माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 20)
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श्यामू दादू आगे की कहानी बताना शुरु करते है।
फ्लैश बैक.........
परी गुस्से मे मेस से चली जाती है। राज और बाकि दोस्त अपने कमरे मे आते है।
जग जीवन " विरे मैडम तो नाराज हो गई। तू माफ़ी मांग ले और बोल दे गलति हो गई "
राज वीर " ये गलति नही प्यार है हमारा।"
श्याम मोहन " सच ने परी मैम से प्यार करता है?"
राज वीर " हा बहुत ज्यादा उनके साथ पूरी जिन्दगी बिताना चाहते है हम "
मन वींदर " ठीक है यारा। बात करना परी मैम से "
राज वीर " हा बात तो करना ही होगा हमे "
जग जीवन परेशान होकर " बस मैडम शिकायत न कर दे?"
मन वींदर " कायर जग्गू डर गया? जब तक हम चारो साथ है कुछ नही होगा किसी को "
शाम मे सभी मुस्तैदी पर जाते है और रात मे अपने क्वॉर्टर पर आ रहे होते है कि रास्ते मे परी का क्वॉर्टर दिखता है जहा गलियारे मे बैठ वो अपनी डायरी लिख रही होती है।
राज " आप लोग जाईये हम परी मैम से बात करके आते है "
जग जीवन " तू मरवाएगा "
मन वींदर " दोस्ती के लिए जान नही दे सकता? तू रहने दे हम तीनो मजे से मर कर रात मे मुस्तैदी के वक्त तुझे डराने आयेंगे "
श्याम मोहन " सब चीज की एक दवा बोल तो खत लिखी बाबा जी को "
राजवीर " मन्नू ले जा भाई इन्हे "
मन वींदर एक हाथ जग जीवन के गले मे डाल और एक हाथ श्याम मोहन के गले मे डाल " ये देश है वीर जवानो का " गाना गाते हुए क्वॉर्टर की ओर चला जाता है।
राज चुपके से परी के गार्डन मे कूद जाता है। और सिधे गुलाब के पौधो पर गिरता है।
राज " कहते है न खुबसूरती के पीछे नही भागना चाहिये। ये गुलाब दूर से जितने खुबसूरत पास आने पर छल्ली कर सकते है "
वो गलियारे के पास आता है तो देखता है परि डायरी लिखने मे एकदम मगन होती है। सर्दी मे चलती हवाओ से परी के चेहरे पर आ रहे लट इधर उधर भटक रहे होते है, मानो उन्हे कोई मंजिल ही नही मिल रही। उसके चेहरे पर एक सुकून था जैसे किसी अपने के पास हो। राजवीर उसके सुकून भरे चेहरे मे ही खो गया ।
परी डायरी लिख जैसे ही उठती है देखती है राज पिलर पकडे बेसुध सा उसे एकटक देखे जा रहा था।
परी गुस्से मे आकर उसे पुकारती है " राजवीर शेखावत"
राज को मानो कुछ सुनाई ही नही दे रहा हो। परी उसके आगे हाथ हिलाती है।
परी " ऐसे चोरो जैसे आने का मतलब? राज..... कुछ सुनाई दे रहा है ?"
राज अचानक से होश मे आता है। और सैल्यूट करते हुए " जय हिन्द मैम "
परी " जय हिन्द। क्या काम है ?"
राजवीर " हम आपको निहारने मतलब देखने आये थे "
परी " मै कोई देखने की चीज हू ? जो सब आकर देखेंगे ? टिकेट लगवा लू?"
राज वीर " आप क्या बोल रही है ? हम किसी को आपके आस पास फटकने नही देंगे "
परी " राज देखीये हम आपसे बड़े है इस नाते समझा रहे। इन चक्करो से दूर रहिये आगे आपकी लाइफ बहुत खुशहाल हो जायेगी "
राज वीर " हमारी खुशी तो आप है। आप ही नही रहेगी तो हम खुश कैसे होन्गे ?"
