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कविता--बारिश


कविता--बारिश

घनघन करता मेघा आया
साथ में बारिश की बूंदें लाया
घनघन करता है जब मेघ
चमचम कर खूब डराती हैं बिजलियाँ

आज स्कूल की हुई छुट्टी
मनमांगी मुराद हुई पूरी
अखबारों की होगी कुट्टी
बनकर नौका तैरेंगे समुद्र में

समुद्र,जो बन जाता है 
मेरे घर के आंगन में
बारिश बरसों लगातार
ताकि स्कूल की छुट्टी हो दो चार।

***
सीमा
दैनिक प्रतियोगिता के लिए
बालकविता

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8 Comments

Suryansh

07-Oct-2022 04:36 PM

Wahhh,, सजीव चित्रण

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Pratikhya Priyadarshini

24-Sep-2022 12:40 PM

Bahut khoob 💐👍

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Raziya bano

24-Sep-2022 11:46 AM

शानदार

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