लाइब्रेरी में जोड़ें

माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 14)

अभी तक आपने पढ़ा कि सबके पूछने पर सभी दादा अपनी पुरानी कहानी बताने लगते है। 


राज दादा - आर्मी लव हमारी स्पाई स्टोरी। जिसमे थी एक दोस्ती , जांबाजी, प्यार , और देश पर मर मिटने का जज्बा। और थी परी...... परी शर्मा........

सुमेध - ये परी कौन थी दादू..... और नवी के दादू को खुदगर्ज क्यू बोले.. ? 

जग्गू दादा - इसके लिए पूरी कहानी सुननी होगी। नवनीत तुम अपने दादा के बारे में ज्यादा नही जानते..?

नवनीत - मै उन्हे नही देखा....

श्यामू दादा - तुम क्या तुम्हारे पापा भी उसे नही देखे होंगे.... आखिर हमसे दूर जो भाग गया साला। बहुत बुरा था बहुत ....... 

सुख विंदर दादा श्यामू दादा को संभालते है।

जग्गू दादा - पूरी कहानी मै बताता हु। बात है पचपन साल पहले कश्मीर सन 1966 की बात ।  जब 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद देश में बस हमारे जवानों के वीरता  की ही गूंज थी। सबके मन में उनके लिए एक अलग ही इज्जत का भाव आ गया था। और अधिकतर युवा आर्मी में जाने का ख्वाब बसाने लगे। और उन युवाओं में से चार हम लोग भी थे जो परीक्षा पास कर नए नए सेना में भर्ती हुए थे। जिन्हे ये नही पता था की चारो लोग जल्द ही मिलेंगे और जिगरी यार बन जायेंगे।  

श्यामू दादा - सब नये नये आर्मी मे भर्ती हुये थे, और सबको कश्मीर पहुचे। और वहां की बटालियन से मिले। और सबको पहले दिन एक हॉल मे बुलाया गया। 

1966 , कश्मीर का आर्मी कैम्प

सभी ओर जवानो मे एक अलग ही उत्साह उमंग था देश भक्ति को लेकर। पहले दिन सब अपना सामान लिये कागजी कार्यवाही कर रहे होते है कि एक आर्मी मैन आकर सबको कैम्प के बड़े वाले हॉल मे चलने को कहता है। सभी उस हॉल मे पहुचते है, तो वहां सेना के प्रमुख अधिकारी पहले से ही होते है। सभी एक साथ उन्हे सल्युट करते है और अधिकारी जवानो को। 
ब्रिगेडियर सर - जय हिन्द जवानो। यहां तुम लोग आने का सोचे तभी अपने सर पर कफन बान्ध लिये। अब न मरने का डर न जीने कि ख्वाहिश बस एक सपना देश को और देशवासियो को सुरक्षित रखना

" सर जीना भी कौन चाहता है हम तो देश पर मर मिटना चाहते है " , जवानो की भिड़ मे से एक लम्बा और गोरे रन्ग का हसमुख चेहरे वाला नौजवान लड़का बड़े गर्व से बोला।

सभी की नजर उस पर जाती है। 

ब्रिगेडियर सर - जानता हू जवानो बहुत जोश है पर ये जोश यहां नही जंग के मैदान में दिखाना। तुम सब नौजवानो के हिम्मत और साहस को देख तुम्हारा प्रमोशन होगा। तुम वक्त के साथ साथ कैप्टन, मेजर, और हो सकता है मेरी जगह भी आ जाए कोई। 

" हा मै बनूंगा ब्रिगेडियर "  , एक बहुत कम उम्र का लगभग 5 वर्ष का लड़का भिड़ से बोला।

उसके बगल मे खडा एक लगभग 24- 25 साल का लड़का उसका सर सहला - वाह तेरे बाल बड़े अच्छे है, और जोश और हिम्मत भी काफी अच्छा है। मै जगजीवन शर्मा फ्रॉम बनारस।  काफी दिनो तक दुसरे बटालियन मे काम करने के बाद चुना गया। पर छोटु इतनी कम उम्र मे बौर्डर पर आ गया?

