कबीर दास जी के दोहे
प्रेम प्याला जो पिए , शीश दक्षिणा दे
लोभी शीश न दे सके , नाम प्रेम का ले।।
अर्थ :
कबीरदास जी कहते हैं कि जो प्रेम का अनुभव करना चाहता है उसे अपना जीवन न्योछावर करने के लिए तैयार होना चाहिए। लालची और स्वार्थी मनुष्य कुछ भी त्यागने में असमर्थ हैं, वे प्रेम की केवल बातें कर सकते हैं, अनुभव नहीं।