माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 18)
भाग - 18
अभी तक आपने पढा कि सुमेध स्नेहल से रिश्ता खत्म करने की बात कर सो जाता है।
आलोक उन दोनो के लिए परेशान हो जाता है।
अब आगे ।
अगली सुबह सभी हॉल मे नाश्ता करने आते है।
नैना जी " आज संगीत की रश्म है । सब लडके आज संगीत हॉल मे नही आयेंगे "
प्रविष्ठ उदास होकर " हम क्यू नही आयेंगे मा "
सुभद्रा जी " क्युकी दामाद जी, लडके लेडिज कार्यक्रम मे नही आते "
आलोक " जी ठीक है। हम अभी से यहा से भाग जाते है। हम कभी नही आयेंगे "
जग्गू दादा " बेटा, शादी मे तो आ जाना "
सभी हंसने लगते है। स्नेहल सुमेध को देख रही होती है पर सुमेध उसकी ओर देखता तक नही।
प्राजिका " लगता है कोई मुद्रा जी के बिना रह नही पायेगा, क्यू प्रविष्ठ भाई?"
नवनीत " हा प्राजू सही बोली "
ब्रिगेडियर सर " तो सर जी, संगीत के बाद कहानी सुनायेंगे न ?"
श्याम दादा " हा हा, बड़ी जल्दी है तुम्हे जानने की?"
ब्रिगेडियर सर दात दिखाते हुए " बस मजा आ रहा है सर जी कहानी जानने मे । राज सर जी आप आयेंगे आज ?"
राज दादू " नही "
ब्रिगेडियर सर उदास होकर " अच्छा "
सभी अपने अपने कमरे मे आते है। सभी लडकिया संगीत की तैयारी मे लगी होती है।
सुकून " स्नेहल तुम क्या पहन रही ?"
स्नेहल " कुछ भी "
प्राजिका " क्या कुछ भी ? रुक देख के आती हू आज भाई क्या पहन रहे, दोनो मैचींग पहनना "
और बाहर भागती है। और भागते हुए सुमेध के कमरे मे आती है। पर उसे कमरे मे कोई नही दिखता। और बेड पर एक सफेद शर्ट दिखता है।
प्राजिका " लगता है भाई नहाने गये है। पर ये क्या शादी मे मैयत वाले कपडे पहन रहे? "
और आलमारि से एक नेवी ब्ल्यू कुर्ता निकाल बेड पर रख देती है।
और चिल्लाती है " बेड पर कुर्ता रखी हू। यही पहन के आईएगा , नही तो मेरा गुस्सा जानते है "
और चली जाती है। उसके जाते ही आलोक बाल पोछते हुए निकलता है।
आलोक कुर्ता उठाकर " अगर आपकी पसंद है तो मै जरुर पहनूँगा "
और वो कुर्ता पहन लेता है।
लेडिज संगीत की तैयारिया जोरो शोरो से होटल के बड़े वाले हॉल मे होती है। जहा सभी लडकिया और औरते सज धज आई होती है।
बाहर सभी बॉयज़ बैठे बाते कर रहे होते है साथ मे सभी जेन्ट्स।
ब्रिगेडियर सर तीनो दादू के पास जाकर बैठ जाते है।
ब्रिगेडियर सर " तो आप लोग फौज के बाद क्या किये ? राज सर जी आपकी शादी को कितने साल हुए?"
राज दादा " 55 साल हो गये "
ब्रिगेडियर सर " अरे आप फौज मे आये थे तो आपकी शादी कहा हुई थी ?"
जग्गू दादा " तुम्हे कैसे पता ?"
ब्रिगेडएर सर " कहानी मे बताये न सब "
राज दादा " हम अपने बारे मे आपको ब्ताना जरूरी नही समझते "
श्यामू दादा " बोले न हम लोग कहानी सिर्फ हम सुनायेंगे ,और कोई उस बारे में बाते नही करेगा "
वही दुसरी ओर प्रविष्ठ मुद्रा को देखने मे लिए तडप रहा था।
प्रविष्ठ " चल घुसपैठ करते है संगीत के इलाके मे "
नवनीत " हम लोग पीठ पीछे वार नही करते, सामने से जायेंगे सिना तान "
आलोक " तब तो तू मरवायेगा "
प्रविष्ठ "मेरा सुमेध चलेगा, आखिर उसे भी तो स्नेहल से मिलना होगा , प्यार भरी बाते करनी होगी "
सुमेध " नही जाना मुझे। चुप चाप बैठो। और मुझे नीन्द आ रही तो सोने जा रहा "
नवनीत " अरे तुझे क्या हुआ , इतना बुझा सा क्यू है ?"