परी गुस्से मे " एक बार मे बात समझ नही आता ? चाहू तो निकलवा सकती हू तुम्हे यहा से,,, फिर नही देख पाओगे हमे कभी , तब उतर जायेगा कुछ दिनो मे प्यार का भुत "
राजवीर " आपसे प्यार मन से किये है तन से नही। तो आप हमसे दूर जायेंगी तो भी आपका तन हमसे दूर होगा, मन नही "
परी " गेट लॉस्ट "
राजवीर " क्या आप किसी और से प्यार करती है ?"
परी " अगर बोलू हा....तो ? मै उसके साथ जिन्दगी भर रहूँगी। तो क्या तब भी प्यार करोगे ?"
राज वीर " हा....आजमा कर देख लिजियेगा। पर आप ऐसा कर नही पायेंगी, क्युकी आप भी पसंद करती है हमे "
परी " मै इस वक्त तुम्हारी सीनियर ओर्डर दे रही हू, जाओ.. और इस क्वॉर्टर मे मत आना "
राजवीर " यस मैम "
जाते हुए " पर आपने ये नही बोला कि आपके पास मत आना। आपके घर नही आयेंगे , पर आपके जरुर आयेंगे हम "
और चला जाता है।
परी " कुछ ज्यादा ही ढीठ इन्सान है ये। इसे मै बताती हू कि इसका ये प्यार इसे किस काँटो भरे रास्ते पर ले जाएगा इसे "
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सुकून " तो क्या किया मिस परि ने? और राज दादा का प्यार क्यू नही दिखा ?"
नवनीत बगल मे बैठे सुकून को देख " कुछ लोग होते है जिन्हे प्यार नही दिखता "
सुकून को राज परी की हालत से अपनी और नवनीत की हालत याद आ जाती है।
नवनीत " तो राज दादू बाद मे इरिटेट नही हुए ? वो उन्हे ऐसे बोली ?"
जग जीवन " विरे का प्यार दुनिया से अजब था। वो कभी परी पर नाराज हुआ ही नही।"
प्राजिका " जल्दी से आगे की कहानी बताईये न "
जग्गू दादा आगे की कहानी बताते हुए "
फ्लैश बैक.......
अगली सुबह
आज कई दिनो बाद सबको छुट्टी मिला होता है। ताकी कुछ लोग अपना इलाज करवा सके कुछ जरुरत का सामान ले सके ,अपने घर वालो से हाल चाल ले ले और थोड़ा आराम कर सके। पर हमारे आर्मी के जवानो को आराम रास ही कहा आती है ?
सब सुबह सुबह फिजिकल ट्रेनींग कर रहे होते है। तभी परी वहा आती है और राज को बुलाती है।
राज मुस्कुराते हुए परी के सामने जाता है और उसे सैल्यूट करता है।
परी " तुम्हारी छुट्टी कैंसल। कुछ जरूरी काम है जिसे तुम्हे करना है "
राज वीर " जी मैम बोलिए "
परी " मेस का सामान खतम हो गया है। हालाकि ज्यादा दूर जाना है और फिलहाल कोई गाडी नही है। तुम्हे जाकर लाना होगा। पैदल इतना दूर जाकर सामान ला पाओगे?"
राजवीर " आप बता दिजीये क्या क्या लाना है ?"
परी उसे कुछ सामान का पर्ची थमाती है और चली जाती है।
राज के सभी साथी उसके पास आते है।
श्याम मोहन " राजे तुझे इतनी दूर जाने को जानबुझ कर बोली है न मैम?"
