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छोरियां




कविता

छोरियां

राजीव कुमार झा


यह सब पागलपन  है 
जिसने इसे ठुकराया
 उससे इतनी मुहब्बत
 क्यों किसे  होगी
क्या यह मुहब्बत  है ?
इश्क जुनून होता
इसमें आदमी 
जान ही नहीं देता
वह किसी का
प्राण भी ले लेता
ऐसे में दिल के
 फरेब को
 कोई रंगरेज ही
अब ठीक से 
समझ पाता
इश्किया रंगों से
गुलज़ार छोरियां
इन सारे सच्चे
किस्सों को सुनकर
खूब हंसती
बाहर पागलों से
नजर बचाकर
दफ्तर की सूनी
गलियों से निकलतीं


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4 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 08:14 PM

शानदार प्रस्तुति

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Sachin dev

11-Nov-2022 06:40 PM

Well done ✅

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Khushbu

11-Nov-2022 06:16 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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