सुमेध जाते हुए " मै जा रहा हू "
तभी प्रविष्ठ के पापा आते हुए " किधर जवानो जा रहे? चलो संगीत मे नही जाना "
आलोक " हम लोग कैसे ?"
प्रविष्ठ के पापा ," मा से बात हुई। एकलौते बेटे की शादी है सब मिल जूल कर एन्जॉय करेंगे और यादे बनाएँगे, बाऊ जी आप लोग भी चलिये न आपके पोते का संगीत है आखिर "
सभी लोग अन्दर जैसे ही जाते है हर ओर गाना बजाना चल रहा होता है।
प्रविष्ठ मुद्रा को देखता है जो पिंक लह्न्गे मे सजी बिच मे बैठी होती है। मुद्रा प्रविष्ठ को देख खुश हो जाती है।
आलोक प्राजिका को देखता है जो सफेद लन्हगे मे हँसते हुए सबसे बाते कर रही होती है।
आलोक मन मे "
आपके सफेद लह्न्गे से उजाला है
या आपके चेहरे का नूर है।
अल्फ़ाज नही मेरे पास
आप मेरी हो जाय तो
उस बात का मुझे गरूर है।
नवनीत आलोक को मारते हुए" क्या बड़बड़ कर रहा?"
आलोक "कुछ नही, वो देख तेरी सूकून "
नवनीत सुकून को देखते हुए " हू..... कितनी अच्छी
आलोक " लग रही?"
नवनीत "ए मुझे सुकून से कोई लेना देना नही। वो बस मेरे सर की बेटी है मेरे लिए और कुछ नही "
स्नेहल सुमेध को आस भरी नजरो से देखती है। पर सुमेध स्नेहल की ओर देख ही नही रहा होता है कि स्नेहल उसे कुछ कह पाये।
अचानक से प्राजिका की नजर आलोक पर पडती है।
प्राजिका " ये मेरे पसंद के कुर्ते क्यू पहने है?ये तो भाई के लिए था "
नैना जी " चलो बहनो संगीत चालू करो "
म्युजिक शुरु होता है।
नवनीत गाते हुए " प्रविष्ठ ये गाना तेरे लिए
प्रविष्ठ " पक्का कोई भाई वाला गाना होगा । मेरी नवी प्यार बहुत करता है मुझसे"
सुमेध " पहले सुन तो ले, नवी के दिमाग मे क्या चल्ता है भगवान भी पता नही लगा सकते "
नवनीत प्रविष्ठ के आजू बाजू नाचते हुए
शादी करके फस गया यार
अच्छा खसा था कन्वारा
जो खाए पंछताए
जो ना खाए वो पछताए
दूर से मिठा लगता है ये
कडवा लड्डू प्यारे
शादी करके फस गया यार
अच्चा खास था कन्वारा
प्रविष्ठ " नवी के बच्चे रात मे मिल "
स्नेहल सुमेध को देखते हुए
तू नज़्म-नज़्म सा मेरे
होंठो पे ठहर जा
मैं ख्वाब ख्वाब सा तेरीआँखों में जागूँ रे
तू इश्क-इश्क सा मेरे रूह में आ के बस जा
जिस ओर तेरी शहनाई उस ओर मैं भागूँ रे
हाथ थाम ले पिया, करते हैं वादा
अब से तू आरज़ू, तू ही है इरादा
मेरा नाम ले पिया, मैं तेरी रुबाई
तेरे ही तो पीछे-पीछे बरसात आई
सुकून " बॉयज आप लोग भी गायिये "
सुमेध " आलोक गाना बहुत अच्चा गाता है। "
आलोक " अरे नही नही "
नवनीत " गा भी दे अब "
स्नेहल " गायिये न आलोक जी। मुझे आपकी आवाज सुननी है "
आलोक मुस्कुराते हुए
" तलवारों पे सर वार दिए
अंगारों में जिस्म जलाया है
तब जाके कहीं हमने सर पे
ये केसरी रंग सजाया है
ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो
तेरे लिए सौ दर्द सहे महफूज रहे
तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे
न रहे ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी
मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे
पीका ना पड़े कभी रंग तेरा
जिस्म से निकल के खून कहे
तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
तेरी नदियों में बह जावां तेरे
खेतों में लहरावां इतनी सी है
दिल की आरजू
सबकी आंखो मे आंसू आ जाते है। सारे दादा एक दुसरे को देखने लगते है और गले लग जाते है। उन्हे अपने पुराने दिन याद आ जाते है।
सारे लोग राज दादू को आज ऐसे देख खुश हो जाते है।
सुमेध आलोक के गले लग " आलोक जाने क्या जादू किया तू , आज राज दादू को बदल दिया "
राज दादा जी आलोक के पास आते है और उसका सर सहला चले जाते है।
श्यामू दादा " आलोक, बड़ा भाग्यशाली है हमारा राजू जल्दी किसी की तारिफ नही करता "
प्रविष्ठ " पर दादू राज दादा कहा कुछ बोले ?"
