Gunjan Kamal

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अधूरे जज़्बात भाग :- ९ " जज्बातों का खेल "

                     भाग :- ९   " जज्बातों का खेल " 

दोनों दोस्त सुजाॅय और मनोज बहुत देर तक एक - दूसरे से बातें करते रहे अपने मन में उठ रहे जज्बातों के सैलाब को अपने जिगरी दोस्त को कहकर सुजाॅय के चेहरे पर संतोष का भाव था लेकिन साथ ही भविष्य के प्रति चिंताएं की कुछ लकीरें भी थी

जब किसी के चेहरे पर एक के बाद एक भाव उभरने लगे तों सामने वाले के लिए यह समझना आसान हो जाता हैं कि व्यक्ति किसी दुविधा में फॅंसा है और यह बातें मनोज अपने दोस्त के चेहरे पर देख चुका था , वह देख चुका था कि उसका दोस्त उस लड़की से मिलने के बाद खुश तो हैं जो उसके चेहरे पर भी दिख रही है लेकिन साथ ही अपने दोस्त के चेहरे पर उभरी चिंताएं की लकीरें उसे और भी कुछ सोचने पर बाध्य कर रही थी

' अरण्या जी ! क्या हम कल दूसरी डेट पर मिल सकते हैं ?'     लगभग पचासों बार इस मैसेज को लिखने के बाद सुजाॅय ने मिटा दिया था लेकिन आखिर दिल के हाथों मजबूर होकर उसने एक बार फिर से वही मैसेज लिखा और अरण्या के व्हाट्सएप पर भेज दिया

शिविका ने जैसे ही अपना व्हाट्सएप खोला सुजाॅय का मैसेज देख चिंता में पड़ गई चूंकि उस दिन काॅलेज के कैंटीन से उसने अपने ही व्हाट्सएप नंबर से पहली बार मैसेज कर सुजाॅय से चैटिंग की थी और अपनी प्रोफाइल पिक्चर में अपनी और अरण्या की तस्वीर लगा दी थी ताकि सुजाॅय को उन दोनों पर किसी भी प्रकार का कोई शक ना हों सुजाॅय को भी लग रहा था कि यह अरण्या का ही नंबर हैं इसलिए उसने वह मैसेज किया था

शिविका ने अरण्या को मैसेज किया और उसे अपने घर मिलने के लिए बुलाया दोनों पूरे दिन इसी बात पर चर्चा करते रहें जहाॅं एक ओर अरण्या दूसरी डेट पर जाना नहीं चाहती थी वहीं पर दूसरी ओर शिविका उसे डेट पर जाने के लिए मना रही थी अरण्या जानती थी कि सुजाॅय के दिल में उसके लिए जज्बातों की लहरें उठनी शुरू हो चुकी है और वह दूसरी डेट पर उससे मिलकर उसके जज्बातों को और हवा नहीं देना चाहती थी लेकिन शिविका इन सारी बातों से अनजान किसी भी तरह इस रिश्ते के लिए सुजाॅय से ना करवाना चाहती थी और इसके लिए वह अरण्या को भेजकर कुछ ऐसा प्लान करना चाहती थी जिससे कि सुजाॅय उससे शादी के लिए ना कर दें

शिविका किसी भी तरह अरण्या को डेट पर भेजना चाहती थी । अरण्या की कही किसी भी बात का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था । अरण्या ने सुजाॅय द्वारा कही बातें शिविका से छुपाई थी । अस्पताल वाली बातों का उसने शिविका से कोई जिक्र तक नहीं किया था ।

' अब मैं इस बात को छुपा कर नहीं रख सकती ।'  अरण्या ने खुद से कहा ।

' खुद से ही क्या बड़बड़ाए जा रही है , मुझे भी तो बताओ ।'   शिविका ने अरण्या की तरफ देखते हुए कहा ।

