Kahani sharma

लाइब्रेरी में जोड़ें

कैसी है ज़िन्दगी भाग --5




भाग --5 

अब आगे :- 

एक दिन अचानक बापू को अटैक आ जाता है संभालने का भी मौका नही मिल पाता किसी को भी ,  दस मिनट में ही सब खत्म हो जाता है मैं स्कूल से घर आया तो इतनी भीड़ देख कर डर गया यहाँ इतनी भीड़  क्या हो रही है सब ठीक तो है मैं तुरंत भाग कर अंदर जाता हूँ तो देखता हूं माँ बिलख बिलख कर रो रही है बापू सफेद चाद्दर में लिपटे पड़े है ये देख कर मैं दरवाजे पर भी जड़ गया मुझ में काँटो तो खून ना ही ये हाल हो गया था बापू के दोस्त ने मुझे आकर संभाल  मुझे फिर कोई होश नही की मैने कैसे कैसे बापू का अंतिम संस्कार किया ! 

माँ और छोटे भाई बहन का भी यहीं हाल था पड़ोसियों ने जैसे तैसे सब को खाना खिलाया हम सब के  तेरह दिन तेरह जन्म के जैसे बीते तेरहवीं की बापू की , अब घर कैसे चलेगा ये चिंता सताने लग गयी , वो तो बापू का  मालिक बहुत ही नेक दिल आदमी था एक दिन बड़ी सी गाड़ी घर के दरवाजे पर आ कर रुकी घर मे आये , हमे में से  कोई भी उन्हें नही जानता था बस नाम से ही वाकिफ़ थे उन्होंने अपना परिचय दिया तो मैं एक टक उन्हें देखता रह गया ये यहाँ हमारे घर जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि वो अभी तक दरवाजे पर ही है मैने अंदर आने के लिए कहा उन्हें बिठाया ! 

पानी ले कर आया उन्होंने पूछा तुम बड़े बेटे हो मैने हा में सर हिला दिया बोले पढ़ाई पूरी हो गयी , मैने माना कर दिया नही अभी नही हुई हैं स्कूल छोड़ दिया है वो बोले क्यों मैं बोला बापू नही रहे तो घर चलाने के लिए कोई कामकाज खोज रहा हूँ जिससे छोटे भाई बहन और माँ का ख्याल रख सकू मैं ही बड़ा हूँ तू मुझे ही ये जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी ! 

उन्हाने बड़े ही प्यार से मुझे अपने आस बिठाया और बोले तुम बस पढ़ाई पूरी करो पेपर होने के बाद कंपनी में आ जाना मैं कोई न कोई काम पर रख लूंगा तुम्हारे बापू बहुत ही मेहनती इंसान थे मैं उनपर आँख बंद कर के भरोसा कर सकता था जब तक मेरी कम्पनी में रहे पूरी ईमानदारी के साथ काम किया ! कोई और होता तो मैं यहाँ नही आता , मुझे पहले ही आ जाना चाहिए था पर मैं बाहर गया हुआ था काम के सिलसिले में वही मुझे पता चला था सुनकर बहुत दुख हुआ था !

मैं कल ही यहाँ आया हूँ ऑफिस जाने से पहले सीधा यही आया हूँ और बेटा तुम पैसो की चिंता मत करो ऐसे नेक इंसान के परिवार की मै अगर कुछ मदद कर पाया तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी आज से हर महीने तुम्हारे बापू की तनखाह यहाँ आ जाया  करेगी तुम और तुम्हारे भाई बहन पढ़ाई करे ! 

वो ये कहते हुए एक लिफाफा मेरे आगे बढ़ा देते है अब से किसी बात कर लिए परेशान नही होना कोई भी जरूरत हो मेरे पास आ जाना बस ! 

वो मुझे एक फोन भी देते हुए बोलते है उसमें मैने अपना नम्बर सेव कर दिया है कभी भी कॉल कर लेना , मेरी आँखो से आँसू गिरने लगते है इतने बड़े हो कर रोते हो तुम ऐसा करोगे तो इन सब को कौन संभालेगा ! 

सर आप मरे लिए इस वक़्त फरिश्ता बन कर आये हो मेरी सारी परेशानी अपने सर ले लिए , नही बेटा मैने कुछ नही किया है ये तो तुम्हारे बापू के प्रताप का नतीजा है जो ये सब हुआ उसमे तो मै कुछ नही कर सकता पर उस के परिवार के लिए मुझ से जो बनेगा में करूंगा ! 

हम सब उनके आगे हाथ जोड़ कर खड़े हो जाते है आज  आप नही होते तो पता नही हमे कब तक ऐसे दूसरों के आस पर रहना होता नही बेटा ऐसे मत बोलो तुम बस सब का खयाल रखो थोड़ी देर बाद वो चले जाते है ! 

जब मुझे एहसास हुआ बापू ने कुछ कमाया हो या नही पर इज़्ज़त बहुत कमाई है जब ही से मैने भी बापू की तरह नेक बनने का सोच लिया था सर को कभी भी शिकायत का मौका नही दूँगा पूरे तन मन से उनको ही समर्पित कर दूंगा जिस इंसान ने खुद आगे आ कर हमारी डूबती हुई नैया को किनारे लगाया उसे कैसे निराश कर सकता हूँ !  

