बादलों के पार
बादलों के पार वह जो दुनिया है
अनदेखी अनसुनी अनोखी सी
जानते नहीं कितना सच है
और कितना है अफसाना
फिर भी चाहते हैं हम सब एक बार
जीते जी बादलों के पार जाना
सोचते हैं होगी वह दुनिया
बिल्कुल स्वर्ग सी सुंदर
नहीं होंगे कोई भी गम और परेशानियां
खुशियों से भरी होगी बादल पार की दुनिया
ख्यालों में आता है सबको एक बार
काश देखने को मिल जाए बादलों के पार
समाप्त।।।।