भिड़ मे से वही पंजाबी लड़का चिल्लाकर - ये नाइंसाफ़ी है। इतने छोटे बच्चे को आर्मी मे ले लिया और मुझे कितना मेहनत करना पडा कश्मीर बटालियन मे आने के लिये?

ब्रिगेडियर सर - ये किसका बच्चा है?

वो बच्चा हँसते हुये- मै तेज प्रताप खुराना। यहां के बवर्ची का बेटा 

तभी आर्मी कैम्प का बावर्ची भागते हुये आता है और तेज को अपने साथ ले जाने लगता है।

ब्रिगेडियर सर - नियम कायदे कानून होते है कि नही इस कैम्प मे? 

वो बावर्ची- सॉरी सर। मेरा बेटा मेरे साथ ही रहता है क्युकी इसकी मा अब इस दुनिया मे नही। शायद खेलते हुये गलती से यहां आ गया।

और वो बावर्ची उस छोटे बच्चे को लेकर चला जाता है।

ब्रिगेडियर सर - आप सब जवानो को अलग अलग रेजिमेंट से चुन कर यहा लाने मा बस यही मकसद है कि आप इस कश्मीर को और यहां के लोगो को महफ़ूज रखे। और ये देश का मेन बॉर्डर है तो यहां से आप पुरे भारत को महफ़ूज रखेंगे। अब आप लोग अपने अपने कमरे मे जाईये और सबसे मिलिये। 

सभी सामान लिये कमरे की ओर बढते है। जगजीवन कमरे मे जाता है तो वहां दो लोग गप्पे लड़ा रहे होते है।

उसमे से एक- कब आयेंगे? कब आयेंगे? जल्दी आये। मुझे खुजली हो रही।
जगजीवन- तो डॉक्टर का वेट कर रहे। आर्मी कैम्प मे मिल जायेंगे हर बिमारी को ठीक करने वाले डॉक्टर , पर तुम्हे खुजली की बिमारी है तो लिया कैसे फौज मे?

तभी दुसरा लड़का- हा मनविंदर जी आपको लिया कैसे? अभी आप मिले तो पुरा परिचय बताये पर ये खुजली की बिमारी की बात नही बताये।

मनविंदर- ओय खोतिया तैनू मै खुजली दा पेसेंत लग्या सी? मैनू आतंकवादी को मारने दी खुजली मची है यारा। और जब वो आयेंगे इस मनविंदर सिंह से नही बचेंगे । 

जगजीवन - ओह वैसे मै जगजीवन आप लोगो का रुम मेट।

दुसरा लड़का- मै श्याम मोहन तिवारी प्रयाग राज से।

मनविंदर- मै मनविंदर सिंह पंजाब से। जग्गू  तू किधर से?

जगजीवन - कौन जग्गू?

मनविंदर- तू,,जगजीवन का जग्गू। श्याम का श्यामू। मनविंदर का मन्नू। 

जगजीवन - मै बनारस से। हर हर महादेव। श्याम तुम तो बगल के ही निकले प्रयागराज से। हमारी तो खुब जमेगी।

मनविंदर- तो मेरा की? मै दुशमन हू क्या?

श्याम मोहन - नही नही हम सब भारत वासी परिवार ही तो है। रन्ग रुप बोली पहनावा अलग हैं पर दिल तो है हिन्दुस्तानी।

मनविंदर- तो हम तिन लोग ही रहेंगे क्या? 

जगजीवन - जगह तो चार लोगो की है ।  

श्याम मोहन- चलो अगर होता तो आ जाता शायद हम तिन ही रहेंगे अच्छा है। 

तीनो अपना सामान रख कर कमरा सही करते है। 

शाम का वक्त करीब चार बजे , सभी शाम के नास्ते के लिये हॉल मे आते है। तीनो मजे से खा रहे होते है कि वो छोटा बच्चा तेज आता है

"जवानो, तुम लोग खा रहे देखो वो जवान मेहनत कर रहा " , वो बच्चा दोनो हाथ कमर पर रख बोलता है।

जगजीवन - कौन? 

मनविंदर - ए तीन फुटिया ऐसे घूमता रह्ता है कैम्प मे डांट पड़ेगी।

तेज - मै तो ब्रिगेडियर बन सबको डाट लगाऊंगा। आपके बेटे को पोते को भी डांट लगाऊंगा 

मनविंदर- ज्यादा नही सोच लिया? अच्छा कौन मेहनत कर रहा?

