Gunjan Kamal

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कर्मस्थली

भाप की शक्ति से चलनेवाला पहला इंजन बनते ही  रेलगाड़ियों  का जन्म हुआ था उसके बाद से  रेल की पटरियों बिछाई जाने लगी ।  रेल के इंजन और बोगियाँ बनी ।   रेलवे प्लेटफॉर्म भी  बने। इन्हीं से गुजरती सैकड़ों  गाड़ियों को  प्रतिदिन चलते हुए इन नजरों ने देखा  हैं । देखा क्या है प्लेटफॉर्म पर खड़े यात्रियों के सामानों  को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के बाद मिली धनराशि से  अपने परिवार का भरण-पोषण भी किया है । दोनों बच्चों को पढ़ा-लिखा कर बड़ा बनाने की चाहत रखना  मेरे जैसे छोटे लोगों का सपना ही तो होता है लेकिन मेरे सपने पूरे हुए ‌। आज  बड़ा बेटा इस लायक हो गया है कि खुद का अपना  घर है । सरकारी  नौकरी  करता है । ईश्वर की कृपा से किसी चीज की कमी नहीं है उसको ।

अपने बड़े भाई की देखा-देखी ही  छोटा बेटा भी इतना समझदार निकला  कि बड़े बेटे के ही नक्शे-कदम पर चलते हुए उसने भी  अपनी अलग ही दुनिया बसा ली है । जिंदगी भर जिनके लिए  दुनिया  का बोझ उठाता रहा आज वें इस  काबिल होकर भी मेरा बोझ नहीं उठा पा रहे हैं । मेरे जिस काम करने की वजह से आज  उनका वर्तमान सुधरा है और भविष्य भी सुरक्षित है वही मेरा काम आज उन्हें शर्मिंदगी का एहसास कराता है ।

मेरी कर्मस्थली यह प्लेटफॉर्म कल तक  मेरा और मेरे परिवार का  पेट भरती थी लेकिन  आज यह ना  सिर्फ मेरा पेट भरती है बल्कि  अब यही मेरा  घर भी है । मैं अब ऐसे स्थान पर  नहीं रहता जहां मेरे काम की कोई इज्जत ही ना करता हों । नाम से अपने कहें जानें वालें अपनों के बीच ना रहने पर तकलीफ तो होती है लेकिन उससे भी अधिक तकलीफ मैंने उनके साथ रहकर सहन की हुई  है । अब  यह प्लेटफॉर्म ही घर हैं मेरा और मेरे साथी मेरा परिवार ।

"अकेले बैठे - बैठे क्या सोच रहा है ? तैयार हो जा । २२२१  गाड़ी के आने का समय हो रहा है ।" अपने साथी की बातें सुनकर मैं अपनी उस   दुनिया से बाहर निकल आया जिस दुनियां में रहने वालों मेरे अपनों ने मुझे हमेशा के लिए छोड़ दिया था ।

कुली की वर्दी और  नंबर बैच  पहन कर मैं रेलवे स्टेशन के कुली विश्राम गृह से अपनी कर्मस्थली उस  प्लेटफार्म नंबर  की तरफ चलने लगा जिसपर २२२१ गाड़ी आने की अनाउंसमेंट अभी कुछ देर पहले ही हुई थी ।


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                                                 धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻


गुॅंजन कमल 💗💞💓

२०/१०/२०२२


# दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय 


# लेखनी

# लेखनी कहानी

# लेखनी कहानी सफर 


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4 Comments

Pratikhya Priyadarshini

20-Oct-2022 09:38 PM

Bahut khoob 💐🙏

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Renu

20-Oct-2022 09:35 PM

बहुत ही बेहतरीन 👍👍

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बहुत खूब स्टोरी मेम!👍👌 हृदयस्पर्शी और मार्मिक है कहानी।❤️ सामाजिक, परिवारिक और प्रेरक भी! आपने कहानी का जिक्र भी बहुत अच्छे से किया पढ़ने में अच्छा लगा।

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