लेखनी प्रतियोगिता -24-Nov-2022 अमानुष
ब्रिटिश काल के एक पुराने चर्च के पास पादरी साहब को एक अनाथ नवजात शिशु मिलता है। पादरी साहब उसका नाम मसीहा रखते हैं।
जब वहबच्चा 10 वर्ष का होता है, तो पादरी साहब को एहसास होता है की मसीहा की बुद्धि 10 वर्ष की आयु में 5 वर्ष के बच्चे जैसी है। पादरी साहब शहर के बड़े बड़े डॉक्टरों से उसका इलाज करवाते हैं। लेकिन इलाज के बाद भी कोई खास फायदा नहीं होता है।
पादरी साहब अपनी गरीबी से असहय होकर मसीह की अच्छी परवरिश और अच्छे इलाज के लिए मसीहाकोगांवकेसज्जनऔरईमानदारजमीदार को सौंप देते हैं।
जमीदार के 4 पुत्र थे। वह अपने पिता के विपरीत बुरे स्वभाव के थे। जमीदार जी प्यार से मसीहा का नाम भोलेनाथ रखते हैं। अमीर जमीदार के घर भोलेनाथ को स्वादिष्ट भोजन मिलता था। वह स्वाद स्वाद में इतना भोजन खा जाता था की वह बीमार पड़ जाता था।
भोलेनाथ की 18 वर्ष की आयु मैं बुद्धि का विकास 8 वर्ष के बच्चे जैसा होता है। जमीदार के निधन के बाद जमीदार के चारों लड़केभोलेनाथ को शेखचिल्ली कहकर घर से भगा देते हैं।
एक दिन गांव के बाहर जंगल में तैयब हकीम को भोलेनाथ एक गधे के बच्चे के साथ सूखी घास खाता दिखाई देता है। तैयब हकीम ने ऐसे कम बुद्धि वाले मनुष्यों की बुद्धि को पहले भी अपने नुस्खों से काफी हद तक बढ़ाया था। पहले तैयब हकीम जमीदार के बेटे की पत्नी को दवाई देकर अनाथ भोलेनाथ की पूरी जानकारी लेकर इलाज के लिए अपने घर ले आते हैं। और अनाथ भोलेनाथ की जिद पूरा करने के लिए एक गधे का बच्चा भी उसके लिए खरीद करलाते हैं।
तैयब हकीम की 16 वर्ष की सुंदर रुकैया नाम की बेटी थी। और एक 9 बरस का असलम नाम का बेटा था। उनकी पत्नी का निधन हो चुका था। अनाथ भोलेनाथ को परिवार मिल जाता है। और दो अच्छे मित्र।
हकीम साहब भोलेनाथ का नाम प्यार से रहीम रखते हैं। रहीम की सबसे बड़ी कमजोरी थी की गांव में कहीं भी दावत हो वह बिना निमंत्रण दावत खाने पहुंच जाता था। दूसरा रहीम को शादी विवाह के बैंड बाजे पर नाचने का शौक था। और अपने गधे से बहुत ज्यादा प्यार था।
हकीम साहब केइलाज से धीरे-धीरे रहीम की मंदबुद्धि का विकास होने लगता है। हकीम साहब को जब पता चलता है कि उनकी बेटी रुकैया को रहीम को पढ़ाते पढ़ाते रहीम से मोहब्बत हो गई है, तो वह रुकैया का निकाह रहीम से कर देते हैं।
लेकिन रहीम की गधे को भी दूल्हे जैसे तैयार करने की जिंद से रुकैया के छोटे भाई को बहुत अपमान महसूस होता है। और वह रुकैया और रहीम के निकाह के 2 हफ्ते के बाद गधे को दूर जंगल में छोड़ आता है।
रहीम के लिए गधा उसके छोटे भाई जैसा था रहीम आधी रात को ही अपने गधे को ढूंढने निकल जाता है। गधा भी रहीम को बहुत प्यार करता था। इसलिए गधा रहीम को पीपल के पेड़ के नीचे बैठा देखकर उसके पास खुद आ जाता है। रहीम गधे को देखकर खुशी से गधे के गले लग जाता है।
और दोनों अपने गांव की तरफ चल पड़ते हैं। गर्मी का मौसम था। टीका टॉक दोपहरी थी और लू चल रही थी। वह कहावत है ना कि चील अंडे दे रही थी। ऐसी गर्मी थी। रहीम को तेज भूख प्यास लग रही थी। रहीम और गधे पर ऊपर वाले की कृपा थी। दोनों को खेतों के कच्चे रास्ते पर छोटे से प्राचीन माता मनसा देवी मंदिर पर आलू पूरी हलवे का भंडारा मिल जाता है। दोनों खूब पेट भर कर खाते हैं। और डटकर ठंडा ठंडा कुएं का पानी पीते हैं। ज्यादा खाना खाने के बाद दोनों को नींद आने लगती है। और दोनों पुराने बरगद के पेड़ के नीचे सोने जाते हैं।
बरगद की छांव में अपराधी किस्म के 4 लोग पहले से बैठे हुए थे। उसी समय एक नई नवेली दुल्हन अपने पति के साथ जो अपनेमायके जा रही थी। पुराने बरगद के पेड़ के नीचे से गुजरती है। दुल्हन ने बहुत से सोने चांदी के जेवर पहन रखे थे।