एक जवान " मै कई दिनो से देख रहा हू मैम राज से कुछ ज्यादा ही स्ट्रिक्टली बिहेब करती है "
राज " अरे खाना हम लोग खाते है तो खुद के खाने के लिए मेहनत भी तो हमे करना होगा। वैसे भी जो भी हो रहा हम सबकी ट्रेनिंग ही है मैम एक लड्की होकर जासूस बनी। सोचो आज के समय मे क्या हमारी अगल बगल की लडकिया घर की बहने कर पाई ऐसा? हिम्मत चाहिये। पहले ये बोली हौन्गी तो कितने लोग विरोध किये होन्गे कि लडकियो का काम गोली चलाना नही। कितने मुश्किलो के बाद वो इस पद पर आई जहा अभी हम सब पहुचे भी नही। तो जो हर चीज मे हमसे बड़ा हो, उससे शिकायत का कोई मतलब ही नही "
सभी चुप हो जाते है और राज की बातो को समझते है।
मन वींदर " यारा मै भी चलता हू "
राज वीर " काम हमे मिला है तो करेंगे भी हम । आप सब शाम मे मेस मे मिलियेगा। वही से खाना खाकर मुस्तैदी पर चलेंगे। और हा हमारे सौत तेज को परी से दूर रखियेगा "
और खिलखिला कर हंसने लगता है। उसकी बातो से जग जीवन,श्याम मोहन और मन वींदर भी हंसने लगते है।
राज वीर निकल जाता है सामान लाने। लगभग 15 - 20 किलो मीटर की पहाडी रास्ते से होते हुए राज शहरी इलाके मे पहुचता है और सामान खरीदता है। दोनो झोले एकदम भर गये होते है और काफी वजनी होते है।राज उन्हे दोनो हाथो मे लिए वापस आर्मी कैम्प की ओर निकल जाता है।
शाम मे मन वींदर,श्याम मोहन और जग जीवन मेस मे बैठे राजवीर के आने का इन्तजार कर रहे होते है। तभी तेज दौडते हुए आता है।
तेज " गुलू देव......"
और मन वींदर के गले लग जाता है।
तेज " लाज किधल है ?"
श्याम मोहन " ब्रिगेडीएर साहब आपकी पली आपके लाज को एक ड्यूटी पर भेजी है "
जग जीवन तेज के बाल सहला कर " बस आता ही होगा "
तेज " छोलो मेले बालो को। जवान तुम नजल लगा दोगे "
तभी मेस मे परि आती है और एक कोने वाले टेबल पर बैठ जाती है।
तेज " पली आ गई । मै मिल के आता हू "
और भाग कर परी के गोद मे बैठ जाता है।
परी " तेज कैसे है आप ?"
तेज " मै तो अच्छा हू पली।पल लाज को कहा भेजी हो ? देखा शाम हो गया सब खाना खा लहे। उसे भी खाना होगा "
परी " आपको लाज की इतनी फ़िकर क्यू ?"
तेज " क्युकी लाज हमेशा अपने खाने से पहले मुझे खिलाता है और मुझे भूख लगी है न "
परी " आज मै आपको खिला देती हू "
सभी लोग खाना खाने लगते है।
मन वींदर " कब आएगा राजे। खाना भी ठंडा हो जाएगा। उपर से मुस्तैदी पर जाने का समय हो रहा।"
तभी मेस के गेट पर राज हाथो मे बड़े झोले लिए आता है। थकान उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। तीनो लोग जाकर राज के हाथ से सामान ले लेते है।
और जाकर मेस मे रखवाते है ।
जग जीवन " विरे जल्दी से खाना खा ले "
राज वीर " हा खाते है पहले ये पर्ची मैम को दे दे "
राज परी के पास आता है और टेबल पर पर्ची रखता है।
परी मन मे " अब हुई न नफरत ?"
राज मुस्कुराते हुए " मैम देख लिजिये कुछ छुट नही न गया। नही तो हम ले आयेंगे "
तेज " लाज रुम मेले लिए क्या लाए ??"
राज अपनी जेब से ढेर सारी रन्ग बिरंगी टॉफ़ीयां निकाल तेज को देता है। तेज के हाथ इतने छोटे-छोटे होते है कि सारी टॉफ़ी गिरने लगती है।
राज टॉफ़ी उसके जेब मे रखते हुए " ब्रिगेडियर साहब अभी आपके हाथ छोटे है फिलहाल के लिए एक एक करके जेब से निकाल खायियेगा "
तेज राज के गले लग " शुक्लिया लाज, मेले पास कभी इतनी टॉफ़ी नही थी "
राज " हम है न आपके लिए टॉफ़ी लाएंगे "
तेज " लेकिन पली के साथ बैठ कर टॉफ़ी मै ही खाऊंगा "
राज मुस्कुराते " खायिए खाईये हमारी ऐसी किश्मत कहा ?"
