Saroj Verma

लाइब्रेरी में जोड़ें

सौगन्ध--भाग(१२)

सभी मंदिर की ओर आएं एवं वहाँ से वें सभी भूकालेश्वर जी के निवासस्थान पहुँचें एवं मनोज्ञा से मिलें,इसके उपरान्त रानी वसुन्धरा ने मनोज्ञा से अपने पुत्र बसन्तवीर के कहें वाक्यों को कहा,जिसे सुनकर मनोज्ञा अत्यधिक क्रोधित होकर बोली....
राजमाता!आपने ऐसे संस्कार दिए हैं अपने पुत्र को....
मुझे नहीं ज्ञात था पुत्री कि मेरा पुत्र ऐसा निकलेगा,कदाचित मेरे पालन पोषण में ही कोई कमी रह गई थी ,तभी तो वो ऐसा निकला,वसुन्धरा बोली....
तब लाभशंकर मनोज्ञा से बोला...
मनोज्ञा!राजमाता से कुछ भी कहना व्यर्थ है,ऐसी बातों से उन्हें और कष्ट मत पहुँचाओ,वें पहले से ही अत्यधिक व्यथित हैं....
लाभशंकर की बात सुनकर मनोज्ञा को अपनी भूल का अनुभव हुआ एवं वो वसुन्धरा से क्षमा माँगते हुए बोलीं....
राजमाता!मुझे क्षमा करें,क्रोधवश मैनें आपको इतना कुछ कह दिया....
तब वसुन्धरा बोली...
कोई बात नहीं पुत्री!मैं भी तुम्हारे स्थान पर होती तो ऐसा ही करती....
तब मनोज्ञा बोलीं...
आप लोंग विश्राम कीजिए,मैं तब तक आपलोगों के दोपहर के भोजन का प्रबन्ध करती हूँ और इतना कहकर मनोज्ञा पाकशाला की ओर चली गई,कुछ समय पश्चात मनोज्ञा ने भोजन तैयार कर लिया,तत्पश्चात सभी ने भोजन किया एवं देवव्रत को बसन्तवीर के बंदीगृह से मुक्त करवाने हेतु योजना भी बनाई गई,योजना सभी को पसंद आई एवं सभी योजना को सफल बनाने में लग गए...
      सायंकाल बीत चुकी थी एवं सभी रात्रि होने की प्रतीक्षा कर रहे थें,अँधेरा गहराया तो सभी ने रात्रि का भोजन किया,इसके पश्चात रानी वसुन्धरा एवं मनोज्ञा ने लाभशंकर को अभिनय के लिए तैयार किया,कुछ समय के पश्चात लाभशंकर युवती के वेष में बाहर आया एवं उसने भूकालेश्वर जी से पूछा....
  पुजारी जी!मैं कैसीं लग रही हूँ?
लाभशंकर को देखकर भूकालेश्वर जी पहले तो हँसे ,तत्पश्चात बोलें....
हे!सुन्दरी!यदि मैं वृद्ध ना होता तो अवश्य तुमसे इसी समय विवाह कर लेता....
भूकालेश्वर जी की बात सुनकर सभी हँस पड़े,तब भूकालेश्वर जी बोलें....
अब चले,अधिक बिलम्ब मत करो,हमें देवव्रत को मुक्त कराना है....
जी!पुजारी जी!मैं तो तैयार हूँ !चलिए! लाभशंकर इतना कहकर पुजारी जी के साथ जाने लगा तो मनोज्ञा बोली....
ठहरो लाभशंकर!
अब क्या हुआ?मेरे श्रृंगार में कोई कमी रह गई क्या?लाभशंकर ने पूछा..
ना लाभशंकर!मैं तो पूछ रही थी कि तुम्हारा नाम क्या है?मनोज्ञा ने पूछा...
लाभशंकर नाम है मेरा और क्या नाम है ?लाभशंकर बोला....
हे सुन्दरी !तुम्हारा नाम क्या है,मनोज्ञा ने पूछा...
ओह....ये तो मैनें सोचा ही नहीं,लाभशंकर बोला....
चंचला नाम कैसा रहेगा?मनोज्ञा ने पूछा...
हाँ!ये अच्छा है,वसुन्धरा बोली...
तब भूकालेश्वर जी ने भी परिहास के रूप में लाभशंकर से कहा...
चंचला...हे अपूर्व सुन्दरी!अब चलो भी मेरे संग,कहीं बिलम्ब ना हो जाएं....
भूकालेश्वर जी की बात सुनकर सभी हँस पड़े,इसके पश्चात चंचला बना लाभशंकर एवं भूकालेश्वर जी ने राजमहल की ओर प्रस्थान किया,कुछ ही समय में वें दोनों राजमहल पहुँचें एवं द्वारपाल से भूकालेश्वर जी ने कहा....
मैं भूकालेश्वर हूंँ,राज्य के मंदिर का पुजारी एवं ये देवव्रत की पुत्री हैं,जो आज इस राज्य में अपने पिताश्री को खोजते हुए पहुँचीं हैं,कहतीं हैं कि इनकी माता की दशा अत्यधिक गम्भीर है वें मरणासन्न अवस्था में है,बहुत समय से अस्वस्थ थीं एवं इनकी माता अपने पति देवव्रत के अन्तिम दर्शन पाना चाहतीं हैं,मेरे पास बड़ी आशा से आईं हैं,कृपया राजकुमार तक इनका संदेश पहुँचा दीजिए तो अत्यधिक कृपा होगी...
द्वारपाल ने भूकालेश्वर जी की बात सुनी और संदेश लेकर भीतर पहुँचा,राजकुमार बसन्तवीर के मन में लालसा जागी कि देखूँ तो वो सुन्दरी कौन है जो  स्वयं को देवव्रत की पुत्री बताती है इसलिए उसने भूकालेश्वर जी एवं चंचला को राजमहल के भीतर आने की अनुमति देदी....
