लाइब्रेरी में जोड़ें

माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 15)

भाग - 15


अभी तक आपने पढा कि कैसे नवनीत की आंख खुलती है और वो सामने देख डर जाता है। क्युकी सामने सुकून खडी होकर प्यार से नवनीत को निहार रही थी और उसके बगल मे ब्रिगेडियर सर लेटे हुए उसे टूकूर टूकूर देख रहे होते है।
नवनीत- ये क्या है? तुम मेरे कमरे मे....और सर जी आप यहा क्या कर रहे मेरे बगल मे लेट कर? 

सुकून- तुम्हारे लिये ही तो आई हू। 

ब्रिगेडियर सर - हा दामाद जी, माफ कर दो सुकून को।नादान है वो। 

नवनीत- कल तक फूटी आंखो नही सुहाता था, और आज दामाद जी? और आपको कैसे सब पता....? 

ब्रिगेडियर सर- कल रात ही सब सुकून बता दी। कि कैसे वो तुम्हारा इन्स्लट करती रही। 

सुकून- हा नवनीत प्लीज माफ कर दो। खास तौर पर माफी ही मांगने आई हू, क्युकी मेरा मन ही नही मान रहा था। 

नवनीत - हू
और जाने लगता है। ब्रिगेडएर सर उसका हाथ पकड लेते है।
ब्रिगेडियर सर - कहा जा रहे जवान? 

नवनीत- सर जी, अब बाथरूम जाना गुनाह हो गया?इसके लिये कोर्ट मार्शल तो नही करा देंगे? 

ब्रिगेडियर सर- ओह्ह, जाओ न । लेकिन जब तक यहा हू मै तुम्हे मना के ही रहूँगा। क्युकी तुम नही जानते तुम कितने खास इन्सान के वारिस हो।
और ब्रिगेडियर सर चले जाते हैं। सुकून भी चली जाती है।
सभी नाश्ते के लिये हॉल मे आते है , जहां जग जीवन दादा जी सबको खास बात करने के लिये बुलाये होते है।
सभी नाश्ता कर जग जीवन दादा जी की बात सुनने लगते है। 
जग जीवन दादा- शादी आज से तीन दिन बाद है। तो सभी मेहमानो और दोस्तो के रहने की व्यवस्था इसी होटल मे हो चुकी है। तो कोई नही जायेगा अपने घर, इन तीन दिनो मे सब साथ मे एन्जॉय करेंगे।
सभी लोग तालिया बजाते है। 

ब्रिगेडियर सर - मै तो कही नही जाऊंगा। 

जग्गू दादा- सबको तो पहचान गया। आप कौन है ? 

प्रविष्ठ- ये हमारे ब्रिगेडियर सर है ते.... 

ब्रिगेडियर सर- नही, कोई मेरा नाम ,परिचय नही बतायेगा तीनो सर को। सर आप एक कहानी सुना रहे न अपने पोतो को? मै भी सुन रहा हू सबके साथ बैठ, जब आपकी कहानी पूरी हो जाएगी, मै आपको खुद अपना परिचय दूंगा। क्युकी मुझे भी कई सवालो के जवाब जानने है। 

श्याम मोहन दादा - ठीक है । तो आ जाना आज रात मे हमारे कमरे मे सभी। 

नैना जी - बाऊ जी आप लोग रात मे कहानिया सुना लीजियेगा, आज प्रविष्ठ की हल्दी है। पहले रश्म तो कर ले। 

आलोक- आज तो प्रविष्ठ को हल्दी से भींगा देंगे। इतना चमक जायेगा कि बॉर्डर पर सायरन की जगह इसे ही दो बार घुमा देंगे सब समझ जायेंगे कुछ जरूरी बात है। 

नवनीत- नही नही, नेवी को दे देंगे, समुद्र मे रास्ता दिखायेग सबको लाईट बनकर। 

सभी हंसने लगते है।
हॉल मे प्रविष्ठ और मुद्रा की हल्दी की रश्म शुरु हो जाती है। एक ओर प्रविष्ठ के घर वाले और दोस्त होते है तो एक ओर मुद्रा के घरवाले और दोस्त। 

नैना जी- चलो चलो सब प्रविष्ठ को हल्दी लगाओ। 
प्रविष्ठ की दादी पहले उसे हल्दी लगाई फिर मा पापा दादा। फिर सुमेध , नवनीत और आलोक मिलकर प्रविष्ठ को जमीन पर गिरा कर हल्दी लगाने लगते है। 

