Simran Ansari

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Exposed part : 10

अपने बॉस का इशारा समझ कर, वह आदमी बाहर जाते हुए उन चारों में से, सब से पीछे रह गई मीरा को पकड़ लेता है और गन उस के सर के पास पॉइंट करता है।


मीरा को ऐसे पकड़ा हुआ देख कर बाकी तीनों अवनी, रोहित और विशाल भी दरवाजे से बाहर नहीं जा पाते और वहीं रुक जाते हैं।

रुक कर वह सब तुरंत ही पीछे मुड़ते हैं और जब तक दरवाजे के बाहर खड़े बाकी गुंडे भी कमरे के अंदर आ जाते हैं और बाकी तीनों को भी पकड़ लेते हैं।

यह सब देख कर रोहित कहता है - "यह सब क्या कर रहे हो? रंजीत! अभी तो तुमने कहा कि हम लोग जा सकते हैं तो फिर अब यह सब क्यों?"

रोहित की यह बात सुन कर रंजीत हंसते हुए कहता है - "हां, तो जाओ ना; मैंने कब मना किया है? दरवाजा खोला तो था, तुम खुद ही शायद जाना नहीं चाहते, नहीं तो चले जाते।"

"हम सब जा ही रहे थे, तूने मीरा को क्यों पकड़ा?" - विशाल गुस्से में उन लोगों से छूटने की कोशिश करते हुए बोलता है।।।

"बस सच जानने के लिए, अब साफ-साफ बताओ तुम लोग कितना और क्या जानते हो? उस दिन क्या देखा था तुम लोगों ने; नहीं तो इस लड़की का भेजा उड़ा दिया जाएगा" - इस बार रंजीत सीरियस होकर गुस्से में कहता है.....

अपनी बहन को बंदूक के निशाने पर देख कर अवनी अब चुप नहीं रह पाती और वह बोल पड़ती है - "उसे छोड़ दो, मैं तुम्हें सब सच बता दूंगी।"

इस पर रोहित अवनी से कहता है - "चुप रहो अवनी! क्या कह रही हो यह....."

"आई एम सो सॉरी रोहित! आई लव यू सो मच, लेकिन मैं अपनी बहन से भी बहुत प्यार करती हूं और उसे कुछ होने नहीं दे सकती" - अवनी उदास नज़रों से रोहित की तरफ देख कर कहती हैं.....

इस पर मीरा चिल्ला कर उन दोनों से कहती है - "डोंट वरी अबाउट मी; आप लोग मेरी फिकर मत करिए, इसे कुछ मत बताना...."

इस पर उस का बॉडीगार्ड मीरा के सिर पर गन के पिछले हिस्से से वार करता है और उस से कहता है - "चुप कर लड़की..." गन के वार से मीरा बेहोश हो जाती है उसे बेहोश देख कर विशाल चिल्ला कर कहता है - "छोड़ दो उसे, उसे क्यों मारा? यू बस्टर्ड!"

रंजीत अवनी की तरफ देख कर बोलता है - "अच्छा तो वह तुम हो, जो उस दिन सबसे पहले जागी थी और तुमने ही हमारी हथियारों की डील होती भी देखा होगा।"

इस पर अवनी कहती है - "हां, मैं ही हूं मैंने ही देखा था और किसी ने नहीं, तो बाकी सब को छोड़ दो और मेरी बहन तो, उस दिन हमारे साथी भी नहीं इसे कुछ नहीं पता जाने दो इसे।"

इस पर रंजीत कहता है - "हां, तुम सही कह रही हो यह लड़की शायद नहीं थी उस दिन; लेकिन और दो लोग थे अब वह दोनों कहां है? बताओ मुझे और उन दोनों को क्या क्या पता है?"

