लश्कर
उनके साथ बिताए पलों को
भूल पाते नहीं है
बिछड़ गए हैं फिर भी
याद उनकी आ ही जाती है
जानती हूॅं वह साथ मेरे नहीं है फिर भी
उनकी यादों का लश्कर लेकर जी रहे हैं ।
उनकी बेवफाई का कहर
ढ़ोते जा रहे हैं
ऑंसूओं के सैलाब में
खुद को भिंगोते जा रहे है
उनकी चाहत सिर्फ मैं ही तो नहीं
उनकी चाहतों का लश्कर देख जो रहे हैं ।
हर ख्वाहिश मेरी उनसे ही
पूरे करने की आस किए जा रहे है
ख्वाबों का मंजर भी कह रहा
हर रात में वही तो है
अरमान भी पूरे हो उन्हीं से
दिल में ख्वाहिशों का लश्कर लेकर जो जी रहे हैं ।
तुमसे जुदा हो जाऊं
यह जिंदगी चाहती है
गमों को भी खुशियां
समझकर गले लगाऊं
किस्मत भी यही चाहती है
मेहरबानियो का लश्कर मुझसे कह रहे हैं ।
दिलों को जीतना
मेरी खास आदत है
लाख लश्कर आ जाए
मुझे झुकना नहीं है
किसी भी कीमत पर
टकराने की हिम्मत लिए जी रहे हैं ।
धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💓💞💗
# वार्षिक लेखन कविता प्रतियोगिता
Sobhna tiwari
29-Apr-2022 12:13 AM
👌👏🙏🏻
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Dr. Arpita Agrawal
01-Apr-2022 12:01 AM
अति सुंदर 👌👌
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Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 04:57 PM
बहुत खूबसूरत
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Gunjan Kamal
12-Mar-2022 07:31 PM
धन्यवाद मैम
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