' मुझे तुमसे कुछ कहना हैं ।'   अरण्या ने शिविका से कहा ।

' हाॅं - हाॅं कहो , मैं सुन रही हूॅं ।'  शिविका ने मुस्कराते हुए कहा ।

' शिबू ! बात यह है कि हमें इस नाटक को यही बंद कर देना चाहिए ।'   अरण्या ने कहा ।

' क्यों क्या हुआ ? तुम ऐसा क्यों कह रही हों ?  तुम अच्छी तरह जानती हों कि हमारे बीच एक डील हुई है और जब तक यह डील पूरा नहीं हों जाता , तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी जिससे मुझे नुकसान उठाना पड़े ।'
शिविका ने तेज स्वर में कहा ।

' तुम समझ नहीं रही हों बहन ! मैं जानती हूॅं कि हमारी डील हुई थी , मैं इस डील को भूली नहीं हूॅं , मुझे भी अपने सपने पूरे करने के लिए इस डील को किसी भी हालत में सफल बनाना हैं लेकिन....  मैं किसी के जज्बातों के साथ खेल नहीं सकती इसलिए मैं उससे मिलना ही नहीं चाहती ।'        अरण्या ने कहा ।

' जज्बातों के साथ खेलना ...  मैं कुछ समझी नहीं , खुलकर बताओ अरण्या ! मैं सिर्फ तुम्हारे मुॅंह से सच सुनना चाहती  हूॅं ।  शिविका ने कहा ।

' वह लड़का मुझे पसन्द करने लगा है ।'   अरण्या ने शिविका को देखकर कहा ।

' क्या कहा ?  वह तुम्हें पसंद करता है ?  किसने कहा तुमसे ?   तुम मुझसे मजाक तो नहीं कर रही ?
शिविका ने आश्चर्य से अरण्या को देखते हुए कहा ।

' मैं सच कह रही हूॅं शिबू ! मुझे तो लगता है कि  वह मुझे  पहले दिन से ही पसंद करने लगा था । उसकी बातें तों यही इशारा कर रही थी । वह तो पहली डेट को ही पूछ रहा था कि अगली डेट हमारी कब होगी ?
मैंने ही उसके साथ अपने प्लान के तहत ऐसी बातें की थीं कि मुझे शादी में कोई दिलचस्पी नहीं है और मैं शादी नहीं करना चाहती लेकिन फिर भी वह दूसरी डेट की बातें ही कर रहा था । मेरी बातें या तों वह उस दिन सुन नहीं रहा था या सुनकर भी अनसुना कर रहा था , यह मुझे आज तक समझ नहीं आईं ।'   अरण्या ने कहा ।

' उसने तुमसे कब कहा कि वह तुम्हें पसंद करता है ?'
शिविका ने अरण्या से पूछा ।

'  कल  अस्पताल में ।'    अरण्या ने कहा ।

' एक मिनट एक मिनट !  वह तुमसे मिलने अस्पताल आया था ।'   शिविका ने कहा ।

' मुझसे मिलने नहीं बल्कि अपने दोस्त से मिलने ।' अरण्या ने कहा ।

' तुम क्या कहना चाह रही हो मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है ?  मुझे खुलकर बताओ कि अस्पताल में कल क्या - क्या हुआ ?'    शिविका ने अपने माथे पर हाथ फेरते हुए कहा ।

अरण्या ने शिविका को कल अस्पताल में घटित सारी बातें विस्तारपूर्वक बता दी । शिविका ने भी ध्यान से उसकी बातों को सुना ।

' अच्छा ! कल अस्पताल में जनाब ने तुम्हारे सामने अपने जज्बात उड़ेल कर रख दिए और उन्हें यह तक नहीं मालूम कि यह सारी बातें उन्होंने किसी और लड़की से नहीं बल्कि तुमसे ही कहीं थी ।'    शिविका ने मुस्कराते हुए कहा ।

अरण्या ने शिविका की कही  बातों पर अपना सिर हिलाकर मंजूरी दी जिसे देखकर शिविका ज़ोर - जोर से हॅंसने लगी ।

क्रमशः

" गुॅंजन कमल " 💗💞💓

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10 Comments

Chirag chirag

02-Dec-2021 09:14 PM

Nice part

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Naymat khan

30-Nov-2021 01:29 AM

Good

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fiza Tanvi

29-Nov-2021 04:31 PM

Good

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