तेज - देखो सभी जवान खिडकी से देख रहे उसे।

तीनो लोग खिडकी से ग्राउंड की ओर देखते है तो ब्रिगेडियर सर जोरो से गिनती गिन रहे थे " दो सौ चौवन, दो सौ छप्पन"

तेज चिल्लकर- पचपन भुल गये

श्याम मोहन उस बच्चे को अपने पीछे छुपाकर - चुप 

सभी ग्राउंड मे देखते है तो एक लम्बा चौडा लड़का करीब छह फूट दो या तीन इन्च का सुन्दर नैन नक्ष वाला ग्राउंड के चक्कर लगा रहा था। 

एक जवान - सच मे कड़ी सजा मिलती है गलती करने पर यहां तो। 

जगजीवन- क्या किया है ? 

श्याम सुन्दर- हा भई ऐसा क्या कर दिया ये जवान आते ही कि ब्रिगेडियर सर सजा दे रहे?

" तो क्या किया था वो लड़का और कौन था?", प्रविष्ठ उत्सुकता मे बोला।

जग्गू दादा- रात काफी हो गयी बाकी की कहानी बाद मे। जाओ सो जाओ सब। देखो राज कब का चला गया

श्याम दादा- हा हम भी अपने यार के पास जा रहे। बस एक बात याद रखना मेरे राजू को कभी गलत मत समझना। और जब तक हम पूरी कहानी नही बता लेते नवनीत अगर थोडा बहुत भी जानते हो अपने दादा के बारे मे बस उनका जिक्र मत करना  ।

नवनीत - जी। वैसे भी मुझे उन्के नाम के आलावा और कुछ नही पता उनके बारे मे। 

सुखवींदर- वो तो तेरे पापा को भी नही पता। क्युकी कोई जिक्र नही करता। धीरे-धीरे सब राज खुल जायेंगे। बस कहानी जब तक पूरी नही हो जाती सब्र बनाये रखो और कभी दोस्ती मत तोड़ना अपनी किसी भी वजह से।

सुमेध - नही टूटेगी ये दोस्ती, चाहे कुछ भी अड़चन आये

चारो लोग एक दुसरे का हाथ पकड लेते है। 
सभी अपने अपने रुम मे चले जाते है। स्नेहल सुमेध के पास आती है ।
स्नेहल - सॉरी सुमेध जी मै बस डर गयी थी इसिलिए चिल्लाई मेरा कोई गलत मतलब नही था आपके दादू को मै गलत नही बोली।

सुमेध- जानता हू लोगो का काम होता है बिना सच्चाई जाने कुछ भी कहने लगते है जैसे सब दादू को बोलने लगे। पर मुझे पता है कि मेरे राज दादू से अच्छा इन्सान कोई नही। मै बचपन से ऊनके जैसा बनना चाहता हू। एक वक्त ऐसा था जब कोई मेरा भरोसा नही किया पर मेरे दादू ही थे जो समझे मुझे और विदेश भेज दिये।

स्नेहल- कैसा वक्त? क्या हुआ था?

सुमेध- कुछ नही, जाओ आराम करो। 

सभी सोने चले जाते है। आलोक रात मे आसमान के तारो को देख रहा होता है आसमान मे ढ़ेरो तारे होते है ( जैसा कि इस वक्त मेरे आसमान मे है)
आलोक  - 
कभी सोचा नही था मिल पाऊंगा तुमसे।
दिल के राज खोल पाऊंगा सबसे,
मेरी खमोशियो से जान लेना जज्बात मेरे
जो खुद से बोला नही वो भी कहूंगा तुमसे।।

स्नेहल ताली बजाते हुये आलोक के पास आती है ।

आलोक - स्नेहल तुम?इतनी रात को?

स्नेहल- क्यू दोस्तो से मिलने के लिये टाईम देखना होता है क्या? 

आलोक हँसते हुए - नही तो कुछ काम था?

स्नेहल- कुछ काम से मिलते है क्या दोस्त से? 

आलोक - खुद गिड़ती पडती और फसती रह्ती हो पर आज मुझे फसा रही? 

