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लघुनाटिका ःकोरोना और जानवर

विधाः कहानी
विषय ःओपन
लघु नाटिका (एक दृश्य वाली)

शीर्षक ः कोरोना और जानवर

पात्रः 
1-रिम्मी बिल्ली
2-टिम्मी बिल्ली
3-पीपू बंदर
4-पीपल का 
5-डेंगू मच्छर

लॉकडाउन है तो चारों ओर बहुत ही कठोर पहरा है।
पुलिस वाले सबपर नजर रखे है।सभी सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।

रिम्मी बिल्ली--(टिम्मी से ) बहन,आज बहुत ही सुस्त लग रही हो।

टिम्मी बिल्ली--हाँ, सही कहा।मालकिन आज काम पर नहीं गई न तो मुझे रसोई में जाने का मौका ही नहीं मिला।नहीं तो मेरी तो मौज ही रहती थी।

रिम्मी--हा..हा..!,तो यह वजह है बहन के सुस्त लगने के।चलो थोड़ा आगे चलते हैं।सुना है कि वहां पर लंगर बंट रहा है।

टिम्मी--हाँ बहन,चलो।मुझे तो आज बहुत ही भूख लग रही है।

रिम्मी--इसलिए कहती हूँ कि दूसरों का मत खाया करो।अपनी मेहनत करो और फिर फल खाओ।

( थोड़ी दूर पर)
टिम्मी--हाँ, यहां तो सचमुच लंगर बंट रहा है।
रिम्मी--चलो उधर किनारे चलते हैं कोई अपना बचा हुआ फेंकेगा तो हमें मिल जाएगा।

( एक व्यक्ति जो लंगर बांट रहा था दोनों बिल्लियों को देखकर एक दोने में खीर और पूरी निकाल कर उन्हें दे देता है।)

दोनों बिल्लियाँ भरपेट खाकर  पीपल के पेड़ के नीचे आकर बैठ जातीं हैं।

पीपल के पेड़ से पीपू बंदर नीचे उतर आता है।एक डेंगू का मच्छर भी उड़ता हुआ वहाँ पहुंच जाता है।

डेंगू का मच्छर--भिन्न...!,तुमलोगों को पता भी है कि मुझसे भी खतरनाक एक वायरस भारत आ पहुंचा है.. उसका नाम है कोरोना।..कमबख्त..!,मेरा भाव घटा दिया।
अब लोग मुझसे डर ही नहीं रहे!

पीपू बंदर--हाँ, मैंने सुना है।तुम इतना क्यों इतरा कर बोल रहे?तुम तो गंदगी के परिणाम हो।गंदे पानी, नाले या खुले रखे पानी में जन्म जाते हो?

डेंगू मच्छर--हाँ.. हाँ, पता है।पर आलसी मनुष्यों के कारण ही तो मैं फलफूल रहा था न..लेकिन यह कोरोना.. तो..( गुस्से से भिनभिनाने लगता है।)

रिम्मी बिल्ली--कोरोना का कोई कारण ही नहीं है कि कैसे यह पैदा हुआ..कहाँ से आया?

टिम्मी बिल्ली--सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया है ताकि यह बहुत तेजी से नहीं फैले।

रिम्मी बिल्ली--पता नहीं यह बीमारी कब खत्म होगी।ऐसे में तो हम कहाँ छुपते फिरेंगे?

पीपल का पेड़--ठंडी आह भरते हुए--पहले मेरे कई भाई बहने हुआ करती थीं।देखो इंसान ने कितना दुरुपयोग किया है वनसंपदाओं का।आज हवाओं में जिंदा जहर घुस आया..!
अगर जो अब भी नहीं सुधरेगा मनुष्य तो पता नहीं इस धरती को कौन बचाएगा?

टिम्मी बिल्ली--कोई नहीं दादा।हम तो रहेंगे न।

पीपल--हा..हा...!,सही प्यारी बिल्ली।लेकिन मनुष्य नहीं रहेंगे तो हम या तुम कैसे रहेंगे।हमारा भी तो अस्तित्व उनके ही बदौलत है ना।

पीपू बंदर--आखिर मेरे ही तो बच्चे हैं न।उजाड़ने के बाद बसाएंगे भी खुद ।

बस पीपल दादा तुम अपनी शीतल हवा बिखेरने मत भूलना।वो सब तो नादान बच्चे हैं।उनकी भूल को क्षमा करना हमारा फर्ज है।

पीपल--हाँ...(ठंडी साँस भरते हुए )...मैं भी उसी दिन के इंतजार में हूँ.. जागो...मोहन प्यारे...!!

***
सीमा ✍️🌹
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7 Comments

madhura

02-Feb-2025 09:57 AM

v nice

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shweta soni

16-Jul-2022 11:04 PM

Bahot badiya

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Punam verma

02-Apr-2022 08:32 AM

Nice

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