Simran Ansari

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द हाॅन्टिंग मर्डर्स : पार्ट - 14

तृषा एकदम सुकून से सो रही होती है और मोहित बेड के पास ही खड़ा उसे इस तरह सोते देख कर मुस्कुरा रहा होता है, तभी तृषा का फोन रिंग होता है तो मोहित जल्दी से बिना देखे ही कॉल डिस्कनेक्ट कर देता है।


यह सोचकर की रिंगटोन की आवाज से कहीं तृषा की नींद ना खुल जाए क्योंकि वह काफी थकी हुई लग रही थी, और अभी कुछ देर पहले ही वह सोई थी, लेकिन कुछ सेकेंड बाद ही तृषा का फोन दोबारा फिर से रिंग होता है तो मोहित जल्दी से कमरे से बाहर आ कर कॉल रिसीव कर लेता है। वह तृषा कि रूम मेट आरती का कॉल होता है।

"तृषा यार कहां है तू? मैं रोज़ रोज़ झूठ नहीं बोल सकती रोज़ी आंटी से, उन्हें पता चल जाएगा कि तू रूम पर नहीं है।" - कॉल रिसीव करते ही दूसरी तरफ से आवाज आती है।

"हेलो मैं मोहित! तृषा सो गई है और अगर रोजी आंटी पूछे तो तुम बोल देना कि वह जॉब से अपने किसी रिलेटिव के घर चली गई, उन की तबीयत खराब थी।" - मोहित आरती से बोलता है।

"लेकिन तृषा... ठीक है, मैं बोल दूंगी!" - आरती मोहित से ज्यादा कुछ नहीं बोलती और कॉल डिस्कनेक्ट कर देती है।

आरती से बात कर के मोहित तृषा का फोन वही टेबल पर रख देता है और किचन में जा कर अपने लिए कॉफी बनाने लगता है क्योंकि उसे अभी कुछ देर और जाग कर काफी सारे काम निपटाने थे।

अगली सुबह....

"सर... सर... नीरज सर; कहां हैं आप?" - पुलिस स्टेशन के अंदर आते ही मयंक नीरज को ढूंढते हुए आवाज लगा रहा था।

"क्या है मयंक? इस तरह से क्यों चिल्ला रहे हो, सीधे केबिन में नहीं आ सकते थे क्या?" - मयंक की आवाज सुन कर नीरज उस की तरफ बढ़ता हुआ बोलता है

"अरे सर बात ही कुछ ऐसी है आप भी सुनेंगे तो मेरी तरह ही एक्साइटिड और खुश हो जाएंगे, साथ ही मुझे शाबाशी भी देंगे।" - मयंक दांत दिखाते हुए बोला 

"क्यों खूनी का पता चल गया क्या? जो इतना ज्यादा खुश हो रहे हो!" - नीरज थोड़ा व्यंगात्मक लहजे में बोला और अपने केबिन की तरफ बढ़ गया।

"अरे सर! खूनी का पता भी चल जाएगा, लेकिन फिलहाल मुझे उस आदमी के बारे में जानकारी मिली है जिस का मर्डर दूसरे नंबर पर हुआ था और उस के बारे में अब तक हमें ज्यादा कुछ पता नहीं चला था यहां तक उसका नाम भी नहीं मुझे उस की पूरी जानकारी मिल गई है।" - मयंक भी नीरज के पीछे उस के केबिन के अंदर आता हुआ बोला

"चलो कुछ तो काम किया तुम ने, मुझे तो लगा था बस बकवास और फालतू के जोक्स क्रैक करना ही आता है तुम्हें।" - नीरज अपनी कुर्सी पर बैठता हुआ फिर से मयंक को ताना मारते हुए बोला

"वही तो सर, आप सीनियर्स की आदत होती है अपने जूनियर्स को बहुत ज्यादा अंडरेस्टीमेट करते हैं आप लोग, जबकि हम लोग तो सब से ज्यादा ही काम करते हैं बस क्रेडिट नहीं मिलता वह बात अलग है।" - मयंक बेचारे जैसा मुंह बनाते हुए बोला, तो नीरज को भी हंसी आ गई लेकिन वह अपनी हंसी दबाते हुए एकदम गंभीरता से बोला - "चलो अब बताओ जल्दी, क्या पता चला? टाइम मत वेस्ट करो!"

