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आत्मचिंतन





आत्मचिंतन    (चौपाई)


अपने बारे में ही चिंतन।

करता अपने भीतर नर्तन।।

खुद में बैठा करता मंथन।

खुद को देता खुद अभ्यर्थन।।


मन को नियमित केंद्र बनाकर।

मन को अपना विषय बनाकर।।

बौद्धिक बनकर सोचा करता।

दुःख के आँसू पोंछा करता।।


आत्मा पर हो ध्यानावस्थित।

आत्म क्षेत्र में खड़ा उपस्थित।।

सोचा करता ध्यान लगाकर।

होता चकित आत्म देखकर।।


बाह्य जगत से कट कर रहता।

स्वयं स्वयं की कहता सुनता।।

अंतर्मुखी बना यह चिंतक।

पढ़ता रहता स्वयं अंत तक।।


मानव बनने की जिज्ञासा।

गढ़ता अपनी खुद परिभाषा।।

चाह रहा बनना उद्धारक।

खुद का खुद से बना सुधारक।।


इस चिंतन में पावनता है।

सच्चे मन की शीतलता है।।

सुचिता से अभिमंत्रित अंतस।

इसे चाहिये सिर्फ ज्ञान-यश।।






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3 Comments

Muskan khan

12-Dec-2022 07:50 PM

Well done

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Rajeev kumar jha

12-Dec-2022 03:42 AM

शानदार

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Sneh lata pandey

11-Dec-2022 11:30 PM

👌👌👌👌

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