   चंचला और भूकालेश्वर जी राजमहल के भीतर पहुँचें,कुछ समय पश्चात बसन्तवीर भी वहाँ आ पहुँचा एवं उसने जैसे ही चंचला को देखा तो उसके रूप को देखकर एक क्षण को मौन रह गया,तत्पश्चात उसने चंचला से पूछा...
तो तुम हो देवव्रत की पुत्री!
जी!राजकुमार!मैं ही अभागन उनकी पुत्री हूँ...
अभागन क्यों?तुम्हें तो ईश्वर ने इतना रूप सौन्दर्य दिया है,बसन्तवीर बोला...
जब पास में धन नहीं होता ना तो ऐसे रूप सौन्दर्य को कोई नहीं पूछता,चंचला बोली...
बोलो तुम्हें कितना धन चाहिए,मैं दूँगा तुम्हें धन एवं साथ ही तुम्हारे रूप सौन्दर्य की भी रक्षा करूँगा,बसन्तवीर बोला....
तब चंचला बोली....
वो सब तो ठीक है किन्तु अभी मुझे अपने संग अपने पिता को ले जाना है,मेरी माँ के पास अधिक समय नहीं है,उनकी अन्तिम इच्छा पिताश्री के दर्शन करने की है,मुझे जैसे ही ज्ञात हुआ कि मेरे पिता इस राज्य के मंदिर की धर्मशाला में रह रहे थे तो यहाँ अपने अश्व पर सवार होकर भागी चली आई,मेरी माँ उनकी प्रतीक्षा कर रहीं हैं,यदि आपने मुझे उन्हें संग ले जाने दिया तो बहुत कृपा होगी,मैं आपका ये आभार जीवन भर नहीं भूलूँगी,
यदि मैं ये कहूँ कि मैं उस दुस्साहसी को तुम्हारे संग नहीं जाने दूँगा तो,बसन्तवीर बोला....
मैं और क्या कर सकती हूँ?केवल आपसे विनती ही कर सकती हूँ,आप माने या ना माने ये आपकी इच्छा पर निर्भर करता है,चंचला बोली...
तुम तो बड़े ही कोमल हृदय की हो,अपने पिता की भाँति कठोर स्वाभाव की नहीं हो,बसन्तवीर बोला....
क्या करूँ?मेरा हृदय ही कुछ ऐसा है,चंचला बोलीं....
मुझे तुम पसंद आईं,बसन्तवीर बोला....
सच!राजकुमार!मुझे भी आप भा गए,चंचला बोली....
ये कैसीं बातें कर रही हो चंचला?भूकालेश्वर जी अभिनय करते हुए बोलें...
पुजारी जी!राम झूठ ना बुलाएं....कोई भी नवयुवती राजकुमार को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाएगी क्योंकि राजकुमार का बलिष्ठ शरीर,सुडौल बाहु एवं इतने सुन्दर नैन-नक्श देखकर कोई भी इन पर मोहित हो जाएगा,चंचला बोली....
सच कह रही हो चंचला!बसन्तवीर बोला...
जी!सत्यवचन!मैं कभी झूठ कहती ही नहीं,चंचला बोली...
अच्छा!तुम्हारी मैं सारी इच्छाएंँ पूर्ण करूँगा,परन्तु वचन दो कि तुम अपने पिता को अपनी माँ से मिलवाकर वापस लौटोगी,बसन्तवीर बोला...
वचन देती हूँ राजकुमार!वापस लौटूंँगी,मैं कभी झूठ नहीं कहती,चंचला बोली...
तो ठीक है मैं अभी अपने सैनिकों को आदेश देता हूँ कि वें तुम्हारे पिता को बंदीगृह से इसी समय मुक्त करके लाएं,बसन्तवीर बोला...
आपका बहुत बहुत आभार राजकुमार!ऐसा कहकर चंचला बसन्तवीर के चरणों पर गिर गई...
बसन्तवीर ने चंचला को अपने चरणों से उठाया और बोला....
मैं भले लोगों का भला ही करता हूँ...
इसके पश्चात बसन्तवीर ने अपने सैनिकों को आदेश दिया एवं वें सैंनिक कुछ ही समय पश्चात देवव्रत को बंदीगृह से मुक्त करके ले आएं,देवव्रत जब चंचला के समक्ष आया तो चंचला देवव्रत के गले लगकर बोली....
पिताश्री!आप सकुशल हैं,मुझे आपको देखकर अति प्रसन्नता हो रही है किन्तु.....किन्तु माता की दशा अत्यधिक गम्भीर है,वें किसी भी क्षण ईश्वर के पास जा सकतीं हैं,आपके दर्शनो की अभिलाषी हैं एवं आपकी प्रतीक्षा कर रहीं हैं.....
देवव्रत ये सब देखकर सोच में पड़ गया कि ये नवयुवती कौन है और मुझे पिता क्यों कह रही है?देवव्रत को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था...

क्रमशः....
सरोज वर्मा.....


   25
5 Comments

Chetna swrnkar

10-Oct-2022 07:38 PM

Bahut achhi rachana

Reply

Barsha🖤👑

08-Oct-2022 08:44 PM

Beautiful

Reply

Reena yadav

08-Oct-2022 04:45 PM

👍

Reply