मनोरंजन
🌹🌹🌹🌹 ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹
जहालत 'को मनोरंजन 'फ़ज़ीहत को मनोरंजन।
यहाँ कुछ लोग कहते हैं 'शरारत को मनोरंजन।
ख़ुदा के वास्ते भूले से भी 'कहना न तुम हरगिज़।
मुह़ब्बत को मनोरंजन इ़बादत को मनोरंजन।
बड़ी मुश्किल से इक-इक दिन गुज़रता है यहाँ इसका।
मगर बेअ़क़्ल कहते हैं मई़शत को मनोरंजन।
लगाम अपनी ज़बानों पर लगाकर जो नहीं रखते।
वही हँस - हँस के कहते हैं मुज़म्मत को मनोरंजन।
उसी की ज़िन्दगी चैन ओ 'सुकूँ से कट रही है बस।
बनाया है यहाँ जिसने क़नाअ़त को मनोरंजन।
किसी इन्सान की खिल्ली उड़ाकर आज कल जग में।
बहुत से लोग कहते हैं इहानत को मनोरंजन।
मसाफ़त मन्ज़िलों की उनकी ख़ातिर कुछ नहीं होती।
समझ लेते हैं जो हर इक सियाहत को मनोरंजन।
फ़राज़' उनको नहीं होती थकन हरगिज़ भी कामों से।
जो 'दिल से मान लेते हैं महारत को मनोरंजन।
सरफ़राज़ हुसैन 'फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद उ.प्र.।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Seema Priyadarshini sahay
22-Jun-2022 11:04 AM
बहुत खूबसूरत
Reply
Dr. Arpita Agrawal
21-Jun-2022 12:07 PM
लाजवाब 👌👌👌
Reply
Shrishti pandey
21-Jun-2022 10:33 AM
Nice
Reply