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संबन्ध





संबन्ध


संबन्धों में इकजुटता हो।

सदा परस्पर में मधुता हो।।

भेदभाव से रहित सभी हों।

निष्कामना सहज मन में हो।।


संबन्धों को दें आकर्षण।

दूर करें सारे संघर्षण।।

मन में सबके प्रीति ज्योति हो।

दिल से मानव प्रिय विभूति हो।।


हर मानुष हितकारी होये।

सदा प्रेम की पूड़ी पोये ।।

नहीं किसी का काम बिगाड़े।

सहयोगी बन खूँटा गाड़े।।


दे कर समय डटे सहयोगी।

आये काम दिखे जिमि योगी।।

अपना और पराया भूले।

छूता हृदय सभी का डोले।।


बात करे तो लगे सरस है।

व्यवहारों में प्रेम दरश है।।

बनकर वातावरण सुगन्धित।

दिखे सब जगह शिवमय वन्दित।।


अपने दिल की होय सफाई।

पालन करें सभी अच्छाई।।

दिनकर निकलें सोना बनकर।

हो स्वर्णिम समाज अति रुचिकर।।


दूषित वृत्ति श्वांस अंतिम ले।

शुचि भावों का बीज नित पले।।

शीघ्र पतन हो दुर्गंधों का।

शिव सावन हो संबन्धों का।।





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2 Comments

Muskan khan

12-Dec-2022 07:47 PM

Superb

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Rajeev kumar jha

12-Dec-2022 03:42 AM

शानदार

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