**********************

"मैं.. मैं यहां.... कहां कहां हूं मैं" - सुबह आंख खुलते ही तृषा अपना सिर खुजाती हुई बेड पर उठ कर बैठते हुए बोली वह अभी भी आधी नींद में ही थी।

उस ने अपने सामने देखा तो सोफे पर मोहित सोया हुआ था और उसे देख कर तृषा की आंखें अब पूरी खुल गई और उस की नींद लगभग जा चुकी थी, वह जम्हाई लेती हुई खुद से बोली - "इस का मतलब कल रात मैं यहां पर ही सो गई, ओ गॉड ! आरती को इन्फॉर्म भी नहीं किया और रोज़ी आंटी... उन्हें कहीं पता ना चल गया हो? शिट!"

यह सब सोचते हुए तृषा उठी और अपना मोबाइल फोन ढूंढने लगी लेकिन उसे अपने बैग में और आस-पास भी कहीं अपना मोबाइल फोन नहीं मिला।

"अब मेरा मोबाइल कहां चला गया, कहां रख दिया मैंने? ऑफिस से लाई थी या वहीं भूल गई।" - अपना मोबाइल फोन ढूंढते हुए तृषा बड़बड़ा रही थी।

"ऊपर से यह मोहित का कमरा है या कोई कबाड़खाना यहां तो पूरा इंसान ही खो जाए और मिले भी ना कभी इन सब सामान के बीच, शायद मोहित ने मेरा मोबाइल कहीं रखा होगा।" - तृषा मोहित के कमरे में फैले हुए सामान को देख कर बोलती है और फिर मोहित की तरफ बढ़ने लगती है।

"मोहित.... मोहित उठ ना, मेरा मोबाइल रखा है तूने कहीं मुझे कॉल करनी है बोल ना... मोहित!" - तृषा मोहित को हिलाती हुई उस से सवाल करती है लेकिन मोहित नींद में ही उसे अपना मोबाइल फोन पकड़ाते हुए बोलता है - "यह ले मेरे फोन से कॉल कर ले और प्लीज मुझे सोने दे, अभी थोड़ी देर पहले ही सोया हूं मैं..."

मोहित की बात सुन कर तृषा समझ जाती है कि वह नहीं उठने वाला इसलिए उस के हाथ से उस का मोबाइल फोन ले लेती है और कमरे से बाहर चली जाती है।

"कॉल कर लेती हूं अपने नंबर पर, मिल जाएगा।" - बोलते हुए तृषा मोहित के फोन से अपना नंबर डायल करती है और उसे अपने मोबाइल की रिंग सुनाई देती है और सामने ही टेबल पर रखा हुआ उसे उस का मोबाइल मिल जाता है।

अपना मोबाइल मिलते ही तृषा आरती से बात करती है तो उसे पता चलता है कि आरती ने रात को कॉल किया था और मोहित से उस की बात हुई थी, आरती से बात करने के बाद तृषा कॉल डिस्कनेक्ट कर देती है और अपने बाल समेटती हुई दीवार पर लगी घड़ी की तरफ एक नज़र डालती है तो सुबह के 9:15 बज रहे होते हैं।

टाइम देख कर तृषा एकदम से हड़बड़ा जाती है और खुद से बोलती है - "ओ गॉड! 9:00 बज गए 10:00 से पहले मुझे ऑफिस पहुंचना है, इन्हीं कपड़ों में ऑफिस जाना होगा आज तो यहां से ही।" बोलते हुए तृषा वॉशरूम की तरफ भागती है और फिर जल्दी से रेडी हो कर निकलती है।

मोहित अभी भी सो रहा होता है इसलिए वह उसे उठाने के लिए जाती है, और कहती है - "मोहित मैं ऑफिस जा रही हूं, उठ जा अब तो... तुझे कहीं नहीं जाना क्या?"

"क्या है यार! चली जा ना ऑफिस मैंने कब मना किया, मेरी नींद क्यों खराब कर रही है?" - मोहित अपनी आंखें मलते हुए सोफे पर उठ कर बैठता हुआ बोलता है।

"रात को सो जाया कर ना इंसानों की तरह, और मैंने सोचा जाने से पहले तुझे बता देती हूं, वैसे आज रात को नहीं आ पाऊंगी मैं क्योंकि रोज़ रोज़ ऐसे गायब रहूंगी तो फिर कौन मुझे किराए पर रूम देगा?" - तृषा मोहित से बताती है।

तृषा की बात सुन कर मोहित अपना सिर हां में हिलाता है और तृषा अपना बैग ले कर वहां से जाने लगती है तो मोहित उस के पीछे आता हुआ उसे बाय बोलता है, तृषा भी मोहित को बाय बोल कर उस के फ्लैट से चली जाती है और मोहित गेट बंद कर के वापस अपने रूम में आ कर बेड पर पेट के बल लेट जाता है, शायद अपनी नींद पूरी करने के लिए।