प्रविष्ठ- यारो रुक जाओ। बस करो मार डालोगे क्या?
लेकिन तीनो रुकते नही। और हल्दी की होली खेलने लगते है।
इधर सभी लोग मुद्रा को हल्दी लगा रही होती है। 
सुभद्रा जी- कहते है होने वाली दुल्हन या दूल्हे की हल्दी जिसे लग जाए उसकी शादी जल्दी होती है।
मुद्रा- क्या सच मे?
और अपने गाल से हल्दी बगल मे बैठी स्नेहल को लगा देती है। स्नेहल हैरान हो जाती है।
स्नेहल धीरे से - ये क्या की??
मुद्रा धीरे से- मै क्या की? अब तो सुमेध बाबू करेंगे तुझसे शादी। देख तो तुझे ही देख रहे। नही नही निहार रहे।
स्नेहल सामने की ओर देखती है तो सुमेध उसे मुस्कुराते हुए देख रहा होता है। प्राजिका दोनो को देखती है और सुमेध के  पास जाती है। और प्रविष्ठ के कान मे कुछ कहती है। 
प्रविष्ठ सुमेध को अपनी हल्दी लगा देता है। 

आलोक - इतना मत देख, इसका भाई खुब मारेगा 
सुमेध- इसका तो भाई ही नही है। 

आलोक - आधे घन्टे पहले प्रविष्ठ बना है स्नेहल का भाई। अब तू मना अपने साले को। 

तभी प्रविष्ठ हल्दी लगाते हुए - इसमे मानना मनाना क्या जिजा जी। जल्दी से शादी कर मेरी बहन से। तेरी शादी मे मुह से डीजे  बजा दूंगा। 

सुमेध धीरे से - आलोक ,मेरा साला मान गया,तू मना अपने साले साहब को। 

आलोक - साले..... 

सुमेध घुरते हुए - क्या...?? 

आलोक हाथ जोड़  - साहब , कैसे मनाऊ आपको? 

सुमेध - बाद मे बताऊंगा, अभी अपनी प्राजू को कुछ खिला कर आऊँ। 

नवनीत- तू प्राजू को बहुत मानता है न? 

सुमेध - हा, क्युकी उस वक्त प्राजू ही थी जो मेरे साथ खडी थी। उस औरत को काफी संस्कारी तरीके से समझाई । 

आलोक सामने प्राजिका को देखते हुए - ऐसा क्या की? 

सुमेध - बड़ा सा पत्थर लेकर मुह पर मार दी। 

आलोक हैरान होकर - क...क्या ? प्राजिका हाथा पाई भी करती है क्या? 

नवनीत- अरे वाह तब आज से प्राजू मेरी बहन । 

सुमेध - अभी तक तो अन्जानी लड्की को देखे थे बाबू मोशाय,,अब जान जाओगे।
और तिरछी स्माइल देते हुए निकल जाता है।
आलोक- ये सुमेध तो प्राजिका के पास जाने भी नही देगा
प्रविष्ठ - भाई अब एक साले को सम्भाल नही पा रहा, दुसरे वाले को कैसे सम्भालेगा? वो देख नवी को 

आलोक देखता है नवनीत प्राजिका से बाते कर रहा होता है। 
नवनीत- प्राजू है तू बहना, और सब मेरी प्राजू से दूर रहना। 

आलोक सर पकड प्रविष्ठ से- वो वाला तो मुह से गोली दागता था। ये वाला तो सच मे ठोक देगा उल्टी खोपड़ी।
सभी नहाने चले जाते है। 
नवनीत नहाकर गार्डन मे घूम रहा होता है कि उसे बालकनी पर खड़े सुकून दिखती है जो अपने गिले बाल सुखा रही होती है। सफेद कुर्ती प्लाज़ो मे काफी सादगी मे काफी खुबसूरत लग रही होती है। नवनीत की दिल की धड़कने बढ्ने लगती है। अचानक से सुकून की नजर नवनीत पर जाती है, वो मुस्कुरा कर हाथ हिलाती है ,तो नवनीत वहा से चला जाता है।
सुकून - जब तुम पास आकर परेशान करते थे मै गुस्सा हो जाती थी। पर आज जब तुम मुझे अनदेखा कर रहे,तो इतना बुरा क्यू लग रहा,अब तो और गुस्सा आ रहा। पर क्यू? मै यहा माफी मांगने के मकसद से आई हू माफी तो मांग के रहूँगी ।
स्नेहल प्राजिका के पास बैठी होती है। और दोनो मेहंदी के रश्म के लिए कपडे सेलेक्ट कर रही होती है।
स्नेहाल- प्राजू.....एक बात पूछू?