जग्गू दादा " हमारी दोस्ती मे लफ्ज की जरुरत नही, हम एक दुसरे मे हाव भाव से उसके दिल का हाल जान जाते है "
प्रविष्ठ " अब इस गाने के बाद बाकि सब फिके लगेंगे मुझे। दादू चलिये आगे की कहानी सुनाईये न "
जग्गू दादा " बेटा अभी संगीत की रश्म हो जाने दे "
सभी एक साथ" नही हमे कहानी सुनना है "
ब्रिगेडीयर सर चिल्लाकर " जवानो "
जग्गू और श्यामु दादा " हा "
ब्रिगेडीयर सर " मै तो अपने जवानो को बोला सर जी "
श्यामू दादा " सब लोग कपडे बदल हम लोग के कमरे मे आ जाना "
सभी अपने अपने कमरे मे जाते है । आलोक कमरे मे जा रहा होता है कि उसे कोई पर्दो के पीछे खिचता है ।
आलोक हैरानी से " प्राजिका आप ?"
सामने प्राजिका होती है जो आलोक का कॉलर पकड़ी होती है।
प्राजिका " मेरी पस्ंद का कुर्ता क्यू पहने ?"
आलोक " आप ही तो बोली थी "
प्राजिका " मै आपको कब बोली आलोक सन्त जी ? मै बेड पर अपने भाई के लिए कुर्ता रख गई थी कि स्नेहल से मैच हो जाए भाई। पर तुम पहन आ गये?"
आलोंक " पर सच्ची मै बाथरूम मे था तो आपकी आवाज आई। तो मुझे लगा,,
प्राजिका " ओह नो बाथरूम मे तुम थे? मुझे लगा भाई है ।
और आलोक का कॉलर छोड उसे ठीक करते हुए " सॉरी सॉरी। मुझे लगा तुम मेरे भाई का छिन लिए "
आलोक मुस्कुराते हुए " आलोक तिवारी बस एक बात को मानता है जो मेरे नसीब मे होगा मुझे मिलकर रहेगा, उसे मुझे किसी से छिनने की जरुरत नही पड़ेगी "
और चला जाता है।
प्राजिका उसे जाते हुए देखती है " क्या है तुम्हारी बातो मे ? सामने वाले की बोलती बन्द कर देते हो अपने सन्त वाली भाषा से । बहुत अलग हो तुम "
नवनीत दादा के कमरे की ओर जाता है कि ब्रिगेडीयर सर उसे रास्ते मे मिलते है। नवनीत उन्हे सैल्यूट करता है ।
ब्रिगेडियर सर " फिलहाल हम लोग आर्मी बेस पर नही तो जवान नॉर्मल ही रहो "
नवनीत " पर सर आदतो को कैसे बदलू ? वैसे भी आर्मी की बाते रग रग में है"
ब्रिगेडियर सर खुश होकर " होगा ही। आखिर
नवनीत " आखिर?"
