Simran Ansari

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Exposed part : 9



उस आदमी को कमरे के दरवाजे से दूर जाता देख कर मौका पा कर तुरंत ही रोहित उस कमरे के अंदर चला जाता है और दरवाजा बाहर से ही बंद रहता है तो वह रोहित के खुलने से आसानी से खुल भी जाता है।

 रोहित कमरे के अंदर जा कर दरवाजे को अंदर से बंद कर लेता है जिसvसे कि बाहर खड़े आदमियों को शक ना हो की कोई उस कमरे के अंदर गया है।

अंदर पहुंच कर वह देखता है कि उस कमरे में काफी अंधेरा है, तो वह लाइट के स्विच ढूंढने लगता है तभी उसे लाइट के स्विच मिल जाते हैं और वह जैसे ही लाइट ऑन करता है; उससे वहीं पर एक कुर्सी में बंधी हुई बेहोश अवनी दिखाई देती है, रोहित जल्दी से अवनी के पास पहुंचता है और उसे होश में लाने की कोशिश करता है लेकिन इस से पहले कि वह होश में आए वह उस के रस्सी से बंधे हाथ और पैरों को खोल देता है।

अवनी अभी भी बेहोश है, रोहित इधर उधर पानी या कुछ ढूंढने लगता है जिस से अवनी के चेहरे पर डाल कर वह उसे होश में ला सके; तभी उसे एक तरफ पड़ी हुई आधी खाली बोतल दिखाई देती है, वह जल्दी से उस बोतल को उठा लाता है और अवनी के मुंह पर पानी की छींटे डाल कर उसे होश में लाने की कोशिश करता है, तभी धीरे-धीरे अवनी को होश आने लगता है।

"अवनी... अवनी... उठो अवनी; होश में आओ, देखो मैं तुम्हें यहां से छुड़ाने आया हूं!" - रोहित अवनी को होश में लाने की कोशिश करते हुए बोलता है।

"हां... रोहित, क्या यह तुम हो?" - अवनी अपनी आंखें खोलती हुई, रोहित की तरफ देख कर पूछती है।

"हां, मैं हूं अवनी;" - रोहित उसे संभाल कर उठा कर बैठाते हुए कहता है

अवनी जैसे ही होश में आती है; वह रोहित के गले से लग जाती हैं और रोने लगती है और उसी तरह से रोते हुए बोलती है - "कहां चले गए थे तुम? रोहित! मुझे यहां इन लोगों के बीच अकेला छोड़ कर; वह शिकायती लहजे में रोहित से कहती हैं...

इस पर रोहित उसके आंसू पोंछते हुए बोलता है - "कहीं भी तो नहीं, मैं भला कहां जाऊंगा तुम्हारे बिना; देखो आ गया ना तुम्हें अपने साथ ले जाने....."

इस बात पर अवनी भी हल्का सा मुस्कुरा देती हैं.... लेकिन फिर कुछ सोचते हुए रोहित से बोलती है - "लेकिन हम दोनों यहां से बाहर कैसे निकलेंगे?"

उधर मीरा, विशाल और कबीर तीनों ही इस बात से अनजान थे कि रोहित को अवनी मिल चुकी है; वह तीनों इधर अपने दूसरे प्लान को अंजाम देने में लगे थे, तभी कबीर उन दोनों से यह कह कर वहां से चला जाता है - "तुम दोनों उधर की तरफ जा कर छुप जाओ और मैं कुछ देर में वहीं आ कर तुम दोनों से मिलता हूं और हां, मीरा! तुम एक बार रोहित के पास कॉल भी कर लो और पूछो कि वह कहां है?"

"ठीक है" - मीरा और विशाल एक साथ बोलते हैं।

उन दोनों को ही इतना समझा कर कबीर वहां से अकेले ही दूसरी तरफ चला जाता है और वहां से वह सिस्टम रूम में चला जाता है; जहां से पूरे क्लब , पार्टी हॉल और सारे कमरे के कैमरा रिकॉर्ड होते थे और वहां के सिस्टम पर दिखते थे। उस कमरे में सिर्फ एक ही आदमी बैठा हुआ था , जिस के सिर पर कोई भारी चीज मार कर कबीर उस आदमी को बेहोश कर देता है और सारे कैमरे में रिकॉर्डर भी ऑन कर देता है।

मीरा अपना मोबाइल फोन निकाल कर रोहित को कॉल करने लगती है, तभी विशाल मीरा का हाथ पकड़ कर उस से कहता है - "आई लाइक यू मीरा! मुझे नहीं पता तुम मेरे बारे में क्या फील करती हो और मुझे अभी जवाब जानना भी नहीं है; मुझे बस तुम्हें बताना था तो बता दिया" और इतना बोल कर विशाल बिल्कुल चुप हो जाता है।

उसकी बात सुन कर मीरा भी बिल्कुल शाॅक्ड हो जाती है और कुछ भी नहीं बोलती, उस के बाद मोबाइल निकाल कर कॉल करने लग जाती है।

उधर कमरे के अंदर फंसे हुए रोहित और अवनी भी यही सोच रहे होते हैं कि वो दोनों वहां से बाहर कैसे निकले?" रोहित कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खोल कर बाहर देखता है तो वह देखता है कि उन दोनों में से एक आदमी अभी भी कमरे के बाहर ही है; यह देख कर वह तुरंत ही दरवाजा फिर से बंद कर लेता है और अवनी उस से पूछती है - "अब हम क्या करेंगे हम रोहित?"