प्राजिका - हा पुछ न ।

स्नेहल " कभी किसी से प्यार हुआ "?

प्राजिका " हा मेरे मॉम डैड दादू,,और मेरे भाई"

स्नेहल " मतलब किसी लडके से प्यार। जैसे मै सुमेध जी से करती हू"

प्राजिका " तेरे साथ ही तो कॉलेज पढी मै। कितने लोग प्रपोज किये पर मै हा की?? सबको बस पैसे और खुबसूरती से प्यार है...... सच्चा प्यार कोई करता ही नही। वो प्यार जिसके लिए कुछ माइने न रख्ता हो। निस्वार्थ प्यार। पर आज के जमाने मे कौन होगा ऐसा सन्त। 

स्नेहल " आलोक,,, मतलब आलोक का प्यार। वो जिस लड्की से प्यार करता है , उसे बस एक नजर देखा था , और आज तक और किसी लड्की की ओर देखा ही नही"

प्राजिका " ओह वही खुबसूरती वाला प्यार निकला न , लड्की खुबसूरत रही होगी।"

स्नेहल " तो आलोक अगर खुबसूरती देख ही प्यार करता तो , उस लड्की वो कई साल पहले देखा तब, तब से और भी खूबसुरत लडकिया दिखी होगी उसे, दुबारा किसी से प्यार क्यू नही कर पाया......?"

प्राजिका सोचते हुए " तब वो पागल लड़का है, वो लड्की की अगर शादी हो गई होगी तो.......? या वो बुरी हो ,या अब अच्छी न लगती हो "

स्नेहल " हू इसका जवाब तो आलोक जी ही देंगे, पुछ लेना"

प्राजिका " मुझे क्या पड़ी है, जानने की ।"

स्नेहल " ऐसे तो बड़े लव स्टोरी के बूक्स पढ़ती है, और जब रियल लाइफ एक युनिक लव स्टोरी दिखी तो हैरानी की बात है तुझे जानना नही? " 

प्राजिका कुछ सोचने लगती है। स्नेहल मुस्कुराते हुए प्राजू को देखती है।
स्नेहल मन से " प्राजू आलोक के प्यार के बारे मे बताने का जरिया तो मै बनी। और मै मिला के रहूँगी दोनो को। और एक बार आलोक से बात कर, जैसे जैसे आलोक के प्यार को जानेगी, तुझे खुद ही प्यार हो जायेगा आलोक से"

मुद्रा अपने कमरे मे बैठी होती है कि खिडकी से प्रविष्ठ आता  है।
मुद्रा " कैप्टन साहब, शोभा देता है ऐसे चुपके से किसी के कमरे मे आना?" 

प्रविष्ठ मुद्रा के पास आकर " किसी नही अपनी बीबी के पास आया हू"

मुद्रा शर्मा कर दुसरी ओर देखने लगती है । प्रविष्ठ मुद्रा का हाथ पकड़ता है। 
प्रविष्ठ " गले लगा सकता हू क्या तुम्हे?" 

मुद्रा नजरे नीची किये हा मे सर हिलाई। प्रविष्ठ मुद्रा को गले लगा लेता है। 
प्रविष्ठ " जानती हो जब पहली बार बम ड़ीफ़्यूज़ करते वक्त तुम्हे देखा ......ऐसी फीलिंग कभी नही हुई थी। तब जाते वक्त आंटी ने तुम्हे मुद्रा पुकारा। पूरी रात तुम्हारे बारे मे ही सोचता रहा। रोज बैंक सिर्फ तुम्हे ही देखने आता था कि एक नजर देख लू तुम्हे,, मेरी लाइफ का कोई भरोसा नही मुद्रा पर जितनी भी लाइफ जियुंगा तुम्हारे साथ जीना चाहता हू।"

मुद्रा " ये कैसी बाते कर रहें? कुछ नही होगा आपको।" 

प्रविष्ठ मुद्रा का सर सहलाते हुए " एक आर्मी मैन से शादी करने जा रही हो, मजबुत तो बनना होगा न?"