स्नेहल- आलोक, तुम बहुत प्यार करते हो न उस अन्जानी लड्की से? 

आलोक - हू

स्नेहल- तो आज जब सब बाते कर रहे थे तो मैने गौर किया  प्राजू को जब तुम देख रहे थे तुम्हारी आंखो मे प्यार था। क्या बात है आलोक जी ?

आलोक - ये बात हम चारो यार के आलावा और किसी से नही पता । तुम ये बात किसी को मत बताना दरहसल प्राजिका ही मेरी अन्जानी लड़की है , और सुमेध तो उसका रिश्ता मेरे लिये लाया था

स्नेहल खुश होकर- क्या

आलोक - लेकिन मै रिश्ता ठुकरा दिया।

स्नेहल हैरान होकर- क्या?

आलोक - अब सुमेध गुस्सा है की तब तो मना किया अब मेरी बहन के पीछे पड़ा है। क्या करू??

स्नेहल- बड़ी दिक्कत हो गयी ये तो। सुमेध जी से बात करू कि मिलाए तुम दोनो को?

आलोक- अच्छा प्राजिका के मामले मे न तो वो मेरा यार न तो तुम्हारा प्यार। बस एक खडूस पगलैठ भाई है । 

" अच्छा, हा बोलने आ रहा था ये पगलैठ भाई लेकिन अब नही बोलूंगा, जा अकेले ही मर" 

दोनो मुड़ते है तो सुमेध आलोक को घुर रहा था।

सुमेध - स्नेहल रुम से जाओ

स्नेहल- आप मुझे खुद से दूर कर रहे? मै आलोक को जानती भी नही।

आलोक - अरे प्यार के आगे यार को भुल गयी? एक दिन मेरा भी काम लगेगा तुम्हे तब देखना क्या करता हू।

सुमेध - आज रात यही रुकना है? एक ही बेड है स्नेहल ।  तो.....सोना सही होगा क्या मेरे साथ? वैसे भी आज आलोक से बाते होंगी।

स्नेहल भागते हुए- ओह मै समझ गयी जाती हू। 

आलोक - मुझे भी ले चलो स्नेहल यहां बाते नही मुक्का लाते होन्गी।

तभी नवनीत आते हुए- आज तो मजा आयेगा। ले प्रविष्ठ पॉप कॉर्न 

प्रविष्ठ- नही मै सेब खाता हू।

नवनीत गुस्से मे- सेब? आज तो बाल नोच लुंगा तेरे

प्रविष्ठ- नही भईया तेरे ससुर जैसा गंजा नही होना मुझे। 

नवनीत प्रविष्ठ का बाल पकड- ससुर किसे बोला?? 

प्रविष्ठ- ब्रिगेडीयर तेज प्रताप खुराना तेरे होने वाले ससुर जी

नवनीत - आज तो तू गया प्रविष्ठ 
और चारो एक दुसरे को खुद पीटते है। टेप रिकॉर्डर मे तेज वोल्यूम मे गाना चालू कर चारो एक दुसरे को पिटने लगते है।
और मार पिट कर साथ मे सो भी जाते है।

अगली सुबह प्रविष्ठ और आलोक अपनी कमर पकडे खडे होते है।
आलोक- शर्म नही आई मारते हुए

सुमेध- और तुम लोग तो जैसे पिटे नही मुझे??

प्रविष्ठ- चल भाई निचे चलते है जग्गू दादा बुलाये है कुछ कहना है। तीनो नवनीत को जगाते है पर वो सोया ही रह्ता है
नवनीत बेड पर लेटा होता है और जैसे ही आंखे खोलता है  सामने ऐसा कुछ देखता है कि डर जाता है।

**** अब ग्राउंड वाला लड़का कौन था सबको कुछ हद तक पता चल ही गया होगा। पर नवनीत जैसा लड़का किसी से डर गया?? अगले भाग मे और राज खोलूंगी और धीरे धीरे चारो दादा की स्पाई स्टोरी भी सुनाऊंगी।

   15
4 Comments

Sachin dev

15-Apr-2022 03:06 PM

Very nice 👌

Reply

The traveller

09-Mar-2022 06:02 PM

बहुत खूब कहानी

Reply

Marium

09-Mar-2022 01:16 AM

Nice

Reply