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गणित

पिल्लू और पिंटू दो दोस्त थे। दोनों गाजीपुर के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज के नवी कक्षा के छात्र थे। पिंटू पढ़ाई में बहुत होशियार था। ठीक उसके विपरीत पिल्लू पढ़ाई में बहुत कमजोर। बाकी विषय तो वह रट के पास हो जाता था पर उसे गणित में बहुत परेशानी होती थी। क्योंकि उसे वह रट नहीं पाता था। पिल्लू अपने पापा से अक्सर मार खाता था और विद्यालय में अपने गणित पढ़ाने वाले गुरुजी से। आज विद्यालय में गुरुजी गणित का टेस्ट लेने वाले थे। पिल्लू की हालत सुबह से ही खराब थी। सबसे पहले सुबह उसने अपने पिताजी से विद्यालय नहीं जाने का बहाना बनाया पर पिताजी एकदम सुनने को तैयार नहीं हुए. थक हार कर पिल्लू को विद्यालय जाना पड़ा। आज वह पहले से ही अपने दोस्त पिंटू के साथ सीट पर बैठ गया।

पिल्लू पिंटू से बोला, -"मेरे दोस्त आज मुझे गणित में नकल करा देना। तेरे ही सहारे आया हूँ"।

पिंटू बोला, -"क्यों बेटा कुछ पढ़कर नहीं आया है"।

पिल्लू बोला, -"तुझे तो पता ही है मुझे गणित समझ में नहीं आती। कल शाम किताब खोल कर बैठा था। जब तक पिताजी जागते रहे तब तक कुर्सी मेज पर पढ़ रहा था। थोड़ी देर बाद पिताजी सोने चले गए. उसके बाद मैं बिस्तर पर लेट कर गणित पढ़ने लगा। मुझे गणित कुछ समझ में नहीं आ रही थी। इसी बीच मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। सुबह पिताजी ने जगाया तब कहीं जाकर मेरी नींद टूटी. पिंटू मेरे दोस्त इस गणित ने तो मेरी हालत पतली कर रखी है। भाई आज मुझे गणित से बचा ले। मैं तेरे ही भरोसे आया हूँ"।

पिंटू बोला, -"वह सब तो ठीक है लेकिन अगर गुरु जी हम दोनों को अलग-अलग बैठा दिया तो"।

पिल्लू डरते हुए बोला, -"भाई ऐसी अशुभ बात ना बोल। क्या चाहता है पिताजी मुझे फिर मारे"।

पिंटू बोला, -"घबरा मत सब ठीक हो जाएगा"।

"मुझे सब ठीक होने से मतलब नहीं। आज मुझे गणित में पास करा दे"।

"पर तेरी तो हर परीक्षा में ही यही हालत होती है"।

तभी गुरुजी ने कक्षा में प्रवेश किया। पिल्लू की सांसे टंग गई. इसलिए नहीं की टेस्ट शुरु होने वाला था। बल्कि इसलिए कि कहीं गुरुजी उसको पिंटू से दूर ना बैठा दे। लेकिन गुरुजी ने ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होने बोर्ड पर तीन सवाल लिखे और कहाँ सब लोग इन तीनों सवाल के जवाब अपनी कॉपी में लिखें। कोई किसी की कॉपी की तरफ देखेगा नहीं। मैं सबको को देख रहा हूँ। सारे बच्चे ब्लैक बोर्ड की तरफ देख रहे थे और पिल्लू पिंटू की कॉपी की तरफ देखने की कोशिश रहा था। उसे ब्लैक बोर्ड की तरफ देखने की ज़रूरत नहीं थी। क्योंकि उसे पता था कि सवाल पढ़ कर भी क्या फायदा उसे आना तो है नहीं। फिर उसने शादी कॉपी पर तीनों सवाल लिख डाले और गुरु जी को देखने लगा कि गुरु जी कहाँ देख रहे हैं। 35 मिनट के क्लास में 15 मिनट निकल गए. गुरुजी लगातार सबके ऊपर आँख जमाए हुए थे। वह पिंटू की तरफ़ नहीं देख पा रहा था लेकिन उसे इतना अनुमान था कि पिंटू सारे सवाल का जवाब लिख देगा। धीरे-धीरे क्लास में 25 मिनट बीत गए सिर्फ़ 10 मिनट रह गए थे। इस पूरे 25 मिनट में पिल्लू ने किसी भी सवाल का जवाब कापी में नहीं लिखा। पिल्लू को लग रहा था कि वह इस बार भी फेल हो जाएगा। बहुत मार पड़ेगी पिताजी से घर पर। तभी कक्षा में अंग्रेज़ी के गुरु जी ने प्रवेश किया। गणित के गुरु जी, अंग्रेज़ी पढ़ाने वाले गुरु जी के साथ बात करने में व्यस्त हो गए और पिल्लू को पिंटू की कॉपी में देखने का मौका मिल गया। इसी बीच पिल्लू ने जल्दी से सारे जवाब कॉपी में लिख डाले। तभी घंटा बजा। गुरुजी ने पेपर ले लिया और कहा कि कल इस टेस्ट की कापी दिखाई जाएगी। गुरु जी कॉपी लेकर कक्षा से बाहर चले गए.