मुद्रा कस के प्रविष्ठ को पकड लेती है। प्रविष्ठ मुद्रा के माथे को चुमता है। 
तभी नवनीत की आवाज आती है " प्रविष्ठ मै जानता हू भाभी के पास ही आया है,जल्दी निकल। चल सब लोग दादा की कहानी सुनने जा रहे"

प्रविष्ठ बाहर आकर नवनीत का मुह चाप कर " चुप हो जा मेरे बाप, आज सबको बता देगा कि मै मुद्रा से मिलने आया "

नवनीत " क्या करेगा प्यार करके, प्यार एक धोखा है"

आलोक आते हुए " प्यार के बिना तो कुछ नही है "

सुमेध मोबाइल मे नजर गडाये हुए " हैकिंग बिना सब सुन"

प्रविष्ठ " क्या बोल रहा?"

सुमेध " कोई मुझे कूछ काम नही दे रहा , तो बैठे बैठे सबका मोबाइल हैक कर लिया ।वो जो तेरे बगल की मासी है न बहुत बुराई कर रही थी नैना मा की । और वो लड्की तेरे कजन से चक्कर चल रहा "

आलोक " इसे कोई काम दो भाई, नही तो जाने क्या क्या करेगा ये हैकर "

तभी सुकून आते हुए " आज कहानी सुनने चलना है न?"

नवनीत " हा तो जाईये आप । हम दोस्त साथ आयेंगे"

प्राजिका " हा तो ये हमारी दोस्त बन गई है, हम गर्ल्स गैंग मे शामिल हो गई है " 

सभी लोग दादा जी के पास आते है। जहा जग्गू दादा और श्यामू दादा साथ मे नवनीत के सुख वींदर दादा होते है।
स्नेहल " राज दादा नही सुनायेंगे कहानी?"

जग्गू दादा " नही.... वो पुरानी बातो को याद नही करना चाहता " 

ब्रिगेडियर सर " सर जी सुनाईये न आगे की कहानी।

श्यामू दादू " तुझे इतनी क्यू खलबली क्यू मची है? तू तो एक मेहमान है , हम लोगो के बारे मे क्या पता ?"

ब्रिगेडियर सर " वही तो पता लगाना चाहता हू सर जी।"

नवनीत अपने दोस्तो से " ये ब्रिगेडियेर सर कब से इतने अच्छे से कीसी से बात करने लगे?"

प्रविष्ठ " क्या पता चल कहानी सुन "

श्यामू दादा जी " हा तो हमने बताया था कि कैसे तेज हमे बताया कि एक लड़का ग्राउंड का चक्कर लगा रहा था । हम तीन यार जग्गू , मनु और मै तो मिल गये थे बस बचा था 

सभी " राज दादू"

स्नेहल " वो बहुत स्ट्रिक्ट रहे होन्गे न?"

जग्गू दादा हँसते हुए " हा हा ब्ताता हू उसका  कहानी"

फ्लैश बैक,,
"जगजीवन, श्याम मोहन और मन वींदर ग्राउंड मे देखते है जहा एक  लम्बा चौडा लड़का ग्राउंड का चक्कर लगा रहा होता है , कुछ लोगो से पता चलता है कि उसे ब्रिगेडियेर सर सजा दीये है। "

सभी लोग ग्राउंड की ओर जाते है। जहा ब्रिगेडियेर सर ग्राउंड के चक्कर की गिनती कर रहे होते है।
ब्रिगेडियेर सर-" बस ,,आज के लिए इतना काफी है। पर अगली बार से ऐसा मत करना । नही तो और ज्यादा सजा मिलेगी राज वीर शेखावत "

राज वीर " यस सर " 

ब्रिगेडियेर सर " अब जाओ चुप चाप खाना खाकर अपने रुम मे "

जगजीवन " अच्छा है ये हमारा रुम मेट नही। नही तो, हमे भी इसकी करतूतो से सजा मिलती। मुझे ये बहुत खुरापाती लग रहा बच के रहना "

श्याम मोहन " हमे क्या हम कहा मिल रहे?"

मनवींदर " पर मैनू तो एक बार मिलना है इससे,बड़ा मजेदार है , आखिर ऐसा क्या किया कि पहले दिन ब्रिगेडियर साहब को नाराज कर दिया"।

जग जीवन " नही, दूर ही रहना, अब चल"

तीनो अपने रुम मे आते है  ,  और लेट जाते है की उनके रुम का डोर कोई नॉक करता है ।
जगजीवन " इस वक्त कौन होगा ?" 