तभी रोहित के मोबाइल पर कॉल बेल रिंग होती है, मोबाइल रिंग होने से ही उसे ध्यान आता है और वह अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर देखता है तो उस में मीरा का कॉल आ रहा होता है और वह जल्दी से कॉल रिसीव कर लेता है।

रोहित - "हेलो ! मीरा"

मीरा - "आप कहां हैं जीजू?"

फिर रोहित उससे कहता है - "मीरा! मेरी बात ध्यान से सुनना..."

मीरा - "हां , बोलिए मैं सुन रही हूं।"

रोहित - "मैंने अवनी को ढूंढ लिया है, मैं और अवनी कॉरीडोर के लास्ट में बने एक रूम के अंदर फंसे हुए हैं; तुम लोग कैसे भी कर के यहां आओ और बाहर खड़े गार्ड का ध्यान भटकाओ, जिस से कि हम दोनों यहां से निकल पाएं।

मीरा - "ओके, मैं समझ गई।" कह कर कॉल कट कर देती है और विशाल को रोहित से हुई सारी बातचीत बताती है।

उस की बात सुनकर विशाल कहता है चलो फिर हम यहां क्यों रुके हैं?"

 "हां, ठीक है, चलो" - मीरा भी जवाब देती है।।

वहां जा कर कमरे के बाहर ही गार्ड को खड़ा देख कर विशाल और मीरा को समझ में नहीं आता कि वह दोनों उसे वहां से कैसे हटाएं? तो उस के करीब जाकर मीरा उस के सिर पर एक गुलदस्ता मार देती है और गुलदस्ता सिर पर टूटते ही वह आदमी बेहोश हो कर वहां कमरे के बाहर ही गिर जाता है।

इस पर विशाल हैरानी से मीरा की तरफ देखते हुए कहता है - वाह यार! सही हो तुम तो, वैसे मार तो नहीं डाला इसे...."

"अरे नहीं, सिर्फ बेहोश किया है और इस से पहले कोई और यहां आ जाए जल्दी से रूम खोलो" - मीरा विशाल से कहती है

इस पर विशाल रूम नाॅक करता है और धीमी आवाज में बोलता है रोहित भैया आप अंदर है क्या मैं विशाल दरवाजा खोलिए और बाहर आइए जल्दी.....

विशाल की आवाज सुन कर रोहित और अवनी जल्दी से रूम का दरवाजा खोल कर बाहर आ जाते हैं, इतने में दूसरा आदमी जो दरवाजे पर खड़ा था; वह भी वहां पर आ जाता है और उन चारों को दरवाजे से बाहर निकलता देख कर चिल्लाता है - "रूको तुम लोग....."

उस आदमी को देख कर रोहित, अवनी और विशाल, मीरा चारों वहां से तेजी से भागने लगते हैं; तभी वह आदमी आवाज दे कर अपने बाकी आदमियों को भी वही बुला लेता है और वह सभी उन का पीछा करने लगते हैं तभी वह लोग भागते भागते एक रूम में पहुंच जाते हैं, जहां पहले से ही 3 लोग रहते हैं।

रूम के अंदर का नजारा देखकर रोहित समझ जाता है कि वह सब एक मुसीबत से निकल कर दूसरी में फंस गए हैं, फिर भी वह समझदारी से काम लेता है।।

रोहित और उस के साथी जैसे ही कमरे में पहुंचते हैं; उन तीनों आदमियों में से एक आदमी जल्दी से दरवाजा बंद कर देता है और बोलता है - "आखिर फंस ही गए ,तुम सब हमारे जाल में फिर से....."

रोहित की तरफ देख कर उनमें से एक आदमी बोलता है जोकि उन सब का बॉस लग रहा था.....