जो 4 लोग पहले से वहां बैठे थे। वह चारों नामी चोर थे।
जैसे ही नईनवेलीदुल्हन और उसका पति पुराने बरगद के पेड़ के नीचे से गुजरते हैं। वह चारों चोर उन्हें लूटने के इरादे से उन पर हमला कर देते हैं। और दुल्हन के जेवर लूटने के बाद उसकी इज्जत लूटने की कोशिश करते हैं। दुल्हन के पति को भी बहुत मारते हैं। नई नवेली दुल्हन और उसके पति की चीख पुकार सुनकर रहीम चोरों पर हमला कर देता है। गधा रहीम से बहुत प्यार करता था। वह रहीम को मुसीबत में फंसा देख चोरों से भीड़जाता है। पकड़े जाने के डर से एक चोर गधे की गर्दन तेज धार वाले चाकू से धड़ से अलग कर देता है। दूसरा चोर रहीम के सीने में त्रिशूल को धोप देता है। लेकिन रहीम और गधा नई नवेली दुल्हन और उसके पति को बचा लेते हैं।
उसी समय सामने से कुछ लोग आ जाते हैं। उन लोगों में एक मंदिर का पुजारी था। और एक मस्जिद का मौलवी उनके साथ कुछ हिंदू मुसलमान लोग भी थे। मंदिर का पुजारी कहता है , " शायद चोर मुसलमान थे, तभी तो उन्होंने कितनी बेरहमी से गधे को हलाल किया है।"
मस्जिद का मौलवी कहता है "नहीं चोर हिंदू थे, उन्होंने इस व्यक्ति के सीने में त्रिशूल घोपा कर इसे जान से मारा है।
कुछ महीनों बाद यह चर्चा चारों तरफ फैल जाती है कि रहीम और उसके गधे की पवित्र आत्मा पुराने बरगद के पेड़ के नीचे से हर आने जाने वाले यात्री की मदद करती है। यह खबर सुनकर धर्म के कुछ हिंदू मुसलमान ठकेदारहिऺदुहबरगद के पेड़ के नीचे यह कहतेहै कि चोरों ने गधे को चाकू से हलाल किया है, इसलिए चोर मुसलमान थे। यहां दोनों पवित्र आत्माओं का मंदिर बनेगा।
और मुसलमान कहते हैं कि चोरों ने रहीम को त्रिशूल सीने से मारा है। इसलिए चोर हिंदू थे, यहां दोनों की पवित्र रूह की मजार बनेगी दोनों पक्षों की यह बहस एक गांव से दूसरेफिर पूरे जिले में फैल जाती है। लेकिन कोई हल न निकलने की वजह से पूरे जिले में हिंदू मुस्लिम दंगा हो जाता है। और पूरे जिले में सरकार को कर्फ्यू लगाना पड़ता है।
इस दंगे में रहीम की गर्भवती पत्नी रुकैया के पिता हकीम साहब दंगाई हत्या कर देते हैं। रहीम की गर्भवती पत्नी रुकैया पति और पिता की मौत से बहुत दुखी थी।उसीरात चारों चोर रुकैयाके पास आते हैं। और रहीम के गधे की मौत और दंगे फसाद में मासूम लोगों की मौत का अपने को जिम्मेदार मान कर रुकैया से माफी मांगते हैं। और पुलिस के सामने आत्मसर्पण करने के लिए तैयार हो जाते हैं। उनमें से एक चोर कहता है "मेरा नाम राजेंद्र है। और इसका बलवीर। फिर दूसरा चोर कहता है "मेरा नाम सलीम है और इसका नाम रहमान है।" फिर चारों चोर कहते हैं "इस दंगे में हमारे रिश्तेदारों परिवार वालों की भी मौत हुई है। हमारे घरों को भी जला दिया गयाहै। हम दंगा फसाद खत्म करने के लिए पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार है।
दूसरे दिन सुबह रुकैया चारों के साथ थाने जाकर पुलिस और जनता को बताती है कि कैसे एक मासूम अनाथ बच्चा मसीहा भोलेनाथ फिर रहीमबना और कहती है वह सिर्फ सीधा-साधा मानव था। उसका कोई धर्म नहीं था। चारों और रुकैया की यह बात धीरे-धीरे पूरे जिले में फैल जाती है और दंगा खत्म हो जाता है। और जनता के प्यार और कहने से रुकैया आने वाले चुनाव में एमपी के पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार खड़ी हो जाती है। और रूकैयाचुनाव जीत जाती है। एमपी बनने के बाद रुकाई सिर्फ विकास करती है। रुकैया के राज में चारों तरफ भाईचारा हो जाता है। क्षेत्र की जनता को अंधेरे से आती रोशनीकीकिरण रुकैया के रूप में दिखाई देती है।
Mohammed urooj khan
25-Nov-2022 12:12 PM
👌👌👌👌
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Gunjan Kamal
24-Nov-2022 06:20 PM
👌👌
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