ब्रिगेडियर सर " कुछ नही। बेटा मै सूकून को बिना बताये ही आ गया। जाकर उसे बोला देना मै सर जी के पास हू वो भी वही आये "
नवनीत " ओके सर "
और सूकून के कमरे की ओर जाते हुए " नवी क्या जरुरत थी पहले ही भागने की मिल गये न रास्ते मे सर जी। अब उसी के पास जाना होगा जिससे मै नही मीलना चाहता "
नवनीत जैसे ही सूकून के कमरे मे पहुचता है वो देखता है सुकून खिडकी के पास एक फ़ोटौ हाथ मे लिए रो रही होती है।
नवनीत सूकून के आंखो मे आंसू देख परेशान हो जाता है ।
वो सूकून के पास जा ही रहा होता है कि सुकून खुद से ही बाते करने लगती है और वो सुकून की बाते सुनने लगता है।
सुकून " मा जाने क्यू बहुत याद आ रही आपकी। सब यहा अपने मा के साथ है, बस मेरे पास मा नही है। मा बचपन से ही पापा के बातो को सीखी हू पर मेरे पास मा नही थी कुछ बताने को। शायद इसिलिए ऐसी हो गई हू कि कोई बात नही करता मुझसे। पर मेरी क्या गलति है मा? कितने प्यार से मेरे जन्म मे बाद पापा मेरा नाम सूकून रखे पर उन्हे क्या पता था की जिसका नाम सुकून रखे है वही उन्के जीवन का सुकून छिन लेगी। जन्म देते ही आप चली गई। एक बार गले तो लगाया होता,, पर पापा को मुझसे कभी कोई शिकायत नही। वो तो मा से बढ़कर प्यार दीये है । पर उन्हे भी आपकी कमी मह्सूस होती है मा "
सूकून आंखे बंद किये रो रही होती है। और तेज तेज से चलती हवाओ से उसका बाल उड़ रहा होता है , हवाओ से उसका दुपट्टा उड़ नवनीत के उपर गिर जाता है।
सुकून अचानक से आंखे खोलती है तो नवनित को देख घबरा जाती है।
सूकून " तू....तुम?"
नवनीत अपने चेहरे से दुपट्टा हटाया और सूकून को आकर ओढा देता है। और सूकून के आंसू पोछ्ता है।
नवनीत " जिसका नाम ही सूकून है , वो खुद बेचैन रहेगी तो कैसे चलेगा?"
सुकून आंसू पोछते हुए सर हिलाती है।
नवनीत " कहानी सुनने चलना है न? सर मुझे भेजे है तुम्हे लाने के लिए "
सुकून " पर तुम तो मेरी शकल नही देखना चाहते न ? तुम्हारे सर का ऑर्डर पूरा हुआ , मुझे बता दीये। अब मै आ जाऊंगी "
नवनीत " अगर मै कहू साथ चले तो?"
सुकून हैरानी से " सच मे?"
नवनीत मुस्कुराते हुए " चलो "
इधर मुद्रा प्रविष्ठ मे पास आती है तो देखती है प्रविष्ठ गुनगुनाते हुए शर्ट के बटन बन्द कर रहा था।
मुद्रा " क्या गा रहे है आप ?"
प्रविष्ठ " अरे वो मै ( अचानक से मुद्रा को सामने देख चिल्लाते हुए) आप ...?
मुद्रा " अरे प्रविष्ठ जी अपना आवाज धीरे करिये नही तो सबको पता चल जायेगा कि मै आपसे मिलने आई। फिर सब मुझे बेशर्म दुल्हन कहेगी "
प्रविष्ठ " आप यहा? कहानी सुनने नही जाना?"
मुद्रा प्रविष्ठ के शर्ट के बटन बन्द करते हुए," आपको लेने आई हू। आपके साथ चलूंगी "
प्रविष्ठ मुद्रा का हाथ पकड़ " क्या कर रही है आप ?"
मुद्रा " क्यू हक है मेरा "
प्रविष्ठ " हा , पर कोई देख लिया तो । अभी तो हमारी शादी भी नही हुई । मुझे नही पता था कि आप इतनी रोमांटिक है?"
