Simran Ansari

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बेताबी

तेरे बिना मेरे दिल की यह 


बेताबी बढ़ती ही जाए,

चाहे कितना भी समझाओ 

यह दिल समझ ना पाए;

है क्यों यह बेताब इतना तेरे लिए,

सोचो चाहे मैं जितना 

फिर भी जान ना पाऊं;

बेताबी में तेरी यह धड़कनें दिल की

हर पल बढ़ती ही जाएं,

दिखे तड़प और बेताबी मेरी हर किसी को;

बस जिस के लिए तरसे दिन रात यह दिल

वही इस दिल की बेताबी को देख ना पाए!



समाप्त‌।।

Simrana

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5 Comments

Bahut behtareen

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बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌👌👌

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Vfyjgxbvxfg

06-Jul-2021 07:18 PM

हम समझाएं अब आपके दिल को सिमरन जी

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