अभी तृषा को वहां से गए हुए लगभग एक घंटा ही हुआ था कि मोहित का फोन रिंग होता है और मोबाइल रिंग की आवाज सुन कर मोहित नींद में ही अपना फोन टटोलने लगता है और फिर मोबाइल फोन मिलते ही तुरंत बिना देखे लेटे हुए ही अंदाजे से कॉल रिसीव कर के अपने कान पर लगा लेता है, लेकिन दूसरी तरफ से आती हुई आवाज़ सुन कर एकदम उस की नींद जैसे पूरी तरह से उड़ जाती है और वह हर बार अपने बेड पर उठ बैठता है।

दिन का समय, पुलिस स्टेशन में ;

नीरज अपने हाथों में तृषा का वह ब्रेसलेट पकड़े बैठा रहता है और उस ब्रेसलेट को अजीब नज़रों से घूरते हुए काफी कुछ सोचता रहता है, तभी अचानक से मयंक वहां पर आ जाता है और नीरज के हाथों में वह ब्रेसलेट देख कर बोलता है - "यह क्या है सर! किसी के लिए गिफ्ट है क्या?"

"क्या बकवास करते रहते हो मयंक तुम हर वक्त, यह मुझे क्राइम सीन से मिला था, उस रात। - मयंक की बात सुनकर नीरज गुस्से में बोल देता है लेकिन फिर तुरंत ही बात बदलते हुए पूछता है - "तुम बताओ, कुछ नया पता चला? कुछ बताने आए थे क्या?"

नीरज वो ब्रेसलेट अपनी पॉकेट में रखते हुए मयंक से बोलता है, मयंक का ध्यान भी इस वक्त उसी ब्रेसलेट पर होता है और वो बाकी सारे सवालों को इग्नोर करते हुए नीरज से दोबारा पूछता है - "क्या सच में सर! क्राइम सीन से  मिला यह आप को, उस वक्त तो दिखाया नहीं आपने ना ही बताया मुझे, इस का मतलब खूनी कोई औरत है या लड़की?"

"शट अप मयंक यह खूनी का नहीं हो सकता।" - नीरज , मयंक की बातों पर उसे डपटता हुआ बोलता है।

"क्यों... क्यों... क्यों... नहीं हो सकता, होने को तो कुछ भी हो सकता है ना सर!" - मयंक उत्सुकता वश नीरज से सवाल करता है

"क्योंकि हमारी इन्वेस्टीगेशन के हिसाब से ऐसा कुछ पता नहीं चला है अब तक और खूनी इतना भी पागल नहीं होगा कि कोई ब्रेसलेट या ऐसा कुछ छोड़ जाए सबूत यह तो किसी और का ही है पक्का?" - नीरज थोड़ा सोचते हुए बोला

"ठीक है सर! आप बोल रहे हो तो... वैसे मुझे तीसरी लाश की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट चाहिए थी। आगे की इंवेस्टिगेशन के लिए" - मयंक नीरज से बोलता है।

"हां, यहीं कहीं पर ही तो थी, देखो टेबल पर ही..." - बोलते हुए नीरज ने टेबल पर पहले सामान को उठा कर हटा कर फाइल ढूंढना शुरू कर दिया, मयंक भी उस के साथ ही फाइल ढूंढने लगा, तभी नीरज का मोबाइल फोन रिंग हुआ और उस ने फाइल ढूंढना रोक कर पहले अपना मोबाइल फोन उठाया और कॉल रिसीव कर के बात करने लगा।

"सर, फाइल मिल गई।" - मयंक को जैसे ही फाइल मिली वह नीरज को दिखाते हुए बोला

"ओके, तुम अपना काम शुरू करो मुझे एक बहुत जरुरी काम से कहीं जाना है।" - मयंक की बात सुन कर कॉल डिस्कनेक्ट करते हुए नीरज ने मयंक की बात का जवाब दिया और टेबल पर से अपना कुछ ज़रूरी सामान उठाते हुए तेज़ कदमों से अपने केबिन से निकल गया।

"किसका कॉल था और सर इतनी जल्दबाजी में निकल गए, खैर मुझे क्या अपना काम करता हूं; आते ही प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगेंगे मुझ से।" - बोलते हुए मयंक ने अपने कंधे उचकाए और फाइल ले कर नीरज के केबिन से बाहर चला गया।



क्रमशः


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6 Comments

Anam ansari

07-Apr-2022 07:38 PM

बहुत अच्छा

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Seema Priyadarshini sahay

07-Apr-2022 02:52 PM

बेहतरीन भाग

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Punam verma

07-Apr-2022 10:48 AM

Nice

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