Simran Ansari

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भलाई

भलाई का ज़माना नहीं,


फिर भी भले बने घूमते हो;

बुरे खुद की नजरों में

उनके भले बने रहते हो,

क्या सिला मिलता है?

इतनी भलाई का,

जख्म दिल के अपनी हथेली पर

खुले लिए घूमते हो;

भला करके उनका,

कब्र खुद की खोदते हो 

दिखाई भी नहीं देती 

उन्हें भलाई तुम्हारी,

फिर भी अपनी अक्ल पर

पर्दा डाले घूमते हो!


समाप्त।।।

Simrana



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7 Comments

Miss Lipsa

02-Sep-2021 09:32 PM

Waah

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Niraj Pandey

02-Sep-2021 12:11 PM

वाह

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Swati chourasia

02-Sep-2021 06:56 AM

Very nice 👌

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