सुहाना
सुहाना
मुझको सुहाना सफर चाहिये।
इक सुंदर सा प्रिय हमसफ़र चाहिये।।
दिलदार का आगमन चाहिये।
मौज-मस्ती मेँ डूबा जिगर चाहिये।।
बस्ती सुहानी में घर चाहिये।
मुझे एक पावन नगर चाहिये।।
जहाँ जाऊँ देखूँ सुघर सा नजारा।
मुझे प्रिय लुभावन डगर चाहिये।।
नजरों में सबकी सलोनी अदा हो।
मनोहर सा मंजर सदर चाहिये।।
सुंदर हो उत्तम हो पावन जमीं हो।
यही इक मनोरम मगर चाहिये।।
हों हमसफ़र प्रिय सुहाना सरासर।
साथी पथिक सब सुघर चाहिये।।
थमे मुश्किलों का यह ताता पुराना।
सहज जिंदगी का उमर चाहिये।।
Sachin dev
14-Dec-2022 03:24 PM
Well done
Reply