Manisha Bharti

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लेखनी प्रतियोगिता -09-Aug-2022 sawan

सावन की बूंदे पड़ी, 

नन्हें दिलों में शरारतें जगी। 
सन गये हाथ पैर मिट्टी में इनके,
 छाते को इनके दूर हवा ले उड़ी।
 मीठी सी फुहारें दिल में उठी,
 शैतानियां इनकी हद से बड़ी । 
झूमें बनाकर छत पर नदी,
 इतराएं जब नाव दूर तक चली।
 जी भर ये बारिश में नहाएं, 
मेंढक की टर्र-टर्र सुन शोर मचाएं। 
धमाचौकड़ी मचा महफिल में रंग ,
जमाएं इंद्रधनुष के रंग इनमें नजर आए।
 पपीहा मोर भी झूम-झूम गाएं।
 सावन की ऋतु प्यारी सब झूमें नाचें गाएं। 
एकता कोचर रेलन
खुश्क गर्मी इन्हें ना सुहाएं, 
दूर-दूर तक ये पींगें झुलाएं।

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9 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Abhinav ji

11-Aug-2022 11:07 AM

Nice

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Punam verma

11-Aug-2022 09:32 AM

Very nice

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