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कशिश





कशिश        (चौपाई)


कशिश रहे बस यह प्रयास हो।

मन प्रिय सुंदर अनायास हो।।

दिल से सबको आकर्षित कर।

दया भाव का बन उत्तम घर।।


खींचो सबको पास बुलाओ।

सबको अंतःपुर में लाओ।।

खेला खेलो प्रेम रसिक बन।

दे कर देखो अपना तन-मन।।


पैदा करना कशिश निरन्तर।

आत्मवाद का खेत सींच कर।।

आकर्षण को पैदा करना।

मनमोहक बन उर में रहना।।


खींचो सबको खिंचो हर तरफ।

एक बनाओ बनो हर तरफ।।

एक इकाई बने व्यवस्था।

सबसे सुंदर यही अवस्था।।


हो रुझान अति दिव्य मनोहर।

झुक कर रहना सीख चरण पर।।

कुचल पैर से अहंकार को।

सेवन करना निर्विकार को।।


कशिश बनो बन जाओ उत्तम।

आकर्षण से बन पुरुषोत्तम।।

अनुपम मूल्य कशिश का जानो।

इस अमूल्य निधि को पहचानो।।





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2 Comments

Rajeev kumar jha

12-Dec-2022 03:45 AM

बहुत सुंदर

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Sneh lata pandey

11-Dec-2022 11:31 PM

👌👌👌🌹

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