रोहित बात संभालते हुए बीच में बोल पड़ता है - "नहीं और कोई भी नहीं था हमारे साथ, हम तीनों ही ने देखा था सिर्फ और हम किसी को कुछ भी नहीं बताएंगे रंजीत! हमारा विश्वास करो, हम सब को यहां से जाने दो।"

"बिल्कुल भी नहीं, तुम में से कोई भी यहां से बच कर बाहर नहीं जा पाएगा; जिंदा तो बिल्कुल भी नहीं, लेकिन पहले यह बताओ वह दो लोग कहां हैं? जो तुम्हारे साथ हैं कबीर और उसकी बीवी रागिनी..... यही थे ना वह 2 लोग!" - रंजीत कुटिलता से मुस्कुराते हुए रोहित की तरफ देख कर कहता है।

रंजीत की यह बात सुन कर विशाल और रोहित हैरानी से उस की तरफ देखने लगते हैं , इस पर रंजीत उन की शक्ल देख कर कहता है - "ओह! कम ऑन रोहित, इतने भी शाॅक्ड मत हो; वैसे भी मैं तुम्हारा बिजनेस पार्टनर हूं और कबीर का भी, तो तुमने यह कैसे सोचा कि मुझे कुछ पता नहीं होगा।"

"अच्छा चलो, अब अच्छे बच्चों की तरह जल्दी से बता दो कि कहां है? वह दोनों" - इतना कह कर वह गन अवनी की तरफ ट्रिगर कर देता है...

      "मुझे नहीं पता, मुझे सच में नहीं पता कि कबीर कहां है?" - रोहित जल्दबाजी में अवनी को बचाने के लिए बोल देता है।

"ओह! रोहित, लगता है तुम अपनी बीवी से प्यार नहीं करते या शायद अपने दोस्त कबीर से कुछ ज्यादा ही प्यार करते हो; उसे बचाने के लिए तुम्हें अपनी पत्नी या भाई की जान की परवाह ही नहीं है, ओके तो बस यह बताओ पहले किसे मारू? तुम्हें या तुम्हारी पत्नी या तुम्हारे भाई को।"

"ठीक है तुम लोगों की मौत के बाद तो मैं उन दोनों को ढूंढ लूंगा और इतना कह कर रंजीत अवनी की तरफ की हुई गन को रोहित की तरफ कर देता है और उस को चलाने के लिए लोड करता है और जैसे ही ट्रिगर दबाने वाला होता है, वैसे ही उस के हाथ पर एक गोली आ कर लगती है और गन उस के हाथ से छूटकर दूर गिर जाती है।

किसी को समझ नहीं आता कि वहां क्या हुआ? तभी विशाल की नजर दरवाजे पर पड़ती है, जहां कबीर पुलिस फोर्स के साथ कमरे के दरवाजे पर खड़ा है और पुलिस इंस्पेक्टर ने ही रंजीत के हाथ पर गोली चलाई होती है।

कबीर और पुलिस को देख कर वह सब चैन की सांस लेते हैं; तभी पुलिस इंस्पेक्टर अपने कॉन्स्टेबल को आर्डर देते हैं पकड़ लो इन सब को, कोई एक भी बच कर भागने ना पाए।

जिस गुंडे ने बेहोश मीरा को पकड़ा हुआ होता है, वह भी उसे ऐसे ही छोड़ कर भागने लगता है; पुलिस को देख कर तभी विशाल दौड़ कर मीरा को पकड़ लेता है और उसे होश में लाने की भी कोशिश करता है।

जैसे ही पुलिस वाले सारे गुंडों और रंजीत और उस के आदमियों को पकड़ने आते हैं वह लोग इधर-उधर भागने लगते हैं; लेकिन वह सभी पकड़ जाते हैं और तभी रंजीत बोलता है - इंस्पेक्टर साहब! आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई है, मैं एक इज्जतदार बिजनेसमैन हूं मैंने कुछ नहीं किया।"

तभी अचानक मीरा होश में आ जाती है और अपना मोबाइल फोन पुलिस इंस्पेक्टर को देते हुए बोलती है - "यह देखिए इंस्पेक्टर सर! इस में इस रंजीत के खिलाफ सारे सबूत रिकॉर्ड है यह अवैध हथियारों की स्मगलिंग करता है, अपने बिजनेस की आड़ में और वह हथियार ऊंचे दाम पर आतंकवादियों को भी बेचता है।"

