Raziya bano

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एक दिन तुझसे मिलना है


एक दिन तुझसे मिलना है और ये तुझसे कहना है
तेरी मर्जी हो या न हो तेरी कुर्बत में मुझको रहना है
बहुत थक गई हूं फासलों में तन्हा जीते जीते मैं  तो
अब तो इस जुदाई के ग़म को मुझको नहीं सहना है 

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3 Comments

Abhilasha deshpande

24-Dec-2022 07:27 PM

Nice

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Sachin dev

24-Dec-2022 06:59 PM

Well done

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