मनवींदर " जंग शुरु हो गई , चलो " 

श्याम मोहन " ठंड रख भाई"

जग जीवन जैसे ही गेट खोलता है सामने कीसी को देख दुबारा गेट बन्द कर देता है।
श्याम मोहन " क्या हुआ ? किसे देख घबरा गया?"

जग जीवन " अरे वो है .....

मनवींदर और श्याम मोहन " कौन है ?"

जग जीवन " अरे वही, राज वीर शेखवत यहाँ क्यू आया? हमे भी सजा दिलाकर आर्मी कैम्प से निकाल देगा "

मन वींदर " लगता है चला गया देख आवाज नही आ रही।"

" साब जी, ओ साब जी "

तीनो एक साथ " ये कौन बोला "

" साब जी इधर खिडकी के पास से मै बोला "

तीनो देखते है तो राज वीर खिडकी से अन्दर देख रहा होता है।

जग जीवन " क्या है ? हमे परेशान क्यू कर रहे ?"

राज वीर " साब जी मुझे अन्दर ले लो। नही तो मेरी कुल्फ़ी जम जायेगी"

मन वींदर " आजा यारे"
और दरवाजा खोलता है राज अपना सामान लिए अन्दर आता है।

जग जीवन - ए तू सामान लेकर क्यू आया?"

राज वीर " तो क्या पत्ते पहनता? " 

श्याम मोहन " ये वाला चुटकुला मस्त था " एक और सुना 

राज वीर " अरे मै चौथा रुम पार्टनर आप लोगो का "

तीनो उसको देखते हुए  " तु हमारा रुम मेट?'

राज वीर " हा हम आपके रुम मेट, बाथरूम मेट, जंग मेट सब है "

जग जीवन उपर की ओर देखते हुए " महादेव, यही मीला था हम लोगो के पास भेजने को "?

राज वीर उन लोगो के बिस्तर पर लेट कर " अब हम तो आ गये , अब झेलो "

मन वींदर " अच्छा है यारा, तू आ गया। अब ये बता क्यू सजा मीला तुझे?" 

राज वीर " मै सिधे कैम्प न आकर बार्डर के पहाडी इलाके पर चला गया था, बस सब जासुस समझ पकड लिए। बाद मे पता चला उन्हे कि मै एक फौजी हू । वो बोले क्यू गये वहा ? हम बोले ' मजे के लिए ' । बस मिल गई सजा । आज तो पुरा बदन दर्द हो रहा "

श्याम मोहन " क्या तुम फौजी हो न?नियम कानून , कुछ फौजी वाली चीजे तुम मे नही है "

राज वीर " सब बोलते थे हमारी पर्सनालीटी आर्मी वाली है तो टेस्ट दिया और पास हो गया तो आ गया , अब जब तक ये लोग झेल लेंगे मुझे रहूँगा, नही तो यहा से भाग जाऊंगा " 

जग जीवन " कितना मस्त मौला है ये ? कीसी चिज की चीन्ता नही ? "

मन वींदर " चीन्ता चिता के सामान होती है यारा, चल आज से चारो साथ साथ रहेंगे "

जग जीवन मन मे " इसे तो भगाना होगा , नही तो इसके साथ साथ हमे भी लात मार के निकाला जायेगा "

सभी सो जाते है । अगले दिन सभी नहाकर साथ मे नाश्ता करने जाते है। 
चारो साथ मे नास्ता कर रहे होते है कि तेज आता है।
तेज " अरे तुम लोग इस मेहनती आदमी को भी अपने ग्रुप मे मीला लिए ??

राज वीर " हम और मेहनती ? अच्छा है  । वैसे आप यहा कैसे छोटे ? 

तेज " मै नही रहु तो सब भूखे मर जाए, मै सबको खाना बाटता हू "

मन वींदर " हा सबसे ज्यादा ठूसता भी होगा?"

तेज " हा , सब लोग खा लेते है फिर बाबा मुझे खिलाते है " 

सभी लोग तेज को देखने लगते है , जो बड़ी मासूमियत से सबको देख रहा होता है।
जग जीवन " तो तुम्हे भूख नही लगी ?"

तेज " बाबा बोले पहले सब खायेंगे फिर हम लोग खायेंगे , क्युकी तुम लोग देश की रक्षा करते हो, जवानो मेहमत करना " 

राजवीर तेज को अपनी गोद मे बिठा लेता है और उसे खिलाने लगता है । 
तेज " छोटे निवाले खिला जवान, मेरा मुह तेरे जैसा बड़ा नही"

राज वीर " अरे आप सच मे चार पांच साल के है?" 