और अपने दोस्तो के साथ टेबल पर खाने बैठता है
परी हैरानी से राज को देखते हूए सोचती है " किस मिट्टी का बना है? आज सुबह फील्ड मे मेरी साइड लेकर सबको मेरे खिलाफ होने से रोका शायद उसे नही पता था मै सब सुन ली थी चुपके से। फिर इतना थक कर भी रत्ती भर गुस्सा नही ? इतना प्यार मत करिये राज, हमसे प्यार कर आपको सिर्फ दुख मिलेगा। क्युकी हम जानते है हम आपके कभी नही हो पायेंगे "
राज खाना खा ही रहा होता है कि मुस्तैदी के लिए सायरन बजता है । सभी जवान मुस्तैदी के लिए निकल जाते है। राज खाना छोड उठ जाता है।
जग जीवन " विरे थक कर आया है। खा ले "
राजवीर " सायरन नही सुनाई दिया आप लोगो को ? खाना जरूरी है या देश ? चलिये
और चारो मेस से बाहर निकलते है। परी राज को जाते हुए देखती है।
परी " लगता है ज्यादा ही कर दी। अब बिना कुछ खाए रात भर ठंड मे मुस्तैदी?"
सभी मुस्तैदी करने लगते है । घाटी मे भरी शान्ती मे अचानक से आर्मी कैम्प की ओर से धमाके की आवाज आती है। सभी उस ओर भागते है। सभी देखते है उस ओर से धुआ आ रहा होता है। मेजर सर बाहर आकर आतंकी हमले की सम्भावना बोल सबको हर कोने मे फैलने को बोलते है। राजवीर और उसके साथ भागते हुए मेस की ओर आते है क्युकी धमाका उधर ही हुआ होता है। चारो पागलो जैसे तेज को खोजने लगते है।
मन वींदर " मेरे चेले किधर है ?"
मेस के अन्दर पूरा धमाके से धुआ होता है। सब कुछ लोगो को बाहर निकालते है। पर उन्हे तेज नही दिखता।
राज परेशान होकर "कुछ घायल लोग तो निकाल लिए गये पर तेज और उसके बाबा कहा है ?"
चारो बाहर आकर सबको सुरक्षित जगह पहुचा रहे होते है।
कि उनके पास परी आती है।
परी " सारे लोग को सुरक्षित जगह पहुचा दी हू। तेज और उसके बाबा सुरक्षित है क्युकी तेज मेरे पास था और उसके बाबा मेरे क्वॉर्टर पर उसे लेने आये इसी बिच मेस के पास धमाका हुआ। "
चारो लोग परी के आगे हाथ जोड़ लेते है " शुक्रिया मैम। आपके वजह से हमारा नन्हा सा जान बच गया "
परी " पर कोई न कोई घुस पैठी जरुर आया है। उसे खोजना होगा"
सभी हर कोने मे सतर्कता से उस आतंकी को खोजने लगते है।
श्याम मोहन" इतनी जल्दी वो घुसपैथी भाग न पाया होगा,,, इधर ही होगा। सब चौकन्ना रहना "
अचानक से मन वींदर को चारदिवारी के झाडियो के पास कुछ सुगबुगाहट आती है। वो धीरे धीरे झाडियो की ओर बढता है......
