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कैदी नंबर 8

"हेल्लो डॉक्टर सिन्हा!मैं अमृता पेशे से नॉवेलिस्ट, आगरा से ही हूं।"दरवाजे से आती हुई 30 बरस के आसपास की उम्र, पीला सूट पहने हाथ मे एक मोटी डायरी पकड़े एक लड़की ने आते हुए डॉक्टर सिन्हा से कहा जो एक मानसिक चिकित्सालय में पिछले पच्चीस बरस से कार्यरत थे।अमृता एक जानी मानी नॉवलिस्ट थी।जिसका अपने नए उपन्यास के सिलसिले में आज मानसिक चिकित्सालय की चाहरदिवारियो के बीच आना हुआ।वो एक ऐसा किरदार बुन रही थी अपने ख्यालो में जो मन से शिला जैसा मजबूत हो और तन से तिनके सा कोमल।उसकी यही तलाश उसे डॉक्टर सिन्हा के दिये एक साक्षात्कार के जरिये पूरी हुई।जब उसे पता चला डॉक्टर सिन्हा ने कैदी नम्बर आठ का जिक्र कुछ इस तरह किया था -
वो कैदी नम्बर आठ!
है एक अल्हड़ सी चंचल लड़की !नाम है जिसका निहारिका शुक्ला!मासूम सी सूरत चमकिली बिलौरी आंखे है उसकी, जिनमे कभी सपने उड़ान भरा करते थे आजकल वो बस खामोशी से ताकती रहती हैं पागलखाने की दीवारों को।चेहरे पर हंसी कभी भागा नही करती थी, हमेशा खिलखिलाती थी, गम हो या खुशी बस मुस्कुराती थी।आजकल वो चेहरा तटस्थ रहने लगा है।हां उसके लब कभी कभी अपनी खामोशी तोड़ देते है शायद कुछ कहने के लिए।वो कुछ कहती नही है बस खामोश होकर किया करती है इंसानियत का निर्वाह।उसे देख कर यकीनन कोई नही कह सकता वो 25 साल की लड़की कैदी नम्बर आठ के रूप में एक विक्षिप्तता है।शान्त रहना,दीवारों को ताकना,दूसरे कैदियों की हरकतों को बेहद संयमित तरीके से सुलझाना,उनकी उलझनो में उलझना, झगड़ो को सुलझाना,चोट लगने पर मरहम लगाना और अचानक ही खुद को एक दायरे में समेट कर सबसे दूर भाग जाना।थोड़ी अजीब किस्म की है वो कैदी नम्बर आठ।मैं दावे से कह सकता हूँ मैंने अपने पच्चीस साल के कैरियर में कोई दूसरा कैदी नम्बर आठ नही देखा।
अमृता डॉक्टर के कुर्सी के सामने आ खड़ी हो चुकी थी।डॉक्टर सिन्हा ने एक नजर ऊपर उठाकर देखा।अमृता को देख उन्होंने बड़ी ही गर्मजोशी से उससे हाथ मिलाते हुए बैठने को कहा।
"शुक्रिया"कहते हुए अमृता अब कुर्सी पर बैठ चुकी थी उसने हाथ मे पकड़ी मोटी डायरी टेबल पर रखी और बातचीत का सिलसिला शुरू करते हुए डॉक्टर सिन्हा को उसने वहां आने का कारण बताया।डॉक्टर सिन्हा का मुस्कुराता चेहरा थोड़ी गम्भीरता में बदल गया।वो बोले, "आप कैदी नम्बर आठ से मिलना चाहती है?"
अमृता ने "जी" शब्द पर हल्का जोर देते हुए कहा।
डॉक्टर सिन्हा ने हाथ आगे बढ़ा टेबल पर रखी घण्टी बजाई और अमृता से कहने लगे, "आप जानती तो है कैदी नम्बर आठ आम कैदियों से थोड़ी अलग है?"
अमृता अपनी डायरी उठाते हुए बोली, "जी मैं बिल्कुल जानती हूं उस कैदी नम्बर आठ के बारे में जो दो व्यक्तित्व एक साथ लेकर चलती है।"
दरवाजे से ग्रे रंग के पेंट शर्ट पहने एक आदमी अंदर आया।उसे देख कर डॉक्टर सिन्हा ने एक गिलास पानी लाने का आदेश दिया!वो वापस चला गया।
डॉक्टर सिन्हा एक बार फिर बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए बोले, "ये जानकर अमृता जी!कैदी नम्बर आठ पूरी तरह स्वस्थ नही है आप फिर भी उससे मुलाक़ात क्यों करना चाहती हैं।"
अमृता बेहद शांत तरीके से बोली,"आपकी नजर में स्वस्थ इंसान की क्या परिभाषा है सिन्हा साहब?"