तभी कबीर बीच में बोल पड़ता है - "और यहां के कैमरों में भी इस के सारे काले कारनामे रिकॉर्ड है इंस्पेक्टर साहब! आप चाहे तो चेक कर सकते हैं।"

तभी रोहित बोल पड़ता है - "सिर्फ इतना ही नहीं; हम लोगों को जब इस का राज पता चल गया, तो उस के बाद से इस ने हम पांचों को इसी क्लब के बेसमेंट में किडनैप करके भी रखा था और अभी हम सब को मारने की भी कोशिश की है यह सब चार्जेस भी इस पर ही लगने चाहिए।"

"यस मिस्टर रोहित! मिस्टर कबीर! हमें इस क्लब पर पहले से ही डाउट था कि यहां पर कोई ना कोई इल्लीगल काम जरूर होता है, लेकिन यह नहीं पता चल पा रहा था कि इस के पीछे कौन है? आप लोगों ने इतने बड़े गैंग का पर्दाफाश करके कानून की बहुत बड़ी मदद की है, मैं आप लोगों से वादा करता हूं कि इस पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा; थैंक यू सो मच।"

रंजीत फिर से बीच में बोल पड़ता है - "नहीं, मैंने कुछ नहीं किया; मैं निर्दोष हूं..."

इंस्पेक्टर रंजीत के हाथों में हथकड़ी पहनाते हुए कहते हैं - "हां, वह सब अब कोर्ट तय करेगा, चलिए आप रंजीत साहब..."

रोहित कबीर और विशाल को घूरता हुआ रंजीत पुलिस इंस्पेक्टर के साथ उनकी जीप में बैठ कर वहां से चला जाता है और वह पांचों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देते हैं।

तभी रोहित कबीर की तरफ देख कर कहता है - "थैंक यू सो मच यार! अगर तू टाइम पर नहीं आता, तो मैं तो गया था काम से....."

इस पर कबीर बोल पड़ता है - "अरे! ऐसे कैसे टाइम पर नहीं आता, आखिर मेरे बेस्ट फ्रेंड की लाइफ का सवाल था, वैसे तेरा यह बर्थडे हम सब को पूरी जिंदगी याद रहेगा।"

कबीर की यह बात सुन कर मीरा, विशाल, अवनी और रोहित चारों हंस पड़ते हैं।

अवनी उन सब से पूछती है - "अच्छा यह तो बताओ कि रागिनी कहां है? क्या वह ठीक है?"

उसकी यह बात सुन कर मीरा बोलती है - "हां दी, रागिनी दी, बिल्कुल ठीक है और मेरे फ्लैट पर है चलो हम सब भी वहीं चलते हैं।"

"हां चलो, बाकी चारों भी एक साथ बोलते हैं और रोहित कबीर, अवनी आगे निकल जाते हैं तभी विशाल अपनी जेब से रूमाल निकाल कर मीरा के माथे का खून पोछते हुए उस से पूछता है - "ठीक हो ना तुम? दर्द तो नहीं हो रहा ज्यादा।"

इस पर मीरा विशाल की तरफ देखती है और उस से बोलती है - "आई लाइक यू टू।"

"क्या... क्या बोला तूने? मैंने सुना नहीं, विशाल मुस्कुरा कर मीरा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोलता है।

मीरा कहती है - "क्या सुना तुमने..... मैंने कहा चलो नहीं तो हम यहीं रह जाएंगे..." इतना कह कर मीरा हंसते हुए वहां से बाहर की तरफ जाने लगती है और विशाल उसे आवाज दे कर कहता है - "अच्छा रुको! मैं भी आ रहा हूं।"



समाप्त।।।
मौलिक एवं स्वरचित कहानी
सर्वाधिकार सुरक्षित

Simrana


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14 Comments

Fauzi kashaf

02-Dec-2021 11:46 AM

Zaifi khan

30-Nov-2021 07:30 PM

Excellent story

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Ammar khan

30-Nov-2021 12:24 PM

Good

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