Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Jan-2023 बीतती उम्र बेनी लाल की

बेनी लाल की आयु 10 वर्ष थी। वह सुबह जल्दी उठता था। और उसे किसी भी खेत में काम करने को मिल जाता था तो वह बड़ी ईमानदारी और मेहनत से करता था।


 बेनी लल के जीवन का अर्थ सिर्फ यही था कि खूब मेहनत करो और पेट भर कर खाना खाओ। बेनी लाल के साथ के सारे बच्चे विद्यालय जाते थे लेकिन वह सुबह से ही काम की तलाश में खेतों में चला जाता था। क्योंकि बेनीलाल अनाथा।

 खेत में शाम तक काम करने के बाद बेनी लाल फावड़े खुरपी खेती का सामान ईमानदारी से एक जगह समाल कर रखता था। और ट्यूबवेल पर नहा धोकर जब खेत के मालिक के पास आता था, तो खेत का मालिक उसे अपने घर ले जाता था। और 10-12 रोटी सब्जी अचार छाछ आदि खाने की चीजें देते था। खेत के सारे  मालिक किसान बेनी लाल को सिर्फ खाना देते थे पैसे नहीं।

 बेनीलाल खाना लेने के बाद खाने के थैले को बड़े प्यार से अपने कंधे पर टांग लेता था। और अपने घर आराम से पहुंचकर चारपाई बिछाकर खाने को धीरे-धीरे स्वाद ले ले कर खाता था। कभी-कभी बेनीलाल ज्यादा थका होता था तो खाना खाते खाते सो भी जाता था।

बेनी लाल रोज सुबह जल्दी उठकर खेतों की तरफ  काम ढूंढने जाता था, तो उसे जब रास्ते में बच्चे खेलते हुए मिलते थे, तो उसका भी मन करता था खेलने कूदने का। लेकिन बेनी लाल मजबूर था, उसे पता था कि अगर अभी मैं खेलूंगा तो शाम को पेट भर कर खाना कहां से खाऊंगा।

खेतों के मालिक किसान भी बेनीलाल का इंतजार करते थे, और कोई ना कोई किसान मेहनती ईमानदार बेनी लाल को जरूर काम दे देता था।

बेनीलाल जब खेत में काम करता था तो खेत के आसपास या खेत के अंदर कोई हिरण खरगोश मोर उसे मिल जाता था तो वह उसके पीछे भाग भागकर अपने खेलने कूदने की इच्छा पूरी कर लेता था।

 उम्र बीतने के साथ-साथ बेनी लाल एक सुंदर हट्टा कट्टा मजबूत युवक हो जाता है। बेनी लाल ने अपने जीवन में खाने के अलावा नशीली चीजों से हमेशा दूरी बनाकर रखी थी। बेनी लाल ने बचपन से युवावस्था तक सिर्फ मेहनत और भूखा का ही नशा किया था।

 और समय बीतने के बाद बेनी लाल के आयु के पुरुष अब खस्ते हुए या डंडा टेककर चलते हुए गांव में दिखाई देते थे। 

गांव के किसान ईमानदार भोले भाले सीधे-सादे बेनी लाल की एक घरेलू और सुंदर लड़की से सब मिलकर शादी करवा देते हैं। और कुछ ही वर्षों में बेनीलाल एक बेटे और बेटी का पिता बन जाता है। अब समय के बीतने के साथ-साथ बेनी के जीवन में खुशियां बढ़ती जा रही थी। उसकी खुशी उस दिन और बढ़ जाती है, जब वह अपने बेटे का विवाह करके बेटे की बहू घर ले आता है। और दोनों बाप बेटे मिलकर अपनी खुद की खेती की जमीन खरीद लेते हैं। बेनी लाल की आयु के बीतने के साथ-साथ उसकी खुशियां भी दुगनी बढ़ जाती है और जब उसकी आयु वृद्धावस्था में पहुंचती है तो उसे जीवन के पूरे सुख मिल जाते हैं।

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6 Comments

अच्छा लिखा है आपने

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shweta soni

03-Jan-2023 06:42 PM

Bahut sunder 👌

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