्छा ! अब मैं तुम्हारे लिए काम चलाऊ फ्रेंड हों गई ।'
शिविका ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए मुॅंह बना कर कहा ।
' तुम तो नाराज़ हो गई । मैं तो बस मजाक कर रही थी । हम दोनों एक-दूसरे के काम चलाऊ फ्रेंड नहीं बल्कि बेस्ट फ्रेंड है ।' अरण्या ने कहा ।
' मैं भी तो मजाक कर रही थी ।' शिविका ने अरण्या की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कहा ।
दोनों फिर से एक-दूसरे के गले लग गई ।
' एक बात बता शिबू ! कल तो हमने आपस में यह विचार किया था कि तुम अंकल जी को अपनी पहचान बनाने वाली बात कहोगी । अंकल जी ने तुम्हें मना कर दिया क्या ?' अरण्या ने शिविका से पूछा ।
' समय ही नहीं मिला । घर जाते ही पापा से मुलाकात हुई और साथ में सुजाॅय से भी ।' शिविका ने कहा ।
' सुजाॅय तुम्हारे घर आएं थे ?' अरण्या ने शिविका से पूछा ।
' हाॅं ! आया था और मुझे खरी-खोटी सुना कर गया । एक तरह से उसने मेरे साथ सही ही किया । आज जों उसकी हालत है वह मेरी वजह से ही तों है ।' शिविका ने कहा ।
' तेरी वजह से ? ऐसा क्या कह दिया उन्होंने कि तुम अपने आप को दोषी मान रही हो ?' अरण्या ने शिविका की ऑंखो में झांकते हुए पूछा ।
' सुजाॅय को तुमसे प्यार हों गया है यह तो तुम जानती ही हो । कल उसने मुझसे यह बात कही भी थी कि वह तुम्हें पसंद करता है ।' शिविका ने कहा ।
' मेरा यकीन करो हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है शिबू ।' अरण्या ने कहा ।
' ऐसा कुछ नहीं है तो वह तुम्हारी बात मान कर मुझसे शादी करने के लिए क्यों राजी हो गया ।' शिविका ने कहा ।
' मेरी बात मान कर ? ऐसा सुजाॅय ने तुम्हें कहा ? ' अरण्या ने थोड़ी देर रूक कर कहा ।
' तुमने उससे कहा था ना कि मैं बहुत अच्छी लड़की हूॅं
और उसे मुझसे शादी कर लेनी चाहिए ।' शिविका ने कहा ।
' यह बात तो मैं तुम्हें भी कह रही हूॅं कि सुजाॅय बहुत अच्छा लड़का है । जल्दी से शादी कर ले वर्ना मेरी जैसी कोई खुबसूरत लड़की उड़ा ले जाएगी और तू देखती ही रह जाएगी ।' अरण्या ने शिविका से मुस्कुरा कर कहा ।
' अच्छा ! तेरे जैसी लड़की ही क्यों तुम क्यों नहीं ?' शिविका ने अरण्या की तरफ देखते हुए कहा ।
' मैं अभी शादी नहीं कर सकती । मुझे तो अभी अपने सपने को पूरा करना है जिसके लिए मुझे इस देश से दूर , तुमसे दूर और यहाॅं तक कि सुजाॅय से दूर जाना ही होगा तभी तो मैं अपने बचपन से देखें सपने और अपने पिता को दिया वचन पूरा कर पाऊंगी ।' अरण्या ने शिविका की तरफ देखते हुए कहा ।
शिविका की सोच अरण्या की बातें सुनकर एक अलग ही दिशा में मुड़ने लगी ।
' कुछ देर पहले मेरी ऑंखों ने जों कुछ भी देखा था क्या वह गलत था ? मेरी ऑंखों ने सुजाॅय के बारे में बातें करते हुए अरण्या की ऑंखो में डर और खुशी दोनों को ही देखा हैं । तो क्या अरण्या को भी सुजाॅय से प्यार है या यह सिर्फ मेरी ऑंखों का धोखा है ? क्या यह मेरा वहम है ?' इस जैसे अनगिनत सवाल शिविका अपने आप से ही पूछती जा रही थी जिसका जवाब उसे मिलना बाकी था ।
क्रमशः
" गुॅंजन कमल " 💗💞💓
Seema Priyadarshini sahay
06-Dec-2021 06:17 PM
बहुत खूबसूरत भाग
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Chirag chirag
02-Dec-2021 09:19 PM
Nice part
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Miss Lipsa
13-Sep-2021 10:52 PM
Nice
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