पिल्लू ने कहा कि आज तो अंग्रेज़ी वाले गुरुजी ने बचा लिया। मैंने सोचा लिया था कि इस बार भी मैं फेल हुआ।

पिंटू ने कहा, -"चलो कोई बात नहीं लेकिन तुझे गणित नहीं आएगी तो आगे की परीक्षा में कैसे पास होगा"।

पिल्लू ने कहा, -"बाद की बाद में देखी जाएगी। चल बाहर चलते हैं"। दोनों दोस्त हाथ में हाथ डाले स्कूल के मैदान में आ गए. जैसे ही पिल्लू शाम को घर पहुंचा तो पिताजी ने पूछा कि आज का पेपर कैसा हुआ। पिल्लू ने आत्मविश्वास से जवाब दिया बहुत अच्छा पिता जी. पिल्लू ने मन ही मन सोचा कि फ़ेल तो मैं आज भी हो गया होता अगर अंग्रेज़ी के गुरु जी ने कक्षा में प्रवेश नहीं किया होता।

दूसरे दिन सुबह पिल्लू बहुत खुश था। सुबह से ही कॉपी मिलने का इंतजार कर रहा था। गणित की क्लास में गुरूजी ने प्रवेश किया और उन्होंने गणित का प्रश्नपत्र दिखाना शुरू किया। एक-एक करके सब विद्यार्थी ने अपना प्रश्न पत्र एकत्र किया। हर बार की तरह इस बार भी पिंटू को गणित में पूरे नंबर मिले थे। गुरुजी ने सारे विद्यार्थी को गणित की कॉपी दिखा दी। पिल्लू को अभी तक कॉपी नहीं मिली थी। सबकी कॉपी बांटने के बाद अंत में गुरु जी ने पिल्लू को कक्षा में सबसे आगे बुलाया और पिल्लू का नंबर जोर से पढ़ा 'शून्य' । यह सुनकर पिल्लू का दिल जोर से धड़कने लगा। अब गुरुजी ने पास में रखी छड़ी उठा ली। पिल्लू की कॉपी भरी कक्षा में दिखाते हुए बोले कि पिल्लू ने तो सारे सवाल के जवाब सही दिए हैं। पर पिल्लू से नकल मारते समय एक गलती हो गई. पहले प्रश्न का उत्तर दूसरे प्रश्न के सामने दूसरे प्रश्न का उत्तर तीसरे प्रश्न के सामने और तीसरे प्रश्न का उत्तर पहले प्रश्न के सामने लिख दिया। इतना सुनते ही कक्षा में बैठे सारे विद्यार्थी जोर-जोर से हंसने लगे। गुरूजी ने छड़ी निकालकर पिल्लू को 15 छड़ी लगाई. इसके बाद पिल्लू को भरी कक्षा में मुर्गा बना दिया गया।

जैसे ही आधी छुट्टी हुई पिंटू पिल्लू के पास गया और बोला, -" अबे पिल्लू कैसे नकल मारा। कम से कम प्रश्न तो पढ़ लिया होता।

पिल्लू ने चिढ़कर बोला, -"मुझे पढ़ना आता तो तेरे जैसे ही नंबर मेरे नहीं आते। चल बाहर घूमने चलते हैं"।

पिल्लू लंगड़ाकर चल रहा था। पिंटू मज़ाक में बोला, -"अबे ऐसे क्यों चल रहा है"।

पिल्लू ने कहा, -"अबे गुरु जी ने जो मार लगाई है कि मुझसे चला नहीं जा रहा है। गणित मेरी पढ़ाई छुड़ाकर रहेगी"। पिंटू बोला, -"अभी हौसला रख सब ठीक हो जाएगा"। पिल्लू बोला, -"खाक हौसला रखें। अभी शाम को पिताजी कुटाई करने वाले हैं"।