डॉक्टर सिन्हा अमृता के सवाल सुनकर एक पल को  चौंक गए।उन्होंने खुद को सामान्य किया और फिर कहने लगे, "एक स्वस्थ व्यक्ति वो होता है जो तटस्थ रहे,कोई भी घटना घटने पर उसका तन और मन दोनों पर पूर्ण नियंत्रण रहे।वो अपना आपा न खोये और मैं स्योरिटी से कह सकता हूँ कैदी नम्बर आठ ऐसा नही है।अगर आप उनसे मिलेगी तो हो सकता है वो आपको कोई नुकसान पहुंचा दे।फिर आप भी अस्वस्थ हो जाओ।आखिर अच्छा स्वास्थ्य इंसान की मूलभूत जरूरतों में से एक है।"
"आपकी बात उचित है सिन्हा साहब!लेकिन मैं लेखक हूं,और एक लेखक का नजरिया थोड़ा अलग होता है।लेखक एक पहलू से नही बल्कि हर पहलू पर अपना दृष्टिकोण रखता है।"अमृता ने शालीनता से कहा और डॉक्टर सिन्हा के बोलने का इंतजार करते हुए डायरी हाथ मे उठा ली।
दरवाजे पर दस्तक हुई और एक बार फिर ग्रे शर्ट वाला आदमी,पानी का गिलास लेकर आया।उसे टेबल पर रखकर वो वहां से वापस चला गया।डॉक्टर सिंहा बोले, "आपका कहना बिल्कुल सही है लेकिन बात अगर स्वास्थ्य की हो तो हमे एक बारगी सोचना चाहिए।क्या आप नही जानती है मानसिक रूप से अस्वस्थ इंसान किस हद तक खतरनाक हो सकता है।"
"जी मैं समझती हूं,डॉक्टर सिन्हा।लेकिन मैं जानना चाहूंगी एक बार कि ऐसी क्या घटना हुई कैदी नम्बर आठ के साथ जो वो इतनी कम उम्र में इन पीली दीवारों के बीच घुट रही हैं।"ऐसा कहते हुए अमृता के चेहरे पर कई सवाल थे और साथ ही वो अपनी डायरी के पन्नो को भी काले कर रही थीं।
डॉक्टर सिन्हा ने ठंडेपन से कहा,"कैदी नम्बर आठ की केस फाइल तो आपको आज नही मिल सकेगी अमृता जी, दरअसल बात कुछ ऐसी है फाइल की साझ सम्हाल करने वाला मुलाजिम आज ड्यूटी पर नही है।"
"ओह!लेकिन आपने भी तो कैदी नम्बर आठ की रिपोर्ट फाइल स्टडी की होगी।फिर भला ऐसा कैसे संभव है कि आपको कैदी नम्बर आठ के बारे में जानकारी नही हो।" अमृता ने पूछा।तो डॉक्टर सिंहा मुस्कुरा दिए।
"जी,जितनी जानकारी मुझे है उतना मैं आपको बता सकता हूँ, एक कहानी है कैदी नम्बर आठ की जिंदगी।जिसका एक किस्सा मैं आपको सुनाता हूं।अगर आप सुनने की इच्छुक है तो फिर सिलसिला शुरू किया जाए" डॉक्टर सिन्हा ने याद करते हुए कहा।
"जी अवश्य,क्या पता मुझे इस घटना से ही किरदार के साथ साथ विषयवस्तु भी मिल जाये" कहते हुए अमृता हल्का सा मुस्कुरा दी।डॉक्टर सिन्हा ने उसे पानी पीने के लिए कहा और कैदी नम्बर आठ के जीवन का किस्सा शुरू करने लगे।
"जहां तक मैं जानता हूँ कैदी नम्बर आठ का नाम निहारिका शुक्ला है।ये उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की रहने वाली है।ये किस्सा भी बड़ा दिलचस्प तरीके से घटा इनके जीवन मे।बात करीब आज से एक साल पहले की है जब शहर के सरकारी स्कूलों में बांटे जाने वाले मिड डे मील में मिलावट का घोटाला उछाल पर था।अखबार की सुर्खियों में आये दिन किसी न किसी स्कूल से बच्चे के मिड डे मील से बीमार पड़ने की खबर प्रमुखता से रहती थी।उन्ही दिनों इन खबरों के साथ अखबार में एक नाम और सुर्खियों में रहता था रिपोर्टर निहारिका शुक्ला..!"
अमृता बड़ी तेजी से डॉक्टर सिन्हा का कहा एक एक शब्द अपनी डायरी में सहेजती जा रही थी।ये जान कर उसे थोड़ा ताज्जुब हुआ कि कैदी नम्बर आठ एक रिपोर्टर रह चुकी है।
डॉक्टर सिन्हा आगे शुरू करते हुए बोले, "निहारिका ने इस मुद्दे को काफी गहराई से उठाया था।उसका कहना था \'अपनी जरा सी जरूरतों के लिए कुछ दौलतमंद लोग देश के भावी भविष्य के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नही कर सकते है।खाद्य सामग्री को अगर बदलकर इस्तेमाल नही किया जाता तो आये दिन बच्चों के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नही पड़ता।क्या ये मिड डे मील घोटाले में सलंग्न रहने वाले व्यक्ति नही जानते संतुलित और हेल्थी भोजन ही शरीर को हेल्थी रख सकता है।