हा यार ये बात तो सही कही आज कल ऐसे भले मानस कहाँ मिलते है जो गैरो के लिए इतना करे यहाँ तो अपने भी पराए हो जाते है ! 

फिर क्या हुआ आगे बता हा फिर वो हर महीने बापू की तन्खाह घर भिजवा देते थे एक दिन भी इधर से उधर नही हुआ था !  मैंने भी बारवीं के पेपर होते ही फिक्र से उनके पास चला गया ! वो मुझे देख कर बहुत खुश हुए और अपने मैनिज़र को बुला  कर मुझे उनके साथ भेज दिया गया मुझे फैक्ट्री का काम समझ दिया गया सब माल का हिसाब किताब रखने के लिए बोला गया था ! 

बहुत जल्द ही मैने वहाँ सब काम सिख लिया था और सब का दिल भी , मेरा रिज़ल्ट बहुत अच्छा आया था उन्होंने ही मुझे बुलाया और मेरा मुँह मीठा करवाया गले लगाते हुए बोले टॉप किया है तुमने बारवीं में तुम बहुत मेहनती हो दिल लगा कर पढ़ा जिसका नतीजा आज इतना अच्छा आया है  मैं बोला अरे आज रिजल्ट था मैं तो भूल ही गया था सर मैने उनके पैर छुए उन्होंने आशीर्वाद दिया ! 

वो बोले आगे पढ़ाई करनी है मैं चुप हो गया नही कर पाऊंगा सर पर चाहता तो था पर , पर क्या कोई पर वार नही पढ़ना है या नही ये बोलो मैं सारा इंतज़ाम करवा दूँगा मेरी चुप्पी को वो समझ गए ओर मेरा एक ओपन कॉलिज में एडमिशन करवा दिया काम भी थोड़ा कम कर दिया जिससे मुझे पढ़ाई का टाइम मिल सके धीरे धीरे तीन साल हो गए मेरी बी.ए. भी हो गया अब मेरी पढ़ाई के अनुसार मेरे पद में भी इजाफा कर दिया गया ! 

ज़िन्दगी बड़े आराम से काट रही थी भाई ने आगे नही पड़ा तो उसे एक दुकान खुलवा दी वो भी जाम गया काम पर अच्छे से, बहन की एक अच्छा सा रिश्ता देख कर उसे विदा कर दिया था बहन की शादी के कुछ समय उपरांत ही माँ का भी निधन हो गया अब घर मे हम दोनों ही भाई रह गए ! 

सर ने मुझसे एक दिन कहा तुम भी शादी कर लो जिससे थोड़ा सा तुम्हे भी आराम हो जाये यहाँ करते हो घर भी देखते हो बीवी होगी तो दोनो मिलकर देख लोगे ! 

मेरी ही कंपनी में एक लड़की थी वो और में एक दूसरे को पसंद करते थे पर अभी तक कह नही था पर मुझे लगा ये तो बोलने से रही मुझे ही पहल करनी होगी ! 

में उसके पास गया और बोला चलो आज कॉफी पीने चलते है हम दोनों अक्सर फ्री हो कर बाहर जाते थे तो उसने माना नही किया हम दोनों निकल गए मैने कॉफी ऑडर कर दी फिर बात करने लग गया थोड़ी देर इधर उधर की बाते करता रहा फिर उसका हाथ पकड़ लिया और उससे पूछ बैठा क्या तुम मुझ से शादी करोगी , मेरे मुँह से अचानक से ये बात सुनकर वो हक्की बक्की सी रह गयी पसन्द तो वो भी करती थी तो न का तो सवाल ही नही था वो मुस्कुरा कर शर्म गयी उसका मेरे लिए इतना इशारा ही काफी था ! 

मैं उसके घर गया बात की मेरे साथ कुछ लोग भी गए थे सारी बात तै हो गयी थी शादी भी हो गयी एक बेटा भी हुआ आगे हमने की नही कोई औलाद , क्यों नही की एक ही तो बेटा था मुझे पता है तू अब शहर वाला हो गया है वहाँ तो एक या दो बच्चे ही करने जी सोचते है सब तुम दोनों ही काम करते हो तो ये सोचना सही भी था पर यार एक और बच्चा होना चाहिए था ! 

अरे यार तेरी भाभी को पहले बच्चे में ही कुछ परेशानी हो गयी थी वो मरते मरते बची थी तो डॉ. ने अगले बच्चे के लिए सख्त माना कर दिया था हम दोनो भी चाहते थे एक और बच्चा पर भगवान की मर्जी के आगे सभी दुआँ ओर दवा बेकार हो रही थी कोई डॉ. या कोई मंदिर मजार नही छोड़ी थी जहाँ नही गए हो पर शायद मेरे नसीब में नही था तो नही हुई ! 

छोटे भाई की भी शादी कर दी थी उसके तीन बच्चे थे सब साथ ही रहते थे तो फिर कभी जरूरत भी नही महसूस हुई कि ओर बच्चे की इन चारों से ही मेरा आँगन इन की किलकारियों से गूँज रहा था  ! 


क्रमांश 


कहानी शर्मा 

   21
9 Comments

Punam verma

14-May-2022 09:41 PM

Nice

Reply

Seema Priyadarshini sahay

14-May-2022 06:36 PM

बहुत खूबसूरत

Reply

Anam ansari

14-May-2022 09:26 AM

Nice

Reply