मन वींदर बन्दूक ताने " देखो जो भी हो बाहर आओ। नही तो ऐसे भी बचने वाले नही हो तुम "
झाडियो से एक आदमी अचानक से बाहर निकल गोलिया चलाते हुए भागने की कोशिश करता है। गोली मन वींदर के सिने पर लगने वाली होती है कि राजवीर उसे धक्का देता है और उसके कन्धो से गोली छुकर निकल जाती है।
इधर परी झट से उस आदमी के पैरो पर गोली मार देती है। और मेजर सर उसे पुछ ताछ के लिए ले जाते है। और बाकि जवानो की टुकड़ी बौर्डर पर मुस्तैदी के लिए जाती है। और बाकि के लोग आर्मी कैम्प मे निगरानी करते है।
सभी राज के पास आते है। ब्रिगेडियर सर राज के चोट को देखते है।
ब्रिगेडियर सर " ज्यादा चोट नही है, गोली छू कर निकल गई है। बस पट्टी की जरुरत है। सारे डॉक्टर घायलो का इलाज करने मे व्यस्त है। और इस काम मे हमारी स्पाई बहुत माहिर है "
परी " सर, आप निश्चिंत रहे। मै और मेजर सर सब देख लेंगे। "
परी सबको अलग अलग इलाके मे भेजती है।और राज को साथ चलने को बोलती है।
राज वीर " मैम डॉक्टर के पास चला जाता हू न "
परी " क्यू मै इन्जेक्शन लगा दूंगी क्या? मुझे ट्रेनींग मे इन सब चोट का इलाज सिखाया गया है "
राजवीर " आप ही तो मना कि है आपके क्वॉर्टर पर आने से "
परी " भुल जाते हो मै सीनियर हू तुम्हारी। एक बार मे बात क्यू नही मानते ?"
राज " चलिये चलिये । गुस्सा मत होईये। फिर आपका नाक लाल हो जायेगा और उसका इलाज तो यहा किसी को नही आता "
परी अपनी हसी कण्ट्रोल करते हुए " बाते कम किया करो "
और उसे लेकर अपने क्वॉर्टर मे आती है। और उसे बेड पर बिठाती है। और फ़र्स्ट एड बॉक्स लेने जाती है।
राज देखता है परी का कमरा बड़े सलिखे से सजाया हुआ था। एक ओर आलमारी एक ओर मेज कुर्सी और सफेद पर्दो से सजा खिडकी जिसपे छोटे छोटे गमले रखे होते है।
और बेड के पास रखी टेबल पर एक डायरी रखी होती है जिस पर लिखा होता है " परी के पंख "
राज मन मे " औह तो इसी पर अपने दिल की सारी बाते लिखती है परी मैम "
तभी परी आती है, और उसके बगल मे बैठती है।
परी बॉक्स से मलहम पट्टी निकाल कर राज को देखती है।
राज " जी कुछ कहना है?"
परी " शर्ट निकालोगे?"
राजवीर " निकालना होगा क्या?"
परी " तो ऐसे मलहम लग सकता है तो लगा लिजिये?? "
राज वीर अपने शर्ट के बटन दुसरी ओर मुड खोलता है। और धीरे धीरे शर्ट निकालता है।
परी " उफ कैसे चोट देखु ? इधर मूडोगे?
परी राज के कन्धे को पकड अपनी ओर मोड़ती है।राज की बॉडी काफी अच्छी होती है। परी राज के कन्धो को देखते हुए चुप चाप वहा का खुन साफ करती है और मलहम लगाने लगती है।
परी " कितना खुन बह रहा?"
राजवीर " ये आप बोल रही ? जो कई आतंकी को मार गिराई है?"
परी मलहम लगाते हुए " उनसे मै प्यार नही करती थी "
राज " हू...हू....( अचानक से ) क ....क्या ?
परी राजवीर के कन्धे पर पट्टी बांधती है उसके चेहरे पर कोई भाव नही थे जबकी राज सौ तरह के चेहरे बना लिया था।
राज वीर " स..सच मे ? मतलब हमारा सपना तो नही ये।
परी राज के चोट पर मार देती है।
राज चिलाकर "आ...आ समझ आ गया परी मतलब मैम"
परी " हो गया पट्टी, तो...."
राज " तो...."
परी " जाओ "
राजवीर " जी "
और जाने लगता है।
पीछे से परी बोलती है " सवालो के जवाब नही चाहिये ?"