इस पर रोहित थोड़ा नाटक करते हुए बोला - "तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है, हम लोग तो गलती से यहां फंस गए हैं शायद किन्हीं और लोगों के धोखे में....."
"हम तो तुम्हारे बिजनेस पार्टनर है ना रंजीत! तुम तो मुझे जानते हो....." - रोहित बोला

"हां, मैं तो तुम्हें जानता ही हूं; रोहित! लेकिन लगता है तुम और तुम्हारे साथी मेरे बारे में कुछ ज्यादा ही जान गए हैं... और कुछ ऐसा जो शायद तुम लोगों को नहीं जानना चाहिए था।" - रंजीत ने कहा

"तुम यह सब क्या बोल रहे हो! रंजीत! हम में से किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है।" - इस बार विशाल भी नाटक में रोहित का साथ देते हुए बोला।

उन दोनों की इन बात पर रंजीत थोड़ा सोचते हुए बोलता है - "अच्छा, तो तुम लोग कुछ भी नहीं जानते; चलो मान लेता हूं; लेकिन एक शर्त पर,

"क्या, कैसी शर्त? रंजीत!" - रोहित थोड़ा हैरानी से रंजीत की तरफ देखते हुए पूछता है?

"मैं जो भी सवाल, जिस से भी पूछूंगा; बस उस का सीधा सीधा जवाब देना है ; उस के बाद तुम लोग यहां से जा सकते हो।" - रंजीत बोला

"ठीक है, पूछो.. हम सब तैयार हैं ! " -अवनी रोहित का हाथ कस कर अपने हाथों में पकड़ते हुए कहती है।

सिर हिला कर एक दूसरे को आंखों में देख कर वह चारों आपस में इशारे से बात करते हैं।

उस के बाद रंजीत सबसे पहला सवाल रोहित से पूछता है - "अच्छा तो रोहित! यह बताओ अपने बर्थडे पार्टी की अगली सुबह भी तुम सब यहां क्या कर रहे थे?"

इस पर रोहित कहता है - "अरे! वो वह तो हम सबने रात में थोड़ी ज्यादा ड्रिंक कर ली थी तो हम में से कोई भी ड्राइव करने लायक नहीं बचा था, तो हम सब उस रात यही अपने रूम में सो गए थे बस और कुछ नहीं.... मैं तुम से कह तो रहा हूं रंजीत हो सकता है तुम्हें कोई गलतफहमी हुई हो हम लोगों के बारे में....."

इस पर रंजीत उसे चुप रहने का इशारा करते हुए कहता है - "जितना तुम से पूछा जाए सिर्फ उतनी बात का ही जवाब दो, ज्यादा होशियार मत बनो....." रंजीत गुस्से में रोहित की तरफ देखता है तो रंजीत के पीछे खड़ा उस का एक आदमी जो कि उसका बॉडीगार्ड लग रहा था, वह अपनी गन बाहर निकाल लेता है और रोहित की तरफ ट्रिगर करता है।

इस पर मीरा और अवनी डर जाती है तो रोहित गुस्से में रंजीत से पूछता है - "यह सब क्या है रंजीत?"

तो रंजीत अपने बॉडीगार्ड को गन वापस अंदर रखने को बोलता है और उस की बात मान कर वह गन वापस रख लेता है....

इस बार रंजीत विशाल से पूछता है - "अच्छा तो यह बताओ, तुम लोग रात को कितने बजे कमरे में सोने के लिए गए थे?"

इस पर विशाल लापरवाही से बोलता है - "यह कैसा बेतुका सवाल है?"

"जितना पूछा है उतना बताओ" - रंजीत लगभग गुस्से में विशाल से कहता है

इस पर विशाल रोहित की तरफ देखने लगता है तो रोहित उसे "हां" में इशारा करता है।।

फिर विशाल बोलता है - "एकदम पक्का तो नहीं याद है, लेकिन शायद रात के 2:00 या 3:00 बजे होंगे।"

फिर रंजीत पूछता है - "अच्छा, यह बताओ सुबह सब से पहले नींद से कौन जागा था तुम सब में से?"

उसके इस सवाल पर सब एक दूसरे का मुंह देखने लगते हैं, और किसी के बोलने से पहले ही रोहित बीच में बोल पड़ता है - "बस बहुत हो गया, रंजीत! अब हम सब यहां से जा रहे हैं; दरवाजा खोलो और जाने दो हमें.....जब हम सब को कुछ पता ही नहीं, तो तुम क्यों हम सब से इतने सवाल जवाब कर रहे हो और तुम्हे भला किस बात का इतना डर है?"

रोहित की यह बात सुन कर रंजीत थोड़ी देर कुछ सोचता है और फिर अपने एक आदमी की तरफ देख कर बोलता है - "ठीक है, दरवाजा खोलो और जाने दो इन्हें...."

"ओके बॉस! इतना कह कर वह आदमी जो गेट के पास ही खड़ा था, गेट खोल देता है और वह चारों एक-एक करके दरवाजे की तरफ बढ़ने लगते हैं ,‌‌ तभी रंजीत अपने बॉडीगार्ड को कुछ इशारा करता है......




क्रमशः


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8 Comments

Simran Ansari

04-Dec-2021 01:21 AM

Thanks to all

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Fauzi kashaf

02-Dec-2021 11:46 AM

Good

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Zaifi khan

30-Nov-2021 07:29 PM

Wah

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