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कबीर दास जी के दोहे



दया भाव ह्रदय नहीं , ज्ञान थके बेहद 
ते नर नरक ही जायेंगे, सुनी-सुनी साखी शब्द ||

अर्थ :


कबीर दास जी कहते हैं कि कुछ लोगों में न दया होती है और न हमदर्दी मगर वे दूसरों को उपदेश देने में माहिर होते हैं। ऐसे व्यक्ति, और उनका निरर्थक ज्ञान नर्क को प्राप्त होता है।

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