लेखनी प्रतियोगिता -12-Apr-2022# सर्कस
आईये भाईजान आईये ।आइये बहन जी आप भी आइये और अपने बच्चों को भी साथ लाइये और देखिए एक दमदार तमाशा।हमारा बच्चा अपनी जान पर खेल कर आप को अपनी कलाबाजियां दिखायेगा।"
आजकल शहर मे सर्कस लगी थी । चेतना का बड़ा मन था सर्कस देखने का।उसने अपने पति से बच्चों की तरह जिद करते हुए कहा,"सुबीर मुझे भी सर्कस देखना है सुना है वहां शेर ,हाथी, घोड़े बड़े ही अच्छे अच्छे करतब दिखाते हैं। मैंने कभी नही देखी सर्कस।"उन की नयी नयी शादी हुई थी ।शहर आये थोड़े ही दिन हुए थे।सास की कोई रोक टोक तो थी नही ।बस सुबीर को मनाना था ।आज सुबीर का मूड अच्छा था सोई चेतना के मुंह को अपने दोनों हथेलियों के बीच लेकर बड़े प्यार से उसे देखते हुए बोला ,"सर्कस देखना है।चलो ठीक है शाम को तैयार रहना मै आफिस से आकर तुम्हे ले चलूंगा ।अब तो आफिस जाने दो बाबा।"
चेतना ने सुबीर का टिफिन पैक किया और वह आफिस चला गया।चेतना भी फटाफट घर का काम निपटाने लगी दो जनों का काम ही कितना होता है।काम निपटा कर वह पड़ोस मे उसकी नयी सहेली बनी थी उसके पास भी बैठ आयी पर दिन है के बीतने का नाम ही नहीं ले रहा था।जैसे जैसे शाम हो रही थी चेतना की सर्कस देखने की उत्सुकता बढती जा रही थी । ठीक छः बजे सुबीर आफिस से आया तो चेतना तैयार होकर उसके लिए शाम की चाय बना कर तैयार बैठी थी।आज सुबीर को चेतना बहुत खूबसूरत लग रही थी।उसने जल्दी से चाय खत्म की और मुंह हाथ धोकर कपड़े बदल कर तैयार हो गया।वे दोनों अपनी मोटर साइकिल से सर्कस पहुंचे।जैसे ही वे अंदर पहुंचे तो उक्त व्यक्ति जोर जोर से यही आवाजें लगा रहा था ,"आइए बहन जी।जरा बच्चों को बचा कर रखना।" चेतना ने सुबीर से पूछा ,"ये क्या चीज है ?"
सुबीर बोला,"अरे ये देखोगी ।ये तो मौत का कुआं है ।"
चेतना की उत्सुकता चरम पर थी कि मौत का कुआं क्या होता है उसने हां मे सिर हिलाया।
सुबीर फटाफट दो टिकटें ले आया ।वे दोनो लकड़ी की सीढ़ियां चढकर एक ऊंचे से प्लेटफार्म पर चले गये।एक बड़ा सा कुआं नुमा लकड़ी का बना रखा था और उसके बराबर मे खड़ा वो व्यक्ति आवाज लगा रहा था।चेतना ने नीचे झांक कर देखा तो कोई नही था । सुबीर से पूछने पर उसने कहा,"अरे बाबा लोगों को तो इकठ्ठा होने दो।फिर दिखाएगा करतब । "चेतना ने सोचा कि हो सकता है शायद कोई नाच या जादू दिखाएगा ।पर जब लोग काफी सारे इकठ्ठे हो गये उस प्लेटफार्म पर तो अचानक से चेतना को मोटर साइकिल की आवाज सुनाई दी।डूररर डूररर करती मोटर साइकिल लिए एक आदमी उस कुएं के बीच मे खड़ा था और देखते ही देखते वो मोटर साइकिल को उस लकड़ी के कुएं की दीवारों पर चलाने लगा वह मोटर साइकिल चलाता चलाता बिल्कुल उस कुएं की मुंडेर तक आ जाता था।और लोगों से हाथ मिलाता था कभी एक पैर पर खड़े हो कर चलाता तो कभी हैंडल छोड़ कर।उसे देखकर चेतना बच्चों की तरह ताली बजा रही थी।तभी सुबीर बोला,"बड़ा गजब का बैलेंस होता है इनका जरा सी चूक हुई नही की सीधे मौत के मुंह मे।"बस सुबीर ने इतना ही कहा था कि तभी चेतना के सामने जो कुएं की मुंडेर थी उस मे से एक आदमी नू उस करतब दिखाते हुए आदमी से हाथ मिलाया जब वह ऊपर आया कि तभी भीड़ मे से किसी ने धक्का मारा और वह हाथ मिलाने वाला आदमी डिसबैलेंस हो गया और वह मुंडेर से पलटी खाता हुआ उस करतब दिखाने वाले को साथ लेकर कुएं मे गिरा दोनों सिर के बल गिरे थे दोनों के ऊपर चलती मोटरसाइकिल आकर गिरी उन दोनों के सिर फट गये थे।और वे दोनों वही मर गये।चेतना ने जब ये नजारा देखा तो उसकी रुह कांप गयी।और वह सुबीर से बोली,"नही देखनी कोई सर्कस।ये लोग अपनी जान पर खेल कर हमे करतब दिखाते है ।पेट की आग क्या क्या नही करवा देती है आदमी से ।अब ये जो मरा है उसके परिवार का क्या होगा।हाय राम।"सुबीर भी चेतना के पीछे पीछे चल पड़ा ये सोचते हुए कि हां वास्तव मे पेट क्या क्या नही करवाता।
Fareha Sameen
13-Apr-2022 02:10 PM
Nice 👍
Reply
Monika garg
13-Apr-2022 05:09 PM
धन्यवाद
Reply
Shrishti pandey
13-Apr-2022 09:14 AM
Very nice mam
Reply
Monika garg
13-Apr-2022 09:16 AM
धन्यवाद
Reply
Punam verma
13-Apr-2022 12:02 AM
Verynice
Reply
Monika garg
13-Apr-2022 08:56 AM
धन्यवाद
Reply