राज मुड़ते हुए " मैम आप ही तो बोली जाने को "
परी " ऐसे तो किसी की बात नही सुननी होती। और अभी बड़े आज्ञाकारी बन रहे "
राजवीर " मैम... आप बोली प्यार...."
परी राज के गले लग जाती है। राज परी को नही पकड़ता और हाथ निचे ही किया रहता है।
परी रोते हुए " बहुत पागल हो जवान तुम । इतने दिनो से कोशिश कर रही कि गुस्सा हो जाओ नफरत तो करो....तुम्हे तो चिढ़ भी नही हुई "
राजवीर " क्युकी प्यार करते है हम आपसे। पर शर्ट पहन लेते हम तो बात करते तो ज्यादा अच्छा होता "
परी राज से दूर हो जाती है। और राज जल्दी से शर्ट के बटन बंद करता है।
राजवीर " हा अब बात कर सकते है "
परी " राज... हम आपसे बहुत पहले से प्यार करते है बहुत कोशिश किये कि हम दोनो दूर रहे। पर आपमे कोई कमी ही नही दिखी। पर...."
राज वीर " हमारा मानना है कि प्यार कमी या गुणो को देख नही होता। जो बिना स्वार्थ के हो वही प्यार "
परी " इन्ही बातो से तो प्यार हो गया । पर राज गलति कर दीये हमसे प्यार कर... हम एक नही हो पायेंगे कभी "
राजवीर " प्यार मे कोई अलग हो ही नही सकता । हम तो एक ही है "
परी " आप समझ नही रहे..... मुझे प्यार करने की इजाजत नही "
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स्नेहल " मतलब दादा जी? क्यू मिस परी राज दादू से दूर रह रही थी? क्या वजह थी ? "
सुमेध " और राज दादू को गुस्सा नही आया?"
जग्गू दादा " इसके आगे की राज और परी की कहानी हम दोनो को नही पता। और इसके आगे की कहानी बिना राज परी के कहानी के अधुरी ही होगी। रात मे राज जब हम लोगो के पास आया कही खोया था..... कुछ तो पता चला था जो हमे भी नही पता ।"
स्नेहल " त...तो क्या दोनो अलग हो गये ?"
" नही, राज अपनी परी से कभी अलग नही हुआ ।ना उस वक्त और ना आज । आज भी राज अपनी परि के साथ है "
सभी देखते है तो दरवाजे के पास राज दादा जी सफेद कुर्ते मे चेहरे पर खामोशी लिए खड़े थे।
नवनित " तो ऐसा क्या हुआ कि आप मेरे दादू को दगाबाज कहते है ? आखिर क्या हुआ आप दोनो के बिच ? और आज परी कहा है?"
राज दादू " उसने हमसे एक झूठ बोला...... "
सभी " क्या ?"
राज दादू के हाथ मे एक डायरी होती है जिसपे लिखा होता है "परी के पंख " उसके आगे कोई लिखा था " का राज " जो मिलकर" परी के पंख का राज" हो गया था ।
स्नेहल " क्या ये मिस परी की डायरी?"
राज दादू " आज नही सब कहानी कल शादी के बाद "
श्यामू दादा " पर बिच की कहानी हम दोनो को नही पता राजे। "
राज दादू " किसने कहा आप कहानी सुनायेंगे ? कहानी हम सुनायेंगे "
जग जीवन " वो आखिरी की बाते तू फिर से याद करेगा ?"
राज दादू " किसने कहा हम उसे भुले ? वो हमारे जीवन का ऐसा सच है जिसे हम न छुपा सकते है और न भुल सकते है। ना परी को और ना मन्नू ......को
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अब सारे राज खुद राज खोलने वाला है...... अगले भाग मे ऐसे ऐसे राज खुलेंगे कि...... आप निशब्द हो जायेंगे ।
Archita vndna
10-May-2022 09:31 PM
कहानी अब तक तो खूबसूरत जा रही है। देखना है आगे क्या होना है कौन से नए राज खुलने है
Reply
Haaya meer
10-May-2022 06:16 PM
Amazing
Reply
Muskan khan
09-May-2022 07:03 PM
Nice
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