Gunjan Kamal

लाइब्रेरी में जोड़ें

लश्कर

उनके साथ बिताए पलों को
भूल पाते नहीं है
बिछड़ गए हैं फिर भी
याद उनकी आ ही जाती है
जानती हूॅं वह साथ मेरे नहीं है फिर भी
उनकी यादों का लश्कर लेकर जी रहे हैं ।

उनकी बेवफाई का कहर
ढ़ोते  जा रहे हैं
ऑंसूओं के सैलाब में
खुद को भिंगोते जा रहे है
उनकी चाहत सिर्फ मैं ही तो नहीं
उनकी  चाहतों का लश्कर  देख जो रहे हैं ।

हर ख्वाहिश मेरी उनसे ही
पूरे करने की आस किए जा रहे है
ख्वाबों का मंजर भी कह रहा
हर रात में वही तो है
अरमान भी पूरे हो उन्हीं से
दिल में ख्वाहिशों का लश्कर लेकर जो जी रहे हैं ।

तुमसे जुदा हो जाऊं
यह जिंदगी  चाहती है
गमों को भी खुशियां
समझकर गले लगाऊं
किस्मत भी यही चाहती है
मेहरबानियो का लश्कर मुझसे कह रहे हैं ।

दिलों को जीतना
मेरी खास आदत है
लाख लश्कर आ जाए
मुझे झुकना नहीं है
किसी भी कीमत पर
टकराने की हिम्मत लिए जी रहे हैं ।

                                     धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

गुॅंजन कमल 💓💞💗


# वार्षिक लेखन कविता प्रतियोगिता

                                               

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4 Comments

Sobhna tiwari

29-Apr-2022 12:13 AM

👌👏🙏🏻

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Dr. Arpita Agrawal

01-Apr-2022 12:01 AM

अति सुंदर 👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

10-Mar-2022 04:57 PM

बहुत खूबसूरत

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Gunjan Kamal

12-Mar-2022 07:31 PM

धन्यवाद मैम

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