पिंटू ने पिल्लू से पूछा, -"कल शाम को शिविर चल रहा है न। यहाँ से 50 किलोमीटर दूर जाना होगा। रात को वहीं रहना होगा। परसों शाम तक हम लोग घर वापस आ जाएंगे। तूने शिविर का पैसा भरा की नहीं"।

पिल्लू ने कहा, -"अभी कहां। अब तो पिताजी कोई पैसा नहीं देंगे"।

पिंटू ने कहा, -"चल कोई बात नहीं। मैं तेरा पैसा जमा करा दूंगा। तू बाद में दे देना"।

जैसे ही शाम को पिता जी घर आए. उन्होंने पिल्लू से पूछा गणित में कितने नंबर हैं। पिल्लू कुछ नहीं बोला। पिताजी ने जोर से डाटा और पूछा कॉपी मिली की नहीं।

पिल्लू बोला, -"मिली है पिताजी. शून्य नंबर मिले हैं"। इतना सुनते ही पिताजी ने आव देखा न ताव पिल्लू की जम के धुनाई कर दी। पिल्लू धीरे से अपने कमरे में चला गया। वो गणित की किताब खोल कर बैठ गया। वह सोच रहा था कि काश गणित विषय ना होता तो कितना अच्छा होता।

दूसरे दिन पिल्लू अपनी माँ से बोला, -"मां आज मेरे कक्षा का शिविर जा रहा है। हम लोग कल शाम तक लौट आएंगे। मैं पिताजी से बताता तो वह मुझ पर गुस्सा करते"।

माँ प्यार से बोली, -"बेटा, तू क्यों पिताजी को बार-बार नाराज करता है। क्यों नहीं मन लगाकर पढ़ा करता"।

पिल्लू बोला माँ तू तो जानती है कि गणित मुझे एकदम नहीं समझ में नहीं आती"।

माँ ने चिंतित होकर पूछा, -"लेकिन बेटा आगे तेरा कैसे काम चलेगा"।

मां, वही तो मैं भी सोच रहा हूँ। कहीं गणित के चक्कर में मुझे अपनी पढ़ाई ना छोड़ देनी पड़े"। इसके बाद पिल्लू स्कूल के लिए रवाना हो गया। उसने अपने साथ थोड़ी बहुत खाने पीने की चीज रख ली जो उसे स्कूल से निर्देश मिला था। वह लोग स्कूल पहुंचे। शाम को गुरुजी ने सबको बस में बैठने का निर्देश दिया। बस में सारे विद्यार्थी अपनी-अपनी सीट पर बैठ गए. पिंटू और पिल्लू एक ही सीट पर बैठे। थोड़ी देर बाद गुरुजी ने बस में प्रवेश किया। उन्होंने बस में बैठे हुए विद्यार्थियों की संख्या की गणना की और बस को चलाने का आदेश दे दिया। बस रफ्तार से चलने लगी। कल की मार की वजह से पिल्लू का सारा शरीर दुख रहा था।

थोड़ी देर बाद पिंटू पिल्लू से पूछा, -"क्यों पिल्लू कुछ बोल नहीं रहा है। कल पिताजी ने क्या कहा"।

पिल्लू ने कहा, -"पिताजी ने कुछ नहीं कहा सिर्फ़ पिटाई लगाई"।

पिंटू ने कहा, -"सुन ध्यान से एक बात बताता हूँ। मेरी माँ कह रही थी कि जहां हम लोग शिविर जा रहे हैं वहाँ से कुछ दूरी पर परमवीर बाबा का आश्रम है। सुना है वह सारी समस्या का समाधान कर देते हैं"।

मैंने माँ से पूछा, -"पिल्लू को गणित नहीं आती है। क्या बाबा उसकी समस्या का भी समाधान कर देंगे"। माँ ने कहा कि हाँ कर देंगे।

पिंटू ने कहा, -"देख पिल्लू जब सब लोग रात में सो जाएंगे तो हमलोग धीरे से निकल कर आश्रम की ओर चल चलेंगे। तुझे एक बार उनका आशीर्वाद मिल गया तो तेरी गणित की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी और सुबह से पहले हम लोग लौट कर वापस शिविर में आ जाएंगे। किसी को कानों-कान खबर नहीं होगी"।

पिल्लू बोला, -"अगर गुरुजी को पता चल गया तो" ।

पिंटू ने कहा, -"इस बारे में हम किसी से कोई मंत्रणा नहीं करेंगे। और तुझे गणित में पास होना है कि नहीं"।

"हां, पास तो होना है"।

"तो तुझे परमवीर बाबा ही पास करा सकते हैं और हम लोगों को थोड़ा खतरा तो उठाना ही पड़ेगा"।