जो सरकार के स्वस्थ भारत के सपने को साकार कर सकता है।क्या वो लोग इस बात से अनजान है कि दूषित भोजन करने मात्र से ही कई तरह की बीमारियां शरीर में घर कर लेती है।जिनके लगातार रहने से गम्भीर परिणाम देखने को मिलते है!मैं इस मामले को तब तक उठाउंगी जब तक गवर्मेट इस पर कोई ठोस कदम न उठाएं।\'उसने अपने स्तर से छानबीन शुरु करते हुए इस घोटाले की काफी कड़ियाँ सुलझा ली थीं।जिनमे कुछ नाम बेहद प्रमुख थे।शहर के रसद विभाग के निचले स्तर के अधिकारी से लेकर स्कूल में खाद्य रसद सामग्री पहुंचाने वाले कुछ बेईमान और कहीं कहीं भोजन बनाने वाले जिम्मेदार कर्मचारी अलग अलग तरह से संलग्न पाए गए।चूंकि अच्छे काम को पूरा होने में रुकावटे आनी अवश्यम्भावी है।कैदी नम्बर आठ के साथ भी रुकावटे आने लगी।रिपोर्टर को धमकी भरा खत भेजा गया।कुछ नकारात्मक संदेश फोन पर छोड़े गए।कभी कभी तो उपद्रवी तत्वों ने पीछा कर के भी डराया।लेकिन निहारिका निडरता से कोशिश करती रही।जब घोटाले में शामिल लोगों को ये एहसास हो गया कि डर से काम नही बन सकेगा तो उन्होंने छल का प्रयोग करना शुरू कर दिया।उसके एकत्रित किये गए सभी साक्ष्य उसके सबसे राजदार मित्र लक्ष्य के जरिये हथिया कर नष्ट कर दिए गए।कई दिनों से छानबीन कर सबूतों के दावा पेश करने के बाद आखिर जरूरत के समय कोई सबूत न होने पर इसे मानसिक रूप से अस्थिर सिद्ध कर दिया गया और यहां के मानसिक चिकित्सालय में इलाज के लिए भेज दिया।" डॉक्टर सिन्हा के साथ साथ अमृता भी अपनी नम आंखों के कोरो को साफ कर रही थीं।कुछ देर की पसरी खामोशी को तोड़ते हुए अमृता ने कहा, "मुझे अफसोस है भारत के एक जागरूक नागरिक को उसकी जागरूकता को लेकर मिले पुरुस्कार पर।स्वस्थ भारत मिशन जो हाल ही में शुरू किया निशुल्क दवाओं के वितरण को सुन सभी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे है वो असल मे उसकी परिभाषा ही नकार रहे हैं।क्या स्वस्थ भारत की परिकल्पना इस तरह की छितली मानसिकता से साकार हो सकती है?"
अमृता की बातों को सुनकर डॉक्टर सिन्हा ने कहा,"परिकल्पना का तो पता नही लेकिन इतना अवश्य सम्भव है शुरुआत भले एक से हुई है लेकिन उसे अनेक में परिवर्तित करने की कला आपके पास है" 
डॉक्टर सिन्हा की बातों को समझ कर अमृता मुस्कुराते हुए बोली,"जी बिल्कुल,सिन्हा साहब मैं ये जरूर करूंगी" कहते हुए उसने अपनी घड़ी पर नजर डाली जो उसके वहां से जाने की ओर इशारा कर रही थी।वो बोली,"अब मुझे निकलना होगा सिन्हा साहब लेकिन जाने से पहले मैं एक बार फिर भी निहारिका से मिलना चाहूंगी भले ही दूर से सही लेकिन उस कैदी नम्बर आठ की एक झलक तो मैं जरूर देखना चाहूंगी जिसने बहुत हिम्मत से गलत को आइना दिखाने की कोशिश की।"
डॉक्टर सिन्हा अपनी कुर्सी छोड़ते हुए बोले,"जी बिल्कुल अमृता जी।चलिए मैं आपको ले चलता हूँ।"चिकित्सालय के केबिन से निकल कर  डॉक्टर सिन्हा और अमृता बालकनी में खड़े होकर देख रहे थे कुछ दूर हरी मखमली घास पर बैठकर दूसरे कैदियों के साथ चुहलबाजी करती कैदी नम्बर आठ को।जिसके चेहरे पर दिखावे भर की मुस्कुराहट थी।
अमृता उसे देखते हुए बोली, "मुझे पूरा भरोसा है कि इस कैदी नम्बर आठ की मेहनत जल्द ही एक से अनेक में परिवर्तित होकर अपना प्रभाव दिखायेगी।"
"शुभस्य शीघ्रम"कहते हुए डॉक्टर सिन्हा मुस्कुराए।अमृता के कदम उनके शब्दों को दोहराते हुए चिकित्सालय की चहारदीवारियों से बाहर की ओर बढ़ गए।वो मन ही मन दोहराते हुए कह रही थी "शुभस्य शीघ्रम"।

