अधूरे जज़्बात भाग :- २
भाग :- २
जब किसी इंसान की कमजोरी उस इंसान के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से सामने आ गई हों जों किसी भी हालात में अपने सामने वाले को सिर्फ और सिर्फ झुकाना चाहता हों और वह सामने वाला इस बात को बखूबी समझता भी हों लेकिन उसके पास झुकने के अलावा कोई चारा ना हों ऐसे में वह सामने वाला अपने आत्मसम्मान को दरकिनार कर झुकाने वालें के समक्ष अपनों की सलामती की खातिर किसी भी शर्त को बिना सुने ही मानने के लिए सहर्ष तैयार हो जाता है ।
सुजाॅय ने भी शर्त को बिना सुने ही सहर्ष स्वीकार कर लिया क्योंकि उसके लिए अपने जिगरी दोस्त की सलामती हर शर्त से सर्वोपरि थी ।
' शर्त तो सुन लो बेटा ! ऐसा ना हो कि शर्त सुनने के बाद तुम इसे मानने से इंकार कर दो ।' सुजाॅय के पिता ने कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए कहा ।
' मुझे आपकी हर शर्त मंज़ूर हैं , पहले आप मुझे पाॅंच लाख रुपए दें दीजिए , मेरे पास वक्त बहुत कम है । '
सुजाॅय ने कातर दृष्टि से अपने पिता को देखते हुए कहा ।
' यह लों दस लाख रुपए और हाॅं वादे के मुताबिक अब तुम्हें मेरी बात माननी होगी । ' सुजाॅय के पिता ने कहा ।
' मैं जल्द ही आपसे मिलने आऊंगा और आपकी शर्त पूरी भी करूंगा ।' कहते हुए सुजाॅय ने रूपयों का बैग अपने पिता के हाथों से लें लिया ।
अस्पताल पहुॅंच सुजाॅय ने तुरंत ही पाॅंच लाख रुपए जमा करा दिए । मनोज ( सुजाॅय का जिगरी दोस्त ) का ऑपरेशन शुरू हो चुका था साथ ही सुजाॅय की दिल की धड़कन भी बढ़ चुकी थी ।
किसी अपने को खो देने का डर दुनिया के सबसे बड़े डरो में शुमार है । डर और घबराहट ने सुजाॅय के चेहरे के साथ - साथ उसके दिल में भी अपना डेरा जमा लिया था ।
ऑपरेशन थियेटर के ठीक बाहर चहलकदमी करता सुजाॅय अपने इष्टदेव को बारंबार याद कर रहा था साथ ही अपने दोस्त की सलामती की खातिर प्रार्थना में उसके हाथ खुद - ब - खुद उठ जा रहें थें । हाथ जोड़ वह मनोज का ऑपरेशन सफल हो इसके लिए लगातार प्रार्थना किए ही जा रहा था ।
सच्चें दिल से की गई प्रार्थना कभी भी अस्वीकार नहीं होती और इस बार भी अस्वीकार नहीं हुई । ईश्वर ने सुजाॅय की प्रार्थना सुन ली और मनोज का ऑपरेशन सफल रहा ।
कहते हैं ना ! जिस इंसान को हमसे आत्मिक लगाव हों वह हमसे दूर जा ही नहीं सकता और इसमें ईश्वर भी तों मददगार साबित होते हैं ।
ऑपरेशन सफल हुआ सुनते ही उसी क्षण सुजाॅय ने मनोज की मनपसंद बूंदी के लड्डू गरीबों में बाॅंटें । हमारे देश में कुछ निजी और सरकारी संस्थाएं हैं जो गरीबों को मुफ्त भोजन , पानी और कपड़े की सुविधा उपलब्ध कराती हैं , खाली समय में जरूरतमंद लोगों के प्रति सेवा - भाव की भावना ने सुजाॅय को इन संस्थाओं के संपर्क में ला दिया था ।
अपने जिगरी दोस्त के ऑपरेशन की सफलता ने अपनी खुशी दूसरों बच्चों के साथ बाॅंटने के लिए सुजाॅय के कदम अनायास ही अनाथ आश्रम की तरफ मुड़ गए थे ।