जग जीवन तेज के बाल सहलाते हुए " तेरे बाल बड़े अच्छे है

तेज " ए नजर मत लगा, रोज बाल धुलकर चमेली का तेल लगाता हू " 

मन वींदर " और रहते कहा हो?"

तेज सर पर हाथ रख " इतना नही पता, और तुम लोग फौजी बन गये? मै सबसे बड़े कमरे मे रहता हू। यही इसी गलियारे मे बाबा के साथ सोता हू , क्युकी फिर सुबह खाना बनाना होता है न बाबा को।"

तभी तेज के बाबा आते है " तेजू चल, कितनी बार मना किया परेशान मत किया कर सबको "
और तेज को खीचते हुए ले जाते है। 
तेज जाते हुए " बाबा चिंता मत करो , मै भी ब्रिगेडियर बनूंगा, फिर हम भी बड़े वाले घर मे रहेंगे"

तेज के बाबा " चुप, हम यहा के नौकर है, मालिक नही । चल मेरे साथ "
और तेज चला जाता है। चारो तेज को जाते हुए देखते है।

राज वीर " ये आगे जाकर बहुत बड़ा काम करेंगे "

मनवींदर " तू इतना इज्जत देकर बात करता है पर काम तो इज्जत दारो वाले नही होते तेरे ?"

राज वीर " क्या आप भी? हम राज स्थान के राजघराने से है, तो बस आदत है "

श्याम मोहन " क्या?तब तुम्हे काम करने की क्या जरुरत?"

राज वीर " हमे बस जिन्दगी जीना है मजे से , बस जो मन मे आता है कर देते है "

जग जीवन " ठीक है, पर अच्छे से रहना सीखो, अब फौज मे हो तुम "

राज वीर " आप मुझसे इतना चिढ़ कर क्यू बात करते है?"

जग जीवन " क्युकी तुम एक दिन फसाओगे हमे "

राज वीर " गजब के है आप "

जग जीवन " गजब नही बवाल है हम, अच्छा रात मे ड्यूटी है, उससे पहले सब लोग हर जगह घूम कर सब चिज पता लगा लेते है "

चारो साथ मे पुरा आर्मी कैम्प घुमते  है। आर्मी कैम्प मे एक नया नया छोटा सा बैंक खुला होता है,  और उस जमाने मे सब बैंक को देख बड़े खुश हो रहे थे (((पर इन्हे क्या पता था कि इसी बैंक से इनके पोते की लव लाइफ चालू होगी, और उसी की शादी मे ये इतने सालो बाद मिलेंगे😉))

रात मे चारो मुस्तैदी पर जाते है, और बौर्डर की निगरानी करने लगते है।

सभी रात की जमा देने वाली सर्दी मे बाहर मुस्तैदी कर रहे होते है। रात मे पसरी शान्ती, पूरी घाटी गहरी रात मे सोई होती है,बस जागे होते है तो "हमारे जवान "

राज वीर हर ओर निगरानी कर रहा होता है कि जंगलो की ओर से एक काली परछाई दिखती है , राज उसकी ओर बढता है।
राज के वहा जाते ही वो परछाई दूर जाने लगती है। राज उसका पीछा करता है ।  
राज " कौन है ? सामने आईये ।"

वो और दूर भागने लगता हैं। राज फुर्ती से भागता है और उसे पकड लेता है। दोनो मे झड़प चालू हो जाती है।
राज उसे तेज से पकड़ता है पर वो इन्सान राज से झड़प करने लगता है । 
राज उसके चेहरे का नकाब हटा देता है,और सामने उस इन्सान के चेहरे और सर से कपडा हटता है और उसके लम्बे बाल खुल जाते है। और वो राज की बाहो मे गिर जाती है।
--------- कभी अलविदा ना कहना----------
अब कौन है ये लड्की? हा पता है जासूसो वाले दिमाग आप लगा लिए होन्गे....... तो सोचते रहिये ये लडकी यहा क्यू, कब ,कैसे आई ? 

   15
7 Comments

Sachin dev

15-Apr-2022 03:06 PM

Very nice 👌

Reply

Rohan Nanda

22-Mar-2022 06:42 PM

🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔

Reply

Sandhya Prakash

22-Mar-2022 01:25 AM

Khoobsurat kHani likhi hai,

Reply