समाप्त... 

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30 Comments

Kiran Tawri

21-Nov-2021 12:03 AM

Superb...sahi h sachai ko hamesha daba diya jata h...saam daam dand bedh sab hatkande apnaye jate h... Niharika k sath bhi yahi kiya..nhi dari to pagal karar de diya...ye sachai h aaj ki...jaha paise walon k aage sach daba diya jata h...mam kedi no 8 puri story kab aayegi....ye amrita ji preet ki story m aai thi wo hi h kya...

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21-Nov-2021 12:06 AM

जी, वही है, प्रीत के बाद यही स्टोरी आनी है।

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एक खून करने वाले को फांसी होती है.. ! और मिलावट करने वाले.. बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले.. चंद पैसा बचाने के लिए दूषित भोजन के द्वारा न जाने कितने लोगों की जान से खेलने वाले ...इन्हें तो फांसी से भी बढ़कर सजा मिलनी चाहिए, क्योंकि ये किसी एक की नहीं..बल्कि अनगिनत मौतों के जिम्मेदार हैं..!

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17-Aug-2021 12:56 PM

लेकिन कभी कभी ऐसा नही हो पाता,बस सच की आवाज दबा जी जाती है।

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Adeeba Riyaz

17-Aug-2021 03:34 AM

👌👌

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🤫

17-Aug-2021 12:55 PM

💐💐

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