*लेखनी प्रतियोगिता*
*8 नवंबर,2022*
स्वैच्छिक विषय: मोहिनी
रूप मोहिनी दिव्य रूपसी, अतिशय प्यारी सुंदर नारी।
सहज लुभाती है लोगों को, जीवन उपवन की यह प्यारी।।
ब्रह्मा जी की यह रचना है, बड़े प्रेम से गढ़ी गई हैं।
दुनिया करती इसका पूजन, धर्म ग्रंथ सी पढ़ी गई है।।
इसको पाता भाग्यमान ही, प्रिया पार्वती शंकर की है।
यह लक्ष्मी है नारायण की, राधा कृष्ण मयंकर की है।।
अति मधु चपला बहुत सुहावन, सदा सरस रस बनकर बहती।
मौनव्रती मादक मस्ती में, शांत रसिक बन सब कुछ कहती।।
गज गामिन सी चलाती रहती, प्रेम सुधा वह बरसाती है।
जो कुपात्र इस धरा धाम पर, नित उनको यह तरसाती है।।
बहुत जटिल है परम सरल है,सत्पात्रों को उर में रखती।
करती रहती प्यार निरंतर, अंतःपुर में सतत मचलती।।
मोहित होती विद्वानों पर, जिनके भीतर कपट नहीं है।
छल छद्मों से नफरत करती, कभी स्वार्थ की लपट नहीं है।।
है चरित्र जिसका अति पावन, उसपर सदा लुभाती है वह।
जो विनम्र शालीन सनातन, दिल में उसे सजाती हैं वह।।
रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१
Swati chourasia
09-Nov-2022 10:33 AM
बहुत ही बेहतरीन रचना 👌
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Abhinav ji
09-Nov-2022 09:12 AM
Nice👍
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Punam verma
09-Nov-2022 07:59 AM
Very nice
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