पिल्लू ने कहा, -"लेकिन पिंटू तू यह क्यों खतरा उठा रहा है"। पिंटू ने कहा कि दोस्ती के लिए. जैसे ही उनकी बस शिविर मनाने वाले स्थान पर पहुंची सारे विद्यार्थी उतर कर चल दिए. उनका शिविर एक स्कूल में था जिसके कमरे में विद्यार्थियों के रहने के लिए व्यवस्था की गई थी। सारे विद्यार्थियों को हाल में रहने के लिए कहा गया। थोड़ी देर बाद गुरुजी ने प्रवेश किया और सब से कहा सब लोग हाथ मुंह धो कर बैठ जाइए. रात का खाना खाने तक कहीं नहीं जाना है। खाना खाने के बाद सब को सो जाना है। कोई भी विद्यार्थी रात में इधर-उधर नहीं टहलेगा। कल हम लोग इस इलाके की सैर करेंगे और यहाँ की रहन शहन और संस्कृति के बारे में जानकारी लेंगे। थोड़ी देर बाद सबको रात का खाना खाने के लिए आमंत्रित किया गया। खाना खाने के दौरान पिंटू ने स्कूल के एक नौकर से पूछा कि क्या आस पास कोई परमवीर बाबा का आश्रम है। सुनते हैं उनके पास हर समस्या का समाधान है। नौकर बोला हां यहाँ से कुछ दूरी पर परमवीर बाबा का आश्रम है। यहाँ के लोगों में उनके प्रति अपार श्रद्धा है।

पिंटू ने धीरे से कहा, -" क्या आप हमें परमवीर बाबा के आश्रम तक जाने का रास्ता बता सकते हैं?

उस नौकर ने कहा, -" बाबा का आश्रम यहाँ से 30 किलोमीटर दूर है और अभी रात को कोई सवारी नहीं मिलेगी। आप सुबह उनके आश्रम जा सकते हैं।

पिंटू ने कुछ देरी सोच विचार किया और नौकर से पूछा, -"कोई और रास्ता नहीं है"।

नौकर बोला, -"एक रास्ता है वह रास्ता जंगल से होकर जाता है। पर रास्ता बहुत खतरनाक है"।

पिंटू ने पूछा, -"क्यों?"।

नौकर ने बोला, -"वहाँ बहुत से जंगली जानवर पाए जाते हैं और इधर कुछ दिनों से उस जंगल में रहस्यमई वारदातें हो रही हैं। उस जंगल वाले रास्ते पर जाने से लोग दिन में डरते हैं रात की तो बात ही क्या"।

पिंटू ने कहा, -"हमें जंगल वाला रास्ता बताइए"।

नौकर ने जवाब दिया, -"इस स्कूल गेट से निकलकर आप लोग दाहिने मुड़ जाइएगा। आधा किलोमीटर चलने के बाद एक चौरास्ता आता है। चौरास्ते से आप लोग दाहिने मुड़ जाइएगा। वहाँ से 1 किलोमीटर चलने के बाद एक और चौरास्ता आएगा। वहाँ से बाएँ कच्ची सड़क जाती है। आप लोग कच्ची सड़क पर सीधे चलते चले जाइएगा। थोड़ी देर बाद जंगल शुरू हो जाएगा। जहां यह जंगल खतम होगा वहाँ से कुछ दूर बाबा का आश्रम है। लेकिन मैं आपको एक बार फिर हिदायत दे रहा हूँ कि आप लोग जंगल के रास्ते जाने का कष्ट ना करें"।

पिंटू ने कहा, -"नहीं हमें बाबा के आश्रम में नहीं जाना है। मैं यूंही जानकारी ले रहा था। धन्यवाद"।

खाना खाने के बाद दोनों दोस्त सभी विद्यार्थियों के साथ हॉल में जाकर सो गए. रात के करीब 12: 00 बजे पिंटू ने पिल्लू को जगाया। उन्होंने देखा सारे विद्यार्थी सो रहे थे। वे दोनों बिना आवाज किए बाहर आ गए. बाहर सब कुछ सूनसान था। चारो तरफ अँधेरा था। वे दोनों धीरे-धीरे चलते हुए स्कूल की गेट तक आए. पर गेट पर ताला लगा हुआ था। उन्होंने धीरे से स्कूल की बाउंड्री को लांघा और बाहर आ गए और नौकर के बताए हुए रास्ते पर चलने लगे। थोड़ी ही देर में उन्हें कच्चा रास्ता मिल गया और वह उस पर धीरे-धीरे चलने लगे। थोड़ी दूर चलने के बाद जंगल शुरू हो गया। कच्चे रास्ते के दोनों तरफ घने पेड़ थे। चारों तरफ अँधेरा था। काफी जोर से हवा चल रही थी। पूरे जंगल में साय-साय की आवाज आ रही थी। पूरे सड़क पर कहीं रोशनी का नामोनिशान नहीं था। पर चांदनी रात होने की वजह से रास्ता अच्छी तरीके से दिखाई दे रहा था। दोनों दोस्त हाथ में हाथ डाले सड़क पर चले जा रहे थे। जैसे-जैसे वह सड़क पर चले जा रहे थे जंगल और भी घना होता जा रहा था।

