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कुण्डलिया




कुण्डलिया


मोहक बनने के लिये, कर उर का विस्तार।

अति संवेदनशील हो, कर दुःख का उपचार।।

कर दुःख का उपचार,सभी को ढाढ़स देना।

मीठी वाणी बोल, हृदय की पीड़ा हरना।।

कह मिश्रा कविराय,बने जो दुःख का मोचक।

वही विश्व का मीत,धरा पर दिखता मोहक।।

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1 Comments

Sachin dev

15-Dec-2022 05:34 PM

Well done ✅

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