सुजाॅय के पास अभी पैसों की तंगी नहीं थीं इसलिए उसने मनोज को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट करवा दिया ।
अपने आप को बड़े से अस्पताल और प्राइवेट वार्ड में देख मनोज की समझ में सारी बातें पल भर में ही आ गई । वह अपने आप को सुजाॅय के सिद्धांतों का गुनहगार मानने लगा ।
' काश ! ना तो मैं छात्र संघ के अध्यक्ष की बात मान उस विरोध प्रर्दशन में जाता और ना ही मेरी ऐसी हालत होती और ना ही तुम्हें अपने पिता के सामने झुकना पड़ता ।' सुजाॅय का हाथ पकड़ मनोज ने रोते हुए कहा ।
' होनी को कौन टाल सकता हैं यार ! यह सब होना लिखा हुआ था और हुआ जिसका मुझे कोई अफसोस नहीं है । मैं तों खुश हूॅं कि मेरा यार ! सही - सलामत मेरे सामने हैं और इसके लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़ती तों मैं देने में पीछे नहीं हटता तो एक शर्त क्या चीज है । ' सुजाॅय ने मनोज के हाथ पर अपना दूसरा हाथ रखते हुए कहा ।
' शर्त ! कैसी शर्त और किसने रखी शर्त ? ' मनोज ने आश्चर्य से सुजाॅय को देखते हुए कहा ।
' कुछ नहीं यार ! डैडी ने पैसे देने के एवज में एक शर्त रखी है जिसे मुझे कैसे भी करके पूरी करनी होगी ।'
सुजाॅय ने फीकी हॅंसी हॅंसते हुए कहा ।
' शर्त क्या है ? ' मनोज ने सुजाॅय से पूछा ।
' मुझे भी मालूम नहीं कि आखिर उनकी शर्त क्या है ? डाॅक्टर ने जल्द से जल्द पैसों का इंतजाम करने को कहा था , मेरे पास समय नहीं था इसलिए मैंने उनसे कहा कि उनकी जों भी शर्त हैं वह मुझे मंजूर है । क्या होगी शर्त ? कुछ भी खास नहीं , वैसे भी तेरी जिंदगी से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं है , वें अगर मेरी जान भी शर्त में माॅंग लें तों भी मैं हॅंसते - हॅंसते सूली पर चढ़ जाऊंगा ।' सुजाॅय ने फक्र के साथ सीना चौड़ा करते हुए कहा ।
' मेरे कारण तुम ऐसी शर्त में बंध गए हों जों तुम्हें मालूम ही नहीं ! इसके लिए मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा , तुमने तों अपनी दोस्ती निभा दी लेकिन मैं ....
थोड़ी देर सांस रोक मनोज ने फिर से कहना शुरू किया :- " अगर शर्त में तुम्हारे डैडी ने ऐसा - वैसा कुछ माॅंग लिया जिसे पूरी करने में तुम्हारा दिल गवाही ना दें तों मैं अपने - आप को कभी भी माफ़ नहीं कर पाऊंगा " ।
' तुम चिंता मत करो यार ! डाॅक्टर ने तुम्हें आराम करने और तनावमुक्त रहने के लिए कहा है । शर्त की बात भूल जाओ और बाकी सब अपने इस दोस्त पर छोड़ दो ।' सुजाॅय ने लंबी मुस्कान अपने होंठों पर लाते हुए कहा ।
अपने किए वायदे के मुताबिक सुजाॅय एक बार फिर से अपने पिता के सामने खड़ा था । उसे अब इंतजार था कि कब उसके पिता उसे शर्त के बारे में बताएं ?
क्रमशः
" गुॅंजन कमल " 💗💞💓
Chirag chirag
02-Dec-2021 09:12 PM
Nice part
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Sana khan
28-Aug-2021 04:44 PM
Superb 🙏
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Fiza Tanvi
27-Aug-2021 12:41 PM
Behtarin
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