मुद्रा " और मुझे नही पता था कि आप इतने अनरोमांटिक है "
प्रविष्ठ " अब दिन रात बम गोले बारुद और आतंकवादियो को देखता हू। और उनमे कोई ऐसी बात नही कि मै थोडा रोमांटिक चीज सिखू?
मुद्रा हंसने लगती है। प्रविष्ठ उसे प्यार से देखने लगता है।
मुद्रा " क्या देख रहे है कैप्टन साहब ?"
प्रविष्ठ " आज हमारा संगीत था न मै आपके किये कुछ गाना चाह्ता था पर सबके सामने गा नही पाया क्युकी फटे टेप रिकॉर्डर से भी बदतर आवाज है मेरी "
मुद्रा " ओह तभी आप वो गाना गुन गुना रहे थे। चलिये गायिए"
प्रविष्ठ " पर मेरी आवाज ?"
मुद्रा " जब तक हम अपने कमियो को जान उसे अपना नही बनाएँगे और एक दुसरे के प्यार को मह्सूस नही करेंगे , तो रिश्ते को कैसे निभायेंगे ?"
प्रविष्ठ अपनी भारी आवाज मे " आज से तेरी सारी गलिया मेरी हो गई
आज से तेरा घर मेरा हो गया
तेरे कन्धे का जो तिल है
तेरे सिने मे जो दिल है
मेरा हो गया
अरे बिजली का बिल भी मेरा हो गया
मुद्रा हँसते हुए " आप कितने क्यूट है प्रविष्ठ जी। आपको गाना याद नही तो भी कितने मेहनत से गाये मेरे लिए "
प्रविष्ठ खुश होकर " पसंद आया आपको ?"
मुद्रा प्रविष्ठ के गले लग " जब आप पुरे के पुरे पसंद है तो आपका गाना पसंद नही आएगा "
इधर सुमेध आलोक के साथ दादा के कमरे की ओर जा रहा होता है कि उसे स्नेहल दिखती है जो कमरे की ओर जा रही होती है। सुमेध की नजर उसके सुट के खुले जीप पर जाता है ।
सुमेध " आलोक तू चल मै एक मिनट मे आया "
आलोक आगे बढ़ जाता है और सुमेध स्नेहल के पास जाकर उसे अपनी कर खिच ,सबके पास जाने से रोक देता है।
स्नेहल आंखे फाड़ सुमेध को देखती है।
सुमेध " जीप खुला है "
स्नेहल आंखे बन्द कर " तो ये आप मुझे क्यू बता रहे ?"
सुमेध " पागल लड़की, तुम्हारे सूट का जीप खुला है। बन्द करके जाओ सबके पास "
स्नेहल अपना हाथ पीछे कर " ये कैसे खुला?"
सुमेध " मुझे कैसे पता होगा?"
स्नेहल हाथ पिछे कर कोशिश करती है पर बन्द नही कर पा रही होती है।
स्नेहल " सुमेध जी हैल्प करेंगे क्या ?"
सुमेध " क्या अब तुम्हे शक नही होगा मुझ पर ?"
स्नेहल " सुमेध जी आप को देख घबरा गई उसके पीछे एक वजह थी बस "
सुमेध " वही तो जानना है। क्या है वजह ?"
स्नेहल " मै आपको नही बता सकती "
सुमेध " लेकिन मुझे तुमसे कुछ कहना है कब से। पर टाईम ही नही मीला।"
स्नेहल " क्या सुमेध जी?"
सुमेध " शायद हम एक दुसरे के लिए नही बने है। हमारा अलग रहना ही ठीक होगा। क्युकी जहा भरोसा नही वहा रिश्ता नही। अगर तुम्हे भरोसा होता तो रात मे घबराती न और अब अपनी वजह जो छिपाये बैठी हो मुझे बताती "
स्नेहल " नही....नही सुमेध जी मै आपके बिना नही रह सकती "
और दादा के कमरे की ओर चला जाता है।
------------
आगे की कहानी जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ
आगे अभी और सस्पेंस खुलने वाले है कीप वेटिंग 😉
Ashant.
26-Apr-2022 10:00 PM
Bahut khoob
Reply
दीपांशी ठाकुर
24-Apr-2022 09:51 PM
Bahut khoob
Reply
Archita vndna
24-Apr-2022 09:31 PM
Very nicely written
Reply