तभी शांति तोड़ते हुए पिल्लू ने कहा, -"पिंटू, कहीं हम लोग इस रास्ते पर चल के कोई गलती तो नहीं कर रहे"। पिंटू ने कहा, -"अबे कुछ नहीं होगा और तू यह भी तो समझ कि अगर हम लोग परमवीर बाबा के आश्रम में पहुंच गए तो तेरी गणित की समस्या हमेशा के लिए हल हो जाएगी"।

पिल्लू ने कहा, -"हां, तू सही कह रहा है। गणित की समस्या रास्ते से ज़्यादा कठिन है"।

थोड़ी देर चलने के बाद वे सुस्ताने के लिए एक पुलिया पर बैठ गए. पिल्लू बोला, -"पिंटू, हम लोग सुबह तक परमवीर बाबा के आश्रम तक पहुंच जाएंगे ना"।

"अरे हां-हां क्यों नहीं आराम से पहुंच जाएंगे"।

पिल्लू थोड़ा सहम कर बोला, -"पता नहीं सुनसान रास्ते पर चलते समय मुझे बहुत डर लग रहा है। देख ना हम दोनों के अलावा कोई नहीं है इस रास्ते पे"।

पिंटू बोला, -"अबे मुझे भी डरा रहा है। वह तो गनीमत है कि आज चांदनी रात है। नहीं तो रास्ते में चलने में बहुत मुश्किल होती है और हमने एक गलती भी कर दी है कि हमें एक टार्च ले लेनी चाहिए थी। चल अब बहुत आराम कर लिया"।

फिर दोनों दोस्त रास्ते पर चल दिए. वे तेजी से रास्ते पर चले जा रहे थे। तभी अचानक दोनों को गुर्राने की आवाज सुनाई दी। वह सहम गए और एक दूसरे की ओर देखने लगे।

पिंटू ने कहा, -"थोड़ा सावधान हो जाते हैं लगता है कोई जंगली जानवर है। शायद कोई कुत्ता या और कोई"।

पिल्लू बोला, -"तेरा और कोई से क्या मतलब है?"

पिंटू बोला, -"कोई सियार, चीता, भालू या शेर। याद नहीं नौकर ने बताया था कि यहाँ काफी जंगली जानवर रहते हैं"।

पिल्लू गुस्से से बोला, -"अबे पिंटू अगर तुझे पता था तो यहाँ क्यों आया"।

पिंटू बोला, -"तुझे गणित में पास होना है कि नहीं"।

पिल्लू बोला, -"वह तो होना है गणित में पास"। "होना है तो चुपचाप चलता रहे। जो मुसीबत आएगी उसे झेल लेंगे"। तभी उन्होंने महसूस किया कि कोई जानवर की उनकी तरफ़ दौड़ता आ रहा है। उन्होने मुड़कर देखा तो महसूस किया कि शायद कोई जंगली कुत्ता उनकी तरफ बहुत तेजी से दौड़ रहा था। उसे देखते ही दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़े सड़क पर तेजी से दौड़ लगा दी। कुत्ता भों-भों करता हुआ उनकी तरफ तेजी से आ रहा था। वे पूरी ताकत से सड़क पर भागे जा रहे थे। तभी पिंटू की दृष्टि जंगल में पड़े एक लोहे के डिब्बे पर गई.

