Ravi Goyal

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मर्यादा

बिकने लगा  है बाज़ार  में, अब हर  तरह का  प्यार
दोस्त भी  करने  लगे  हैं, सामने  से  सीने पर  वार
ना रही  इज्जत  दिल  में, ना ही  रिश्तों की  मर्यादा
बेच अपने  ईमान को, किया मोहब्बत  को शर्मसार


अपनों के  ही हाथों  अब तो, आबरू  लूटी जाती हैं
नाजुक फूलों  पर पली  बेटियाँ, देखो कूटी जाती हैं
सिसक कर  दम  तोड़ती, अब उसकी  हर इच्छा है
जो खोल दे  अगर मुँह  कभी, तो झूठी कहलाती हैं


प्यार नहीं  है अब तो ,वासना का हर  जगह  डेरा है
महल हो या झोपड़ी, हर तरफ  दिया  तले अंधेरा है
स्वार्थ की  राह में  बिक गए  सारे, अपने  हुए पराए
चंद टुकड़ों  की खातिर  लड़ते, ये  तेरा है  ये मेरा  है


क्या कभी  हमको भी,  ऐसा  एक हिंदुस्तान मिलेगा
भाई भाई का प्यारा  होगा, नहीं कोई शैतान दिखेगा
माता बहनों की खुल कर फिर, हंसी ठिठोली गूंजेगी
खुशहाल  रहेगा जनजीवन, प्रेम बस  परवान चढ़ेगा


🖋️रवि गोयल

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35 Comments

Mona Goyal

26-May-2022 07:24 AM

Bahut sunder kavita

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

17-May-2022 03:20 PM

Nice

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Shnaya

12-May-2022 03:17 PM

🙏🏻🙏🏻👌

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