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,,बाबा..!,हमें कोई भी अपने घर नहीं बुलाता खाने पर... क्यों?
,,हम गरीब हैं ना इसलिए। ठंडी आह भरते हुए भीखू ने कहा।
,,कोई बात नहीं बेटा ईश्वर है ना.. वह देगा हमको।,,दिलासा देते हुए भीखू ने अपने दस साल के बेटे राजू से कहा।
भीखू उसी मुहल्ले में कचरे उठाने का काम करता था,जहां के प्रधान के घर नए वर्ष की पार्टी चल रही थी।
आज नए वर्ष का उल्लास और चारों ओर चहलपहल था,वहीं भीखू के घर उदासी छाया हुआ था।
सबके घर पार्टी चल रहे थे और भीखू के घर के चूल्हे भी ठंडे पड़े थे।
काफी रात बीत चली थी।अब पटाखों और जश्न के शोर दबने लगे थे।
भीखू अपने खोल से निकल कर बाहर गया जहां पर आयोजन मन रहा था।
उसकी निगाह सामने पड़ी।उसकी आँखें चमक उठीं।
यहां वहां अधखाये प्लेटें पड़ीं हुईं थीं।
और शराब और कोल्ड ड्रिंक्स की खाली बोतलें।
भीखू ने कई प्लेटों के भोजन इकट्ठे कर लिया और बोरे में खाली बोतलें।
,,सुमना... ,राजू...!,उसने अपनी पत्नी और बेटे को आवाज लगाते हुए कहा
,,देखो अपनी पार्टी का प्रबंध हो गया.. आओ..चलो खा लो।,,
,,वाह... चावल...पूरियाँ.. मटन भी है और गुलाब जामुन भी...!,,सुमना आश्चर्य से बोली।
सब भोजन देख टूट पड़े।सबकी नववर्ष की पार्टी मन गई थी।
भीखू खुश होते कहा
,,भाग्यवान!,कल तुम सबको मछली भात खिलाऊंगा।,,
,,कैसे?,,सुमना आँखें बड़ीबड़ी कर पूछा।
,,.इनसे...!, भीखू ने बोरे में भरीं खाली बोतलों को दिखाकर बोला...कल इन सारी बोतलों को बेचकर मछली और चावल खरीद लाऊंगा फिर हमारा एक और जश्न मनेगा।,,
,,वा...ह...!,,आश्चर्य और प्रसन्नता से सुमना ओर राजू की आँखें भर आईं।
भीखू की भी आँखें भर आईं।
ईश्वर तो कणकण में है।वह किसी को कैसे भूखा देख सक
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सीमा..✍️
Shrishti pandey
08-May-2022 09:17 AM
Nice
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Abhinav ji
17-Apr-2022 07:54 AM
Very nice 👍mam
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Sachin dev
14-Apr-2022 12:32 AM
Nice 👍🏼
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