पिंटू ने जोर से बोला, -"चल दौड़कर उस डिब्बे में छुप जाते हैं"। वे तेजी उस डिब्बे की तरफ भागे और उस डिब्बे में चढ़ गए. उस डिब्बे का दरवाजा बंद कर लिया। दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। थोड़ी देर बाद जब उनकी सांस थमी तो उन्होंने महसूस किया कि वह एक मालगाड़ी का डिब्बा था। जो पता नहीं कहाँ से जंगल में पड़ा हुआ था। पिंटू ने दरवाजे से झांक कर देखा कुत्ता अभी भी डिब्बे के पास खड़ा था और भोंक रहा था।

पिंटू ने कहा, -"कुत्ते के जाने तक हम लोगों को डिब्बे में ही छुपा रहना होगा"। थोड़ी देर बाद कुत्ता वहाँ से चला गया। उसके बाद दोनों दोस्त ने फिर यात्रा आरंभ की। पर अब उनके मन में भय व्याप्त हो गया था। वे दोनों चारों तरफ देख-देख कर चल रहे थे। तेज हवाओं से जंगल अब भी साय-साय कर रहा था। चारों तरफ चांदनी बिछी हुई थी। वे लगातार सड़क पर चले जा रहे थे।

तभी शांति तोड़ते हुए पिल्लू ने कहा, -"पिंटू तू क्यों खतरा उठा रहा है मेरे लिए"।

पिंटू ने कहा, -"कोई बात नहीं। इस उम्र में दोस्ती निभाने का अपना मजा है। फिर तू गणित में पास हो गया तो तेरा मेरा साथ आगे भी रहेगा। वरना हमारी दोस्ती टूट जाएगी और मैं तुझे किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहता"। थोड़ी देर चलने के बाद पिल्लू ने कहा, -"यार पिंटू हम लोगों को पानी भी साथ में ले लेना चाहिए था। मुझे प्यास लग रही है"।

पिंटू ने कहा, -"यार, तू सही कह रहा है पर इस जंगल में हमें पानी मिलेगा कहाँ से"। जैसे-जैसे रात बीतती जा रही थी। उनकी प्यास बढ़ती जा रही थी। तभी पिल्लू ने देखा कि सड़क के किनारे जंगल के बीचोबीच एक घर था।

उसने पिंटू से बोला, -"यार पिंटू, जंगल के बीचो बीच घर कैसा"। वे दोनों रुककर घर को निहारने लगे। घर एक दो मंजिला इमारत थी। एक कमरा नीचे और एक कमरा ऊपर था। ऊपर वाले कमरे से लगे एक बालकनी थी। नीचे वाले कमरे के पास एक हैंड पम्प था। इमारत काफी जर्जर हालत में दिखाई देती थी। पर चांदनी रात में घर बहुत भयानक प्रतीत हो रहा था।

पिल्लू ने प्रिंट से कहा, -"आ देखते हैं हैंडपंप से पानी निकलता है कि नहीं"। वे दोनों हैंडपंप के पास चले गए. पिल्लू ने हैंडपंप चलाया तो उससे पानी निकलने लगा। दोनों ने जम के पानी पिया। पानी पीते ही उनके शरीर में जान आ गई.

पिल्लू ने कहा, -"अब हम बाबा के आश्रम तक पहुंच जाएंगे। पर एक बात बता इस जंगल में यह घर क्या कर रहा है"।

पिंटू ने कहा, -"अबे, हम से क्या मतलब, होगा किसी का। हमारी प्यास बुझ गई और क्या। यात्रा शुरू करते हैं"।

तभी पिल्लू की दृष्टि बालकनी पर पड़ी। उसने देखा वहाँ कोई साया खड़ा था। पिल्लू डर गया। उसने पिंटू को इशारे से बालकनी की तरफ दिखाया। साये का चेहरा अब साफ दिखाई दे रहा था। उसकी दोनों आंखें खुली थी और ज़रूरत से ज़्यादा बड़ी लग रही। उसके बाल बिखरे हुए थे और तेज हवा की वजह से उड़ रहे थे। उस औरत का मुंह खुला हुआ था। उसके बड़े-बड़े दांत बाहर दिखाई दे रहे थे। वह औरत उन दोनों को घूर रही थी। रात के समय उसका शरीर एक कंकाल-सा प्रतीत होता था।

उसने ऊपर से आवाज लगाई कि तुम दोनों कौन हो और बिना मेरी इजाजत के तुमने हैंड पंप का इस्तेमाल क्यों किया। तुम दोनों को इसकी सजा मिलेगी। रुको मैं अभी नीचे आती हूँ। पिल्लू और पिंटू मूर्तिवत बनकर खड़े रहे। तब तक वह औरत नीचे आ गई. ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई कंकाल उनके पास आ रहा है। वो ज़ोर जोर से हंस रही थी।

तभी पिंटू ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, -"चल भाग यहाँ से"। इसके बाद उन दोनों ने सड़क पर दौड़ लगा दी। वो औरत चिल्लाती रहे रुको रुको। वह दोनों दोस्त बिना रुके और पीछे मुड़े सड़क पर तेजी से भागते रहे। थोड़ी देर भागने के बाद जब वह थक गए तब वह एक पुलिया पर बैठकर सुस्ताने लगे।

