मैं और वह - मित्रता का पवित्र रिश्ता
मैं और वह - मित्रता का पवित्र रिश्ता
" एक लड़का और एक लड़की कभी भी दोस्त नहीं हो सकते। दोस्ती तो आजीवन रहने बाला बंधन है। एक लड़का और एक लड़की के मध्य की दोस्ती कभी न कभी टूट ही जाती है।"
यों ऐसे कितने ही मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। इनमें से ज्यादातर तो मात्र परिहास के लिये होते हैं। यथार्थ के धरातल पर इनमें से अधिकांश ध्वस्त होते देखे जाते हैं। आडंबरों में यथार्थ कब होता है। एक पुरुष और एक स्त्री भी शुद्ध मित्रता के बंधन में बंध सकते हैं। कुछ की मित्रता आजीवन चलती रहती है। नदी की पवित्र धारा के समान।
ऐसा नहीं है कि मेरी अपनी सहपाठी छात्राओं से बोलचाल न थी। फिर भी कुछ झिझक थी। पर वह कुछ अलग आत्मविश्वास की धनी, उसे कोई परेशानी न थी। सभी के साथ बात करती। उन सभी में एक मैं भी था।
बातें तो बनती रहती हैं। उसे परवाह न थी। पर मुझमें इतना आत्मबल कहाँ। बातों का सामना करना मुझे तो आता नहीं था। मेरे लिये तो बद अच्छा और बदनाम ज्यादा बुरा था। हालांकि अब यह सोचकर ही हसी आती है कि बद की तुलना में बदनाम किस तरह बुरा हुआ। बुरा होना ही तो गलत है। झूठे प्रपंचों से कौन बच पाया है। खुद माता सीता भी नहीं।
यों ही दिन गुजरते गये। हमारी मित्रता और प्रगाढ़ होती गयी। पढाई में वह मुझसे अधिक बेहतर थी। हालांकि वह मुझे अधिक बेहतर बताती थी। पर हर परीक्षा परिणाम मेरी ही मान्यता को सही ठहराता।
जीवन समर में हमें आगे बढना था। दोनों अपने राश्ते तलाश रहे हैं। असफलताओं के मध्य से सफलता की कोशिश कर रहे हैं। जो कभी भी आसान नहीं होती। कभी किसी लिखित में सफलता मिल जाती तो साक्षात्कार में असफलता हाथ लगती। प्राइवेट प्रतिष्ठानों को अनुभवियों की तलाश रहती। हम उनकी अपेक्षाओं पर खरे न थे।
सही बात है कि असली इंजीनियर तो वही होता है, जो कि अंतिम वर्ष का विद्यार्थी हो। खुद के सामने किसी को न समझने बाला, स्वप्न देखने बाला कि बड़ी बड़ी कंपनियों के स्वामी उसके सामने हाथ जोड़ खड़े हैं, उसे बड़े से बड़े पैकेज का प्रलोभन दे रहे हैं, मानों वही तो बड़ी कंपनियों का तारणहार है। हालांकि यथार्थ का धरातल स्वप्न की कल्पनाओं से सर्वदा विपरीत होता है। फिर मध्यम वर्ग के छात्रों के लिये तो परेशानियां सुरसा की तरह मुंह फाड़कर खड़ी रहती हैं। रिफरेंस जैसी व्यवस्था का लाभ उठा पाने में सर्वदा असमर्थ, पूस की रात के हल्कू जैसे दीन, खुद की फसल को भी आवेश में मिटाने के लिये तत्पर, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल से शिक्षित होकर भी कंप्यूटर सोफ्टवेयर में भाग्य तलाशते, फिर झूठ तो कुछ भी नहीं।
एक बार फिर से मेरा विश्वास सच रहा। वह पहले सफल हुई। हालांकि वह संतुष्ट न थी। और बेहतर की अधिकारी थी। असमंजस के मध्य, मध्यमवर्गीय सोच को वरीयता देकर, वह अपने कार्यक्षेत्र पर चली गयी। तैयारी अभी भी जारी थी।
इधर मैं लगातार असफलता के स्वाद चख रहा था। पुरुष वर्ग की इस विषय में अलग ही पीड़ा होती है। अर्थोपार्जन तो करना ही है। पर बार बार निराशा हाथ लग रही थी।
रोज तो नहीं पर हफ्ते, दस दिनों में हम फोन से संपर्क में रहते। वह मेरा मनोबल बढाती। जो मेरे लिये एक टानिक जैसा काम करता। निराश मन में आशा की जोत जगा देता।
जिस शहर में वह रह रही थी, वहां परीक्षा देने गया। उसने मेरे रुकने की व्यवस्था कर रखी थी। उसके एक सहकर्मी के आवास पर। मित्रता अलग है पर मर्यादा भी आवश्यक थी। मर्यादा ध्वस्त होने पर कुछ भी नहीं बचता। कभी भी खुद पर अधिक विश्वास उचित नहीं।
आखिर एक दिन मेरा भी नंबर निकल गया। जितना अनुमान था, उससे अधिक ही सफलता मिली। इंतजार का फल मीठा ही रहा।
प्रयास उसने भी किया था पर वह सफल न हो पायी। हमारी भूमिका बदल गयी। मैं उसका मनोबल बढा रहा था। उसे विश्वास दिला रहा था कि जल्द उसे भी उसका लक्ष्य प्राप्त होगा।
वह दिन भी आ गया। उसे भी अपेक्षित सफलता मिली। हम दोनों अपने अपने जीवन में मग्न थे। वार्तालाप कम होता गया। जीवन में व्यस्तता बढती गयीं। उधर उसका नंबर भी बदल गया। फिर बातचीत बंद ही हो गयी।
" अरे । तुम्हारे जीवन में यह राजकुमार कब आये।"
फेसबुक पर उसकी गोद में एक बच्चे को देखा तो कमेंट कर दिया।
" छह महीने हो गये। बहुत शैतान हैं ये।"
" बिलकुल होंगें ।"
न उसने मुझे अपना मोवाइल नंबर दिया और न मैंने मांगा। अभी भी अक्सर मेरे पोस्ट पर उनके लाइक दिख जाते हैं। कभी कभी कमेंट भी मिल जाते हैं।
एक लड़का और एक लड़की दोस्त नहीं हो सकते। बक्त उनकी दोस्ती को मिटा देता है। नवीन जिम्मेदारी पुरानी दोस्ती की राह रोकने लगती है।
नहीं। शायद यह सत्य नहीं। दोस्ती कभी मिटती नहीं। कभी न कभी अपना अस्तित्व प्रगट करती रहती है। मन की गहराई में बसी रहती है। और हमेशा दूसरे का हित ही चाहती है। कहानियों में स्थान पाती रहती है।
समाप्त
दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'
Soniya bhatt
11-May-2022 06:58 PM
👏👏
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Neelam josi
11-May-2022 05:39 PM
बहुत खूब
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Reyaan
11-May-2022 05:24 PM
👌👌
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