जब उनकी सास थमी तो पिल्लू ने कहा, -"यार, कितनी भयानक औरत थी। पर इस जंगल में अकेले क्या कर रही थी। यह तो कोई प्रेतनी या चुडैल मालूम पड़ती है"।

पिंटू ने कहा, -"मुझे क्या पता कौन थी। चल अब इस जंगल में ज़्यादा रुकना ठीक नहीं है। जितनी जल्दी हो हमें यह जंगल पार कर लेना चाहिए. जब से चले हैं एक न एक मुसीबत में हम फंसते जा रहे हैं"। "हां, ठीक है"। इसके बाद दोनों तेज गति से चलते हुए जंगल को पार करने लगे। पर उन्हें ऐसा लग रहा था कि पैदल जंगल पार नहीं हो रहा हो। वे दोनों आपस में बिना बात किए हुए चले जा रहे थे। काफी देरी बाद उन्हें एक पुलिया दिखाई दी। वे दोनों सुस्ताने के लिए बैठ गए. अब उन्हें काफी थकावट महसूस हो रही थी और उनके पैरों में काफी दर्द हो रहा था। पर ऐसा लगता था कि उन्होने जंगल पार कर लिया है। चांद को देखने से यह अनुमान लग रहा था कि सुबह होने वाली है। पर हवा उसी गति से चल रही थी। यह अवश्य था कि ठंडी हवा उनकी थकावट को काफी कम कर रही थी। इसके बाद उन्होंने दोबारा चलने का निश्चय किया।

पिल्लू ने कहा, -"थोड़ी देर में सुबह हो जाएगी और हमने काफी रास्ता तय भी कर लिया है"। अचानक उन्हें कुछ आदमियों की बात करने की आवाजे सुनाई दी"।

पिल्लू ने धीरे से कहा, -"पिंटू तुमने कुछ सुना"।

पिंटू ने कहा, -"हां, किसी के बात करने की आवाज ही आ रही है। चल कर देखते हैं कि माजरा क्या है"।

पिल्लू ने कहा, -"नहीं, अब हम और कोई मुसीबत नहीं बुलाएंगे"।

पिंटू ने कहा, -"डरने की कोई बात नहीं है। देखते हैं। ज्यादा से ज़्यादा क्या होगा"।

पिल्लू ने कहा, -"लगता है गणित हमें बहुत भारी पड़ने वाली है"।

आवाज बाई तरफ के जंगल से आ रही थी। वे लोग आवाज की दिशा में चलने लगे। अचानक उन्होंने देखा कि जंगल के बीचोबीच एक झोपड़ी थी और उसमें एक लालटेन जल रही थी। वे दोनों झोपड़ी के पास एक विशालकाय पेड़ की ओट में छुप गए. झोपड़ी के सामने दो चौकी रखी थी। उस पर चार आदमी बैठे थे। वह सब मांस और मदिरा का सेवन कर रहे थे। ऐसा लग रहा था कि उन्हे नशा हो गया है। दोनों दोस्त उन चारों आदमियों की बातों को ध्यान से सुनने लगे। उनकी बातों को सुनने से ऐसा पता लग रहा था कि वह एक बैंक लूटने की योजना बना रहे हैं।

पिल्लू ने कहा, -"चल चुपचाप यहाँ से बाहर चलते हैं। यह आपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं। अगर हम इनके चंगुल में फस गए तो मुसीबत में आ सकते हैं"।

पिंटू ने कहा, -"वह सब तो ठीक है। पर हमे कुछ तो करना चाहिए. खास करके जब हम इन का इरादा भाँप गए हैं"। पिल्लू ने कहा, -"मत पड मुसीबत में। चल भाग चलते हैं चुपचाप यहाँ से"।

पिंटू ने कहा, -" हम सब जवान हैं। एक अच्छे नागरिक की हैसियत हमे कुछ तो करना चाहिए.

पिल्लू ने कहा, -"भाई, तेरा इरादा क्या है"। पिंटू ने कहा, -"कुछ खास नहीं। अभी ये सब नशे में धुत होकर गिर पड़ेंगे। इसके बाद हम दोनों उन चारों आदमियों को चौकी से बांध देंगे और परम वीर बाबा को जाकर इसकी सूचना दे देंगे। जब तक यह नशे में आएंगे हो सकता है तब तक यह पुलिस की गिरफ्त में हो"।

वे दोनों पेड़ की ओट में छुप कर उनके सोने का इंतजार करने लगे। जब चारो नशे में धुत होकर सो गए.

पिल्लू और पिंटू पेड़ के पीछे से बाहर आए.

पिंटू ने कहा, -"पिल्लू, तू बाहर रहकर इन चारों पर नजर रख। मैं झोपड़ी के अंदर जाकर इनके बांधने के लिए कोई रस्सी देखता हूँ"।

पिंटू झोपड़ी के अंदर गया और बांधने की रस्सी ले आया। उन दोनों ने उन चारों आदमियों को चौकी के साथ बांध दिया। वे चारो इतने नशे में थे कि उनको इसका एहसास भी नहीं हुआ। उनको बांधने के बाद वह दोनों दोस्त तेजी से सड़क पर भागने लगे। थोड़े ही समय में चिड़ियों के चहचहाने की आवाजें सुनाई देने लगी। आसमान में सूरज दिखाई देने लगा। थोड़ी दूर चलने के बाद जंगल खत्म हो गया। परमवीर बाबा का आश्रम दिखाई देने लगा। उन दोनों के तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। वे दोनों चुपचाप आश्रम में घुस गए. उन्होंने देखा बाबा ध्यान मग्न है। वे दोनों बाबा के पास गए. उन्होने बाबा का चरण स्पर्श किया।

बाबा ने आंखें खोली और बोले, -"कहो बालकों आप इतनी सुबह यहाँ क्या कर रहे हो"।

पिंटू ने बाबा को सारी दास्तान सुनाई. तुरंत बाबा ने अपने एक शिष्य को पुलिस स्टेशन भेजकर पुलिस को इस सारे घटना से अवगत कराने के लिए कहा। बाबा ने बच्चों को इस कारनामे के लिए शाबाशी दी।

बाबा ने कहां, -"यह सब तो ठीक है पर तुम लोग मेरे पास क्यों आए हो"।

पिंटू ने कहा, -"बाबा, यह मेरा दोस्त पिल्लू है। यह गणित में बहुत कमजोर है। सुना है आप कोई भी काम कर सकते हैं। बाबा, पिल्लू की गणित की समस्याओं को हल कर दीजिए"।

बाबा जोर से हंसे और कहा, -"बेटा, मैं भी गणित पर बहुत कमजोर था। एक बार गणित में फेल होने पर मेरे पिताजी ने मेरी बहुत पिटाई की। इसके बाद मैं घर से भाग गया और बाबा बन गया। मैं तुम्हारी गणित की समस्या को नहीं हल कर सकता"।

पिल्लू ने घूरकर पिंटू को देखा और बोला, -"अबे पिंटू, अब मेरा क्या होगा। लगता है मुझे भी अब बाबा की ही शरण लेनी पड़ेगी"। यह सुनकर बाबा जोर से हंसे और प्यार से पिल्लू के सर पर हाथ रखा और बोले, -"बेटा घबराने की कोई बात नहीं। मैं तो मजाक कर रहा था। मैं तुमको अभी एक मंत्र लिख कर देता हूँ जिसे तुमको सुबह और शाम 108 बार पढ़ना होगा। पर बाबा मन-ही-मन जानते थे कि यह मंत्र पढ़ने से सिर्फ़ पिल्लू का आत्मविश्वास बढ़ेगा न की गणित की समस्या। उन्होंने पिल्लू से कहा, -" बेटा तुम इस मंत्र का जाप रोज करोगे। गणित की पढ़ाई रोज करोगे। गणित का सवाल लिख कर हल करोगे। जिस विषय से तुम जितना भागोगे वह विषय तुमसे भी उतना ही भागेगा। अतः मैंने जो नियम तुम्हें बताए हैं तुम उसका पालन रोज करोगे। मेरा आशीर्वाद है कि तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी।

इसके बाद दोनों ने बाबा का पैर छुआ और आशीर्वाद लिया। बाबा ने उन दोनों दोस्तों को अपनी गाड़ी से उनके स्कूल पहुंचवा दिया। इसके बाद पिल्लू ने बाबा के बताए गए नियम का पालन किया और गणित अच्छे नंबरों से पास की। धीरे-धीरे गणित उसका पसंदीदा विषय बन गया। समय बीतता गया पिल्लू एक बड़ी-सी यूनिवर्सिटी में गणित का प्रोफेसर बना। पर जब भी पिल्लू अपनी इस यात्रा को याद करता है तो उसका मन रोमांच से भर जाता है। एक ऐसी यात्रा जिसने उसके जीवन को इतना बदल दिया कि गणित से भागने वाला एक विद्यार